नीतीश का पूर्ण बहिष्कार और स्वयं का सीएम, शाह ने तय कर दी बिहार में भाजपा की दिशा!

बिहार में 'कमल' खिलाने के लिए भाजपा की रणनीति!

nitish kumar

राजनीति का खेल बहुत निराला है और उसमें भी अगर बात बिहार की राजनीति की करें तो कहानी जटिल जान पड़ती है। यहां विचारों की लड़ाई अधिक होती है, जो किसी भी दल के नहीं मिलते। बावजूद इसके यहां सियासी गणित अपने अनुकूल बनाते हुआ राजनेता मत भिन्न होते हुए भी साथ आते हैं और सत्ता का स्वाद चखते हैं। यह भी दिलचस्प बात है कि यहां सरकार पांच साल न चलने का भयंकर रिकॉर्ड है। जहां पहले सरकार बन जाती है पर साथ ही जब विचार मेल नहीं खाते जो वास्तव में सरकार बनाते समय भी नहीं मिलते थे। फिर सरकार टूटती है और बिहार फिर से नया गठबंधन देखता है।

राजद और जदयू बिहार की राजनीतिक गतिशीलता में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले दलों में से एक हैं, जो नेतृत्व संकट और दिशाहीन राजनीति के कारण शीघ्र ही अपने पतन की पटकथा लिखेंगे। इस बीच भाजपा के पास यह अवसर है कि वो अब तक जिस मामले में कमज़ोर रही उस नेतृत्व को खोजे और स्वयं का एक नेता बिहार की राजनीति को दें।

नीतीश पर बरसे अमित शाह

दरअसल, बिहार ने एक बार फिर से नीतीश कुमार को अपनी पुरानी आदत दोहराते हुए देख लिया है। बीते माह उन्होंने एनडीए गठबंधन छोड़ आरजेडी की ओर रुख किया। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने पहली बार बिहार के पूर्णिया में एक रैली को संबोधित करते हुए  2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के एकल चुनाव अभियान को प्रभावी ढंग से शुरू किया। उन्होंने जनता के जनादेश के साथ विश्वासघात करने के लिए जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार को जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने आक्रामक होते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने अपनी प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षा के लिए अपने सदाबहार प्रतिद्वंद्वी राजद के साथ गठबंधन किया। ‘जन भावना महासभा’ में उन्होंने स्पष्ट रूप से भाजपा के उदार भाव पर प्रकाश डाला और नीतीश के वादाखिलाफी पर उन्हें जमकर फटकार लगाई।

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सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि- “नीतीश कुमार की पार्टी ने पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की तुलना में केवल आधी सीटें जीती थीं। फिर भी मोदी जी ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनने की अनुमति दी क्योंकि उन्होंने वादा किया था कि बिहार में गठबंधन (एनडीए) नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही काम करेगा। इसके बावजूद उन्होंने (नीतीश कुमार ने) हमें धोखा दिया। उनकी प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा ने उन्हें कांग्रेस और लालू प्रसाद यादव के साथ हाथ मिला लिया।”

अमित शाह ने मंच से कहा कि अब ना नीतीश कुमार की पार्टी आएगी, ना लालू की पार्टी आएगी। अब सीमांचल के हिस्से में मोदी जी का कमल खिलेगा। 2024 में महागठबंधन का सूपड़ा साफ हो जाएगा। नीतीश कुमार की एक ही नीति केवल कुर्सी रहनी चाहिए। अमित शाह ने कहा कि नीतीश कुमार दल बदलकर जो धोखा दे रहे हैं, यह धोखा पीएम मोदी के साथ नहीं है। यह धोखा बिहार की जनता के साथ हैं।

तेजस्वी यादव को मिर्ची लग गई

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण को सुनकर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मिर्ची लग गई और उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें भाषण सुनकर हंसी आ रही थी, लग रहा था कि कोई कॉमेडी शो चल रहा है। तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्होंने गुरुवार को ही ट्वीट किया था। पीएम मोदी ने क्या बोला था कि बिहार को स्पेशल स्टेटस देंगे, स्पेशल पैकेज देंगे और तीसरी बात जो उन्होंने कही थी कि स्पेशल अटेंशन देंगे लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं है। बिहार के विशेष राज्य के दर्जे पर, महंगाई पर या रोजगार पर कोई बात नहीं हो रही। हमने तो पहले ही कहा था कि माहौल गड़बड़ करने के लिए आएंगे और कहेंगे कि जंगलराज है।

