कहते हैं कि विजय का असल स्वाद तभी प्राप्त होता है, जब समस्त संसार आपके पराजय की आस लगाकर बैठा हुआ हो और ये बात भारत से बेहतर कौन जाने! प्रकांड अर्थशास्त्री और बुद्धिजीवी कोरोनाकाल से ही भारत के अमंगल की कामना करते आ रहे थे परंतु आर्थिक वर्ष 2022-23 की प्रथम तिमाही के जीडीपी आंकड़े तो इसके ठीक उलट संकेत दे रहे हैं और यह प्रगति केवल सैन्य और तकनीक तक ही सीमित नहीं है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे भारत चहुंमुखी प्रगति की ओर अग्रसर है, जहां केवल उसकी हार्ड पावर में ही नहीं अपितु सॉफ्ट पावर में भी तगड़ी वृद्धि हुई है।
कोरोनाकाल के बाद IMF ने हाल ही में आर्थिक आंकड़ों का लेखा जोखा सामने रखा है, जिसमें भारत को लेकर एक बड़ी और सकारात्मक खबर सामने आई है। दरअसल, IMF के आंकड़ों के अनुसार भारत 2021 के आखिरी तीन महीनों में ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार मार्च की तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार नकदी के संदर्भ में 854.7 बिलियन डॉलर था जबकि यूके का 816 बिलियन डॉलर था।
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एक तरफ जहां मार्च की तिमाही में भारत ब्रिटेन को पछाड़ कर दुनिया की पांचवीं सबसे तेज अर्थव्यवस्था बना तो दूसरी ओर देश पिछले वित्त वर्ष की आखिर तिमाही की ग्रोथ को भी आगे लेकर गया है और वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही यानी जून से सितंबर तक भारत 13.5 की जीडीपी दर से आगे बढ़ा है। यह अर्थव्यवस्था के लिहाज से दो मोर्चों पर भारत के लिए शुभ समाचार है। परंतु ऐसा नहीं है कि भारत की प्रगति केवल हार्ड पावर क्षेत्र यानी प्रमुख श्रेणी- कृषि, सेवा एवं उत्पादन तक ही सीमित हैं। ऐसा पहली बार ही हो रहा है जब भारत दो मोर्चों पर अपनी मजबूत स्थिति पेश कर रहा है।
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, “ये केवल जीडीपी नहीं है, जहां भारत संसार के धनाढ्य राष्ट्रों को टक्कर दे रहा है। जब बात पारंपरिक संस्कृति की हो, भाषा की हो, संप्रभुता की हो, भारत अन्य देशों को कई क्षेत्रों में मीलों पीछे छोड़ देता है।” इतना ही नहीं, भारत की विविधता तो उसके भोजन तक में झलकती है। यूं ही थोड़ी न कहा गया है, “दो कोस में बदले पानी, चार कोस में बानी” और व्यंजन के दृष्टिकोण में भी भारत संसार में अव्वल रहा है और अभी तो हमने भारत के सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक, सिनेमा के बारे में चर्चा भी नहीं की है, जो एक नया रूप, एक नया कलेवर धारण कर रहा है।
एक तरफ जहां भारत तकनीक से लेकर कृषि और आर्थिक क्षेत्र में झंडे गाड़ रहा है तो दूसरी ओर वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक दृष्टि से भी भारत का दबदबा बढ़ा है और अमेरिका जैसे देश तक भारत के आगे नतमस्तक होने को विवश हैं। अब ये पूर्व का भारत नहीं रहा जब व्हाइट हाउस की एक हॉटलाइन का नंबर घूमते ही राष्ट्रहित में लिए निर्णय वापस लेने पड़ते थे। भारत अब उल्टे हेकड़ी दिखाने पर अमेरिका को ही हड़का देता है। इतना ही नहीं, भारत अब शोषित देशों को सम्पूर्ण समर्थन देता है और साम्राज्यवादी सोच रखने वाले देशों के विरोध में डटकर खड़ा होता है। जो विश्वगुरु की छवि भारत ने कुछ सदी पूर्व खो दी थी, वह अब पुनः लौट रही है।
वहीं, भारत अपने सैन्य क्षमताओं को भी तेजी से विस्तार दे रहा है। चीन से सीमा विवाद ने भारत को सैन्य मजबूती के लिए अधिक प्रेरित किया है। इसका नतीजा है कि S-400 से लेकर एंटी ड्रोन मिसाइल और गन भारत के जखीरे में आ गई हैं। साथ ही राफेल से लेकर INS विक्रांत तक, भारत हवा से लेकर समंदर तक में अजेय बनने की राह पर है। दुनिया पर निर्भरता की बजाए भारत अब अपना स्वयं का डिफेंस सेक्टर मजबूत कर रहा है। इसके तहत ही भारतीय सेना अब अनेकों मेड इन इंडिया हथियार प्रयोग कर रही है। वहीं, आर्थिक क्षेत्र की बात करें तो अनेकों प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीद कर अमेरिका को मुंह चिढ़ा रहा है। ये सारी स्थितियां भारत की मजबूती के स्पष्ट और शुभ संकेत दे रही हैं।
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