नियम ताक पर रख कर वर्ल्ड कप जीतो और नियम से आउट होते ही रायता फैलाओ? वाह अंग्रेजों वाह!

इनकी कहानी यही है कि ये आज से ही नहीं शुरू से ही दोमुंहे हैं !

दीप्ति शर्मा

Source- TFIPOST

भाई कुछ भी हो जाए, लाख बुरे कर्म हो युवराज सिंह के परंतु एक पुण्य के लिए वह स्वर्ग की यात्रा तो अवश्य करेंगे। वह है स्टुअर्ट ब्रॉड की पिटाई। उन्होंने जिस निर्ममता से टी20 विश्व कप में उन्हें कूटा था, उससे हमारे जैसे लोग सोचते थे कि ब्रॉड ने ऐसा क्या बिगाड़ दिया, आग तो फ्लिंटॉफ ने लगाई थी। लेकिन उसके बाद युवराज सिंह ने ऐसी धुलाई कि विश्व रिकॉर्ड बना दिया, जो आज तक बरकरार है। अब एक बार फिर अंग्रेज स्पिरिट ऑफ क्रिकेट का रोना रोने में लगे हैं और इस बार मामला दीप्ति शर्मा से जुड़ा है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे दीप्ति शर्मा के एक विकेट चटकाने पर स्पोर्ट्स मैन शिप का ज्ञान बघारने वाला इंग्लैंड छोटे बच्चे की भांति रो रहा है। साथ ही यह भी जानेंगे कि कैसे अंग्रेजों की कथित ‘खेल भावना’ केवल कागजों तक ही सीमित रही है।

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गजब कुंठा है!

महिला क्रिकेट को वास्तव में हमारे देश में तो उतना ही सम्मान मिलता है, जितना कि एनडीटीवी को या आम आदमी पार्टी को, परंतु अंतर इतना है कि महिला क्रिकेट टीम कम से कम देश के लिए कुछ योगदान तो करती है और इसी कड़ी में टीम ने इंग्लैंड में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए वनडे सीरीज़ में 3-0 से जीत हासिल की और झूलन गोस्वामी को एक शानदार विदाई प्राप्त हुई। परंतु यह बात इतनी चर्चा में नहीं रही जितनी इस शृंखला के अंतिम मैच का अंतिम विकेट

इंग्लैंड को जीतने के लिए 19 रन चाहिए थे। नॉन स्ट्राइकर एण्ड पर चार्ली डीन थी और गेंदबाज़ी कर रही थी दीप्ति शर्मा और अचानक उन्होंने देखा कि डीन क्रीज़ से काफी आगे निकल चुकी थी। उन्होंने अवसर का लाभ उठाते हुए स्टम्प की गिल्लियां उड़ा दी और भारत ने वह मैच 18 रनों से जीत लिया। इस अनोखे प्रकरण और सूझबूझ के लिए दीप्ति को काफी सराहा गया पर अंग्रेजों का रक्त उबलने लगा और उन्होंने दीप्ति को जमकर खरी खोटी सुनाई। उनके अनुसार दीप्ति शर्मा ने ‘खेल भावना’ की तौहीन की है। खेल भावना और अंग्रेज़, कुछ भी। वैसे खेल भावना से याद आया, जेम्स एंडरसन ने एक बहुत भयानक पोस्ट की जहां महोदय तंज कस रहे थे कि दीप्ति शर्मा को गेंदबाज़ी करने का कोई इरादा ही नहीं था –

ये तो प्रारंभ था, इसके बाद एक के बाद एक कर अंग्रेज़ों ने स्टेडियम से लेकर ट्विटर तक भारतीयों को उलाहने से लेकर अपशब्द सुनाने प्रारंभ कर दिए। दीप्ति शर्मा ने आउट न कर दिया, मानो चार्ली डीन की हत्या कर दी, अंग्रेज ऐसा सिद्ध करने का प्रयास कर रहे थे। स्टुअर्ट ब्रॉड ज्ञान झाड़ने लगे, “मुझे मांकड़ का यह डिबेट बड़ा रोचक लगता है। दोनों तरफ से बड़े विचित्र विचार आते हैं। मैं तो ऐसे मैच नहीं जीतना चाहूंगा परंतु दूसरों की सोच का क्या किया जा सकता है।”

लेकिन बॉउन्ड्री के गिनती के दम पर विश्व कप जीतने वाले जब ऐसे ज्ञान झाड़ें तो समझ जाइए घोर कलयुग अपने चरमोत्कर्ष पर है। अंग्रेज़ रो रहे हैं कि दीप्ति शर्मा ने Mankading कर ‘Gentleman’s Game’ की महिमा बिगाड़ी है। जेंटमेन गेम? चलिए आप कितने जेंटलमेन हैं और आपकी खेल भावना कितनी उत्कृष्ट है, हम आपको बताते हैं। वैसे लगान में भी मांकडिंग को लेकर अंग्रेजों की नियत काफी बेहतर तरीके से दिखाई गई थी।