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तेजस्वी ने आगे कहा कि अमित शाह जहां दिल्ली में बैठते हैं वो क्राइम में अव्वल नंबर पर आता है। उन्होंने कहा- “आप ही के विभाग से आंकड़ा निकाला गया है, वहां क्राइम बिहार से अधिक है। आप जहां बैठते हैं, सोते हैं देश की राजधानी वो सुरक्षित नहीं है और बिहार में आकर लोगों को बेवकूफ बनाते हैं। क्या कहे थे कि बिहार को नंबर वन राज्य बना देंगे। कितने साल से बीजेपी की सरकार बिहार में थी? बिहार में तो डबल इंजन की सरकार थी, फिर बिहार को नंबर वन क्यों नहीं बनाया? भेदभाव किया जा रहा है। शिक्षा विभाग में पैसे नहीं दिए जा रहे। ग्रामीण सड़कों के लिए पैसा नहीं दिया जा रहा है। सारा आंकड़ा लेकर हम लोग बैठे हैं। हमको तो हंसी आ रही थी, भाषण देखकर लगा कि भाई सच में कॉमेडी शो चल रहा है।”

न जाने तेजस्वी क्यों उनपर और उनके परिवार पर लगे असंख्य केसों और उनकी वास्तविकता को क्यों भूल जाते हैं। वो भूल जाते हैं कि बिहार में जब-जब उनकी पार्टी ने शासन किया है तब-तब जनता ने स्वयं को ठगा ही पाया है। वो क्या, उनके माता-पिता लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री रहते बिहार को घोटालों का पुलिंदा मिला फिर भी जंगलराज पर प्रश्न उठते ही वो बिलबिला उठते हैं। दूर क्यों जाना, जबसे कुछ दिनों पूर्व वे सत्ता में वापस आए हैं तबसे ही बिहार की हालत देख लीजिए क्या हो गई। बिहार की सड़कों पर मौत का तांडव जो रहा है, कोई भी आकर किसी को भी गोली मार दे रहा है। यह सवाल तेजस्वी यादव को बुरे तो अवश्य लग जाते हैं पर सच बिहार की जनता भली भांति जानती ही है।

भाजपा को चेहरा चुनने की जरूरत 

अब बात नीतीश कुमार की करें तो उन्होंने हर पल गठबंधन साथी बदलकर अपनी छवि की मिट्टी पलित कर ली है। जनता और मतदाताओं के बीच जितना भी विश्वास हासिल किया, वह खो दिया है। अपनी पार्टी की हालत तो पहले ही विधानसभा चुनाव में बारह आने की कर ली है। जैसा कि पिछले विधानसभा चुनाव में देखने मिला ही उनकी पार्टी बिहार में केवल 43 सीटों पर सिमटकर रह गई है। पीएम बनने निकले नीतीश बाबू एकमात्र राज्य से भी अपना जनाधार खोते जा रहे हैं। अभी भले ही नीतीश और तेजस्वी में सब ठीक लग रहा है पर जल्द ही दोनों दलों और उनके नेता-कार्यकर्ताओं के बीच जूतम-पैजार शुरू हो जाएगी। इसके अलावा उन्हें अपने गठबंधन सहयोगी के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों के लिए भी परिणाम भुगतना पड़ेंगे। जहां तक राजद और उसके शीर्ष नेतृत्व का सवाल है, उसे अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के ढेरों आरोपों पर सफाई देनी होगी। नहीं तो इन गंभीर मामलों का बोझ तले सरकार भी गिरेगी और फजीहत होगी सो अलग।

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वही भाजपा को देखें तो वो बिहार में लगातार मजबूत होती जा रही है। बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी, वो बात अलग है कि अब 1 विधायक के साथ आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन जनता का निर्णय तो 2020 के चुनावों में ही भाजपा के पक्ष में था यह परिणाम बता चुके हैं। इन परिणामों ने आगामी चुनावों में भाजपा को अकेले जाने का दृढ़ संकल्प दिलाया है। यही परिणाम दोहराए गए तो बिहार में उत्तर प्रदेश पार्ट 2 होने से कोई नहीं रोक सकता, जहां 2017 में महागठबंधन (एसपी-बीएसपी) के खिलाफ 50% से अधिक वोट बैंक का लक्ष्य रखा और जीत हासिल हुई। ऐसे में बिहार की राजनीति निकटतम भविष्य में आमूलचूल बदलाव देख सकती है, बस यह तब ही संभव हो पाएगा जब भाजपा नेतृत्व त्रास को ख़त्म कर एक अच्छा चेहरा चुनती है।

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