दिल्ली हाईकोर्ट ने निकाल दी सेंट स्टीफंस की नेतागिरी, चुपचाप नियम मानने लगा कॉलेज

अभी तो बहुत कुछ बाकी है!

सेंट स्टीफन कॉलेज

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शिक्षण संस्थानों में कट्टरता का माहौल बनाना पाप समान है, इसकी कोई माफ़ी नहीं है या इससे हुई क्षति को दूसरा अवसर देना उससे भी बड़ा पाप है। ऐसे में जिनके हाथों में ऐसे शिक्षण संस्थानों की बागडोर होती है जब वो ऐसी नीच हरकत करते हैं तो उन्हें ठिकाने पर लाना भी इसी संविधान का काम है जिससे देश चलता है। हालिया मामला है सेंट स्टीफंस कॉलेज का है, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आता है लेकिन पिछले कुछ समय से इस कॉलेज ने शिक्षण व्यवस्था में अशांति फैलाई हुई थी लेकिन अब दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंट स्टीफंस कॉलेज को लताड़ लगाते हुए उसे चारों खाने चित्त कर दिया है।

दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने डीयू प्रशासन और सेंट स्टीफंस कॉलेज के बीच चल रही तना-तनी पर विराम लगा दिया है। कोर्ट ने यूजी एडमिशंस को लेकर फैसला सुनाया है जिसके मुताबिक सेंट स्टीफंस कॉलेज को डीयू के नियमों का पालन करना होगा और केवल सीयूईटी स्कोर (CUET 2022) के आधार पर ही उम्मीदवारों को कॉलेज में प्रवेश दिया जाएगा। इस प्रकार सेंट स्टीफंस कॉलेज जो कुछ प्रतिशत छात्रों को इंटरव्यू के भी आधार पर एडमिशन देने की बात कह रहा था उसे हाईकोर्ट ने पूरी तरह नकार दिया है।

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दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक पाठ्यक्रम की पढ़ाई के लिए आवेदन करने वाले गैर-अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट 2022 स्कोर को 100 प्रतिशत वेटेज देते हुए एक नया प्रॉस्पेक्टस जारी करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने सेंट स्टीफंस कॉलेज को अपना प्रवेश विवरण वापस लेने का आदेश दिया, जिसमें कहा गया था कि यह कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) के अंकों को 85% वेटेज और प्रवेश के लिए साक्षात्कार को 15% वेटेज देगा।

फैसले में यह भी कहा गया था कि डीयू ईसाई समुदाय से संबंधित उम्मीदवारों के दाखिले के लिए एक भी मेरिट सूची पर जोर नहीं दे सकता। बता दें कि सेंट स्टीफंस द्वारा 2022-23 में दाखिले के लिए जारी किए गए प्रॉस्पेक्टस में कहा गया था कि सामान्य/अनारक्षित सीटों सहित सभी श्रेणियों के छात्रों को 85:15 के अनुपात के आधार पर दाखिला दिया जाएगा। जहां सीयूईटी को 85 फीसदी वेटेज दिया जाएगा, वही इंटरव्यू को 15 फीसदी वेटेज दिया जाएगा। हालांकि, यह निर्णय दिल्ली विश्वविद्यालय के नए शैक्षणिक सत्र में प्रवेश के लिए जारी दिशा-निर्देशों के खिलाफ था जिसके कारण दिल्ली विश्वविद्यालय और सेंट स्टीफंस कॉलेज के बीच विवाद पैदा हो गया और इतना गहरा गया कि बात कोर्ट-कचहरी तक पहुंच गई।

डीयू ने कहा था कि सेंट स्टीफंस जैसे अल्पसंख्यक संस्थान आरक्षित वर्ग में दाखिले के लिए इंटरव्यू को 15 फीसदी वेटेज दे सकते हैं लेकिन अनारक्षित सीटों के लिए एडमिशन सीयूईटी स्कोर के आधार पर ही होना चाहिए। सत्य तो यह है कि ये प्रक्रिया को में पारदर्शिता लाने का अनूठा प्रयास था ताकि अल्पसंख्यकों के साथ-साथ अन्य वर्गों को भी समुचित स्थान मिल सके पर कॉलेज प्रशासन उसी दिल्ली विश्वविद्यालय के विरुद्ध चला गया जिसके अधीन वह स्वयं आता है। यह सत्य है कि किसी भी कॉलेज के नीति-नियामक और दिशा-निर्देश उससे संबंधित विश्वविद्यालय तय करता है पर यहां सेंट स्टीफंस के आधिकारिक महानुभाव अपनी डफली अपना राग की तर्ज़ पर विश्वविद्यालय की अधिसूचना को न मानते हुए अपनी नीति थोपने और लाने की कोशिश की, जो गैर-कानूनी और असंवैधानिक है। अब कोर्ट ने सेंट स्टीफंस कॉलेज को लाइन पर ला दिया है जिसके बाद अब भी कोर्ट के निर्देश की अवहेलना होती है तो सेंट स्टीफंस कॉलेज का पूरा प्रशासन लंबा नपेगा और अंततः छात्रों को न्याय मिलेगा.

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