मांकडिंग का नाम तो ऐसे वीनू मांकड़ के नाम पर पड़ा था पर नींव तो Thomas Barker ने डाली थी, जिन्होंने 1835 में ससेक्स के जॉर्ज बेजेंट को आउट किया था। उन्होंने 1835 से 1843 के बीच 5 ऐसे डिस्मिसल पूरे किए थे, जो अपने आप में रिकॉर्ड था। इस कला को पुनर्जीवित किया वीनू मांकड़ ने, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के बिल ब्राउन को आश्चर्यजनक रूप से आउट कर दिया। इसीलिए इसका नाम ‘Mankading’ पड़ गया। तो इसका अश्विन से कैसा नाता? Mankading को अश्विन ने IPL के माध्यम से लोकप्रिय बना दिया और जब पाश्चात्य जगत ने उपदेश देना प्रारंभ किया तो उल्टे उन्हीं की भाषा में उन्हें जवाब भी दिया गया। इसी के चक्कर उन्हें जबरदस्त समर्थन मिला और ऑस्ट्रेलिया एवं इंग्लैंड के दोहरे मापदंडों पर पहले जो मौन रहते थे, वे एक एक कर सवाल उठाने लगे।

मांकडिंग एक वैध डिस्मिसल है

पिछले वर्ष जब टी20 विश्व कप के सेमी फाइनल में डेविड वार्नर के दो टप्पे वाली गेंद पर छक्का मारने को लेकर गौतम गंभीर गंभीर ने ट्वीट कर अपना गुस्सा व्यक्त किया था और साथ ही अपने ट्वीट में अश्विन को भी टैग किया। आर अश्विन को टैग करने के पीछे गंभीर का उद्देश्य था कि अश्विन को लेकर जिन क्रिकेट पंडितों द्वारा क्रिकेट की भावना को तोड़ने का भारी आरोप लगाया गया था, जब उन्होंने आईपीएल में जोस बटलर को मांकडिंग (गेंद डालने से पहले रन-अप पर ही नॉन स्ट्राइकर को रन आउट करना) किया था। वहीं, इस मुद्दे पर विदेशी मीडिया ने गंभीर पर पलटवार किया और कहा कि गंभीर दोनों घटनाओं को बराबरी पर ला रहे हैं।

इस मैच के बाद के एक शो में बोलते हुए गंभीर ने रिकी पोंटिंग और शेन वार्न जैसे ऑस्ट्रेलियाई दिग्गजों की आलोचना की और वार्नर के शॉट पर उनकी चुप्पी पर सवाल उठाया और कहा कि “शेन वार्न हर चीज पर कमेंट और ट्वीट करते हैं पर यहां कुछ नहीं बोले क्योंकि यह मुद्दा उनके देश के क्रिकेटर का है। गंभीर ने कहा, “रिकी पोंटिंग भी खेल की भावना के बारे में बड़े–बड़े दावे करते हैं। इस बारे में उनका क्या कहना है?”

यही नहीं, गंभीर ने शेन वार्न पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा, जब अश्विन मांकडिंग करते हैं तो वे बड़ी टिप्पणियों के साथ आते हैं। आज डेविड वार्नर के बारे में शेन वार्न का क्या कहना है? क्योंकि किसी की आलोचना करना आसान है लेकिन अपने खिलाड़ियों की आलोचना करना बेहद कठिन है। इसी बीच बहस में अश्विन भी कूद पड़े और गंभीर की ट्वीट पर एक विदेशी यूजर को उत्तर देते हुए कहा, गंभीर का यहां बस कहना है कि अगर यह सही है तो मांकडिंग सही है। अगर वह गलता था तो यह भी गलत है, जिसका उन्होंने निष्पक्ष मूल्यांकन किया है।

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फलस्वरूप, ICC के दृष्टिकोण में मांकडिंग एक वैध डिस्मिसल बन गया यानी इसके द्वारा बल्लेबाज को आउट करना नियमों के विरुद्ध नहीं है। मार्च में क्रिकेट की सर्वोच्च संस्थाओं में से एक MCC यानी मेरिलबोन क्रिकेट क्लब के सुझावों के आधार पर ICC ने जिन अधिनियमों में बदलाव किए हैं, वो क्रिकेट का रंग रूप बदलने के लिए पर्याप्त है, जिसमें पहले मांकडिंग को हेय की दृष्टि से देखा जाता था और इसे करने वाले क्रिकेटर को खेल भावना का अपमान करने का दोषी माना जाता था।

