ईसाई मिशनरियां, राहुल गांधी और हिंदू विरोधी पादरी: षड्यंत्र समझ लीजिए

ये खेल, आपकी सोच से कहीं ज्यादा बड़ा है!

rahul gandhi

जिस व्यक्ति की सोच जितनी विकृत होती है वह उतनी ही विकृत मानसिकता वाले लोगों के साथ पाया जाता है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान में केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद राहुल गांधी की एक बार फिर से री-लॉन्चिंग के लिए कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है जो कि केरल से जम्मू-कश्मीर तक प्रस्तावित है लेकिन राहुल गांधी की विकृत सोच हमेशा ही हिंदुओं के अपमान की रही है और इसीलिए स्वाभाविक है कि वे ऐसे ही लोगों की संगति करेंगे जो कि हिंदुओं से घृणा करते हों। कुछ ऐसा ही राहुल की पादरी पोन्नैया से वार्तालाप में सामने आया है।

राहुल गांधी ने फादर पोन्नैया से ज्ञान लिया

अहम बात यह है कि राहुल गांधी को मुलाकात के दौरान फादर पोन्नैया यह ज्ञान दे रहे हैं कि ईसा मसीह ही सबसे बड़े भगवान है और ईसाई किसी देवता या कोई शक्ति में विश्वास नहीं करते हैं। यह सीधे तौर पर हिंदू देवी देवताओं का अपमान है। इसको लेकर बीजेपी कांग्रेस पर बरस पड़ी और कांग्रेस राहुल के बचाव में इस पूरे प्रकरण को दबाने में जुटी रही लेकिन असल में फादर पुन्नैया का राहुल से गहरा कनेक्शन है क्योंकि दोनों ही जमकर हिंदुओं से घृणा करते हैं।

दरअसल, फादर पोन्नैया की भारत में मिशनरीज के माध्यम से हिंदुओं को ईसाई में परिवर्तित करने की योजना रही है। हाल ही में सीआईए ने धार्मिक कर्मियों को वेतन का भुगतान किया, जो उनके द्वारा संचालित गुप्त परियोजनाओं के लिए उपयोग किया जाता था और यह बात अमेरिकी सीनेट की एक जांच में भी सामने आयी है।

जानकारी के मुताबिक भारतीय गैर सरकारी संगठनों ने पिछले साल लगभग 40 हजार करोड़ का फंड हासिल किया है। वहीं सिर्फ एक विवादित एनजीओ द्वारा 137 करोड़ रुपये पकड़े गए हैं। इनमें से अनेकों एनजीओ का मकसद केवल एक ही रहा है और वो है हिंदुओं को ईसाई बनाना। अहम बात यह है कि पहली बार मोदी सरकार ने इन गैर सरकारी संगठनों के खिलाफ मोर्चा खोला। हालांकि इनके खिलाफ कार्रवाई पर बड़ी जल्दी ही मामले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच जाते हैं।

हालांकि इन एनजीओ को शक्तिशाली वेटिकन सर्किट द्वारा समर्थन प्राप्त था लेकिन एमएचए बाहुबल और नरमी कूटनीतिक बातचीत या एनजीओ के लिए सही साबित हुई और इनके खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी रही। एक अन्य उदाहरण में राष्ट्रपति जो बाइडेन की पूर्व-सीआईए मंत्री की चाची भारत में पिछले 40 वर्षों से रह रही है और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मिशनरीज के रूप में काम कर रही है। यह दिखाता है कि ये कितनी पावरफुल हैं और इन्हें तगड़ा समर्थन प्राप्त है।

ऐसे कई संगठन अलग-अलग राज्यों में सक्रिय हैं

खास बात यह है कि तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश झारखंड और तेलंगाना में ये सभी संगठन सक्रिय हैं। अब राहुल की पादरी पोन्नैया से मुलाकात भी साबित हो सकती है।‌ खास बात यह है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल ज्यादातर जिन इलाकों में रुकेंगे वे मिशनरीज के चर्च या स्कूल के परिसर है जो दिखाता कि राहुल पहले ही मिशनरीज से अपने कनेक्शन मजबूत किए हुए हैं।

इसके अलावा एक अहम बात यह है कि जिस पादरी के साथ राहुल गांधी ने बातचीत की उसके हिंदू देवी देवताओं को लेकर आपत्तिजनक बयान चर्चा में हैं। केरल में अदालतें तक यह कह चुकी है कि वहां हिंदुओं का हक ‘क्रिप्टो क्रिश्चियन (Crypto Christian)’ खा रहे हैं और यह खुद मद्रास हाई कोर्ट ने माना है। इसी साल जनवरी में एक पादरी को राहत देने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने कन्याकुमारी के जनसांख्यिकी बदलाव की चर्चा की थी।

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मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि धार्मिक रूप से कन्याकुमारी की जनसांख्यिकी में बदलाव देखा गया है। 1980 के बाद से जिले में हिंदू बहुसंख्यक नहीं रहे। हालांकि 2011 की जनगणना बताती है कि 48.5 फीसदी आबादी के साथ हिंदू सबसे बड़े धार्मिक समूह हैं। यह जमीनी हकीकत से अलग हो सकती है। इस पर गौर किया जाना चाहिए कि बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति के लोग धर्मांतरण कर ईसाई बन चुके हैं, लेकिन आरक्षण का लाभ पाने के लिए खुद को हिंदू बताते रहते हैं।”

वहीं जिस पादरी के मामले को लेकर हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी, उसका रिकॉर्ड भी बेहद विवादास्पद रहा है। उसने ‘भारत माता’ को ‘बीमारी’ बताया था। हाईकोर्ट ने भी कहा था कि पादरी का मकसद हिंदुओं को नीचा दिखाना था। यहां के सरकारी स्कूल में भी यीशु की प्रार्थना के लिए बच्चों को मजबूर किया जाता है। इसी प्रताड़ना से तंग आकर एक हिंदू छात्रा ने इसी साल अप्रैल में अपने ही शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी।

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इसके मुताबिक छात्रा से कहा जाता था कि ‘भगवद्गीता बुरी है। बाइबल में अच्छी चीजें हैं इसलिए हमें बाइबल पढ़नी चाहिए।’ ये हालिया मामले हैं। कन्याकुमारी की हालत यह है कि ईसाइयों ने उस शिला पर स्मारक बनाने का भी विरोध किया था, जिस पर स्वामी विवेकानंद ने चिंतन किया था। यह सारे कांड उस पादरी पोन्नैया से जुड़े हुए हैं जिससे राहुल गांधी मिले हैं।

ऐसे में राहुल गांधी मौसमी राजनीति करते हैं जहां वे अभी दक्षिण भारत में ईसाईयों को लुभाने के लिए हिंदू घृणा फैलाने वाले लोगों के साथ दिख रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ यहां उत्तर भारत में आते-आते हिंदुओं के साथ भी दिख सकते हैं।‌ पादरी पोन्नैया का इतिहास जानने के बाद भी राहुल गांधी का उनसे मिलना दिखाता है कि यह मुलाकात जानबूझकर की गयी जिसका मुख्य उद्देश्य हिंदुओं को नीचा दिखाना रहा होगा।

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