परंतु जिस प्रकार से रविचंद्रन अश्विन ने इस दुर्भावना के विरुद्ध अपनी लड़ाई लड़ी, कहीं न कहीं आज उसका सकारात्मक परिणाम निकलकर सामने आया है। अब मांकडिंग से याद आया, जब अंग्रेजों की खेल भावना आहत हो रही थी तो कप्तान हरमानप्रीत कौर को भी घेरा जाने लगा। परंतु उन्होंने तो मानो ठान लिया कि अब और नहीं। उन्होंने कहा, “आप बाकी 9 विकेटों के बारे में भी तनिक पूछते। उन्हें चटकाना कम कठिन नहीं था। ये तो खेल का भाग है, हमने कुछ नया नहीं किया। ये आपके ज्ञान को ही दर्शाता है, बताता है कि बल्लेबाज क्या कर रहे थे। मैं तो अपने खिलाड़ियों का साथ दूंगी, उन्होंने अगर कोई नियम तोड़ा हो तो बताइए” –

अब नियम की बात चली ही है तो तनिक यूरो कप भी स्मरण कर ही लेते हैं। जी हां, वही यूरो कप जहां पर इंग्लैंड वर्षों बाद फाइनल में पहुंचा था। Wembley Stadium में ही एक तगड़े मुकाबले के बाद इटली ने यूईएफए यूरो कप 2020 फुटबॉल चैंपियनशिप फाइनल में पेनाल्टी शूटआउट के दौरान मेजबान इंग्लैंड को 3-2 से हरा दिया। इसी दौरान दौरान प्रशंसकों और अधिकारियों के बीच झड़प हो गई। अब तक इस मामले को लेकर पुलिस ने 45 लोगों को हिरासत में लिया है। इससे एक बात स्पष्ट हुई कि जिस इंग्लैंड के प्रशंसक, अपनी खेल भावना पर फूले नहीं समाते थे वे ऐसे व्यवहार कर रहे थे, मानो इनसे असभ्य और इनसे बर्बर व्यक्ति दुनिया में कोई नहीं होगा। विश्वास नहीं होता तो इन ट्वीट को ही देख लीजिए।

https://twitter.com/Debbie_banks30/status/1414842400657248257

इंग्लैंड के शुरू से ही दोहरे मापदंड रहे हैं

यह इस बात का प्रमाण है कि इंग्लैंड के लोग सिर्फ बातों के शेर हैं। असल में उनके मापदंड शुरू से ही दोहरे रहे हैं। वे अपने आप को सभ्यता और संस्कृति के ध्वजवाहक कहते हैं। उनके अनुसार जो कोई भी उनकी संस्कृति के अनुसार नहीं चलता है, वह असभ्य है, निकृष्ट है। इसी धारणा के आधार पर अंग्रेजों के नेतृत्व में यूरोप के अधिकतम देशों ने 16वीं से 19वीं शताब्दी तक साम्राज्यवाद का सबसे घिनौना खेल खेला था। अब इसका यूरो कप फाइनल से क्या संबंध है? इंग्लैंड की फुटबाल टीम आम तौर पर किसी भी टूर्नामेंट में अच्छे प्रदर्शन के लिए नहीं जानी जाती है।

आखिरी बार उन्होंने कोई बड़ा टूर्नामेंट 1966 में जीता था, जब उन्होंने फुटबॉल विश्व कप अपने नाम किया था। परंतु वर्ष 2018 में जब उन्होंने फीफा विश्व कप के सेमीफाइनल में पुनः कदम रखा तो उनके प्रदर्शन में काफी सुधार आया और लोगों की उम्मीद बढ़ने लगी। यूरो कप के फाइनल में जब इंग्लैंड ने कदम रखा तो ‘Its Coming Home’ सोशल मीडिया पर ज़ोरों शोरों से गूंजने लगा। यूरो कप 2020 फाइनल में इंग्लैंड और इटली के 1-1 पर बराबर रहने के बाद अतिरिक्त समय में भी कोई परिणाम न निकलने पर पेनाल्टी शूट लिया गया, जिसमें इटली ने इंग्लैंड को 3-2 से हराकर चैंपियनशिप अपने नाम कर ली। बस फिर क्या था, इंग्लैंड के मैच हारते ही सारा शिष्टाचार, सारी सभ्यता की धज्जियां उड़ा दी गईं।

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अब ऐसे में यूरो कप हो या फिर ये वनडे सीरीज़, इंग्लैंड ने अपना वास्तविक स्वरूप ही उजागर किया है। इंग्लैंड के प्रशंसकों पर यूरो कप के फाइनल से पहले ही अनेकों प्रकार के आरोप लगाए गए थे, यहां तक कि एक मीम के जरिए उन पर अन्य देशों के राष्ट्रगान का अपमान करने तक का आरोप लगाया। ऐसे में जो टीम अपनी पराजय तक नहीं स्वीकार कर सकती, उनसे खेल भावना की आशा तो छोड़ ही दीजिए। शायद इसीलिए वीरेंद्र सहवाग ने अपने क्लासिक अपर कट की भांति ये ट्वीट मारा है –

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