ये बदलता हुआ हिंदुस्तान है, ये नया हिंदुस्तान है. पीएम मोदी के नेतृत्व ने देश को नया आयाम दिया है. देश की अर्थव्यवस्था को रसातल से उठाकर आसमान में पहुंचा दिया है. ज्ञानबहादुर अमेरिका जो खुद को सुपरपावर और पता नहीं क्या क्या बोलते रहता है, उसकी हालत भी भारत के सामने पस्त हो गई है. इस लेख में हम विस्तार से ‘विकास की सीढ़ी’ पर भारत की ऊंचाई से अवगत होंगे और साथ ही यह भी जानेंगे कि कैसे भारत दुनिया के तमाम देशों को पीछे छोड़ते हुए एक नयी कहानी लिख रहा है.
देश आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पूरे ज़ोर शोर के साथ मना रहा है, आज़ादी के अमृतकाल में भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को 2047 तक एक विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा है,जिसकी झलक अभी से ही देखी जा सकती है. हाल ही सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आँकड़ो के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी विकास दर 13.5 फीसदी रही, जो पिछले एक साल के दौरान दर्ज की गई सबसे ऊंची तिमाही विकास दर है.
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विश्व पटल पर चल रही उथल पुथल न सिर्फ़ तमाम देशों की विकास दर को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है अपितु कई देश तो दिवालिया तक हो चुके हैं, ऐसे में भारत का बेहतरीन प्रदर्शन न सिर्फ़ भारत की मज़बूत अर्थव्यवस्था की गवाही दे रहा है बल्कि एक मज़बूत पड़ी नींव को भी उजागर कर रहा है. भारत का यह प्रदर्शन विकासशील देशों से तो बेहतरीन है ही साथ ही कई विकसित देशों से भी उम्दा है जो भारत की बढ़ती साख को और बल दे रहे हैं.
अर्थव्यस्था के इस ज्ञान को मद्देनज़र रखते हुए अब हम भारत के इस प्रदर्शन को केंद्र में रखकर एक व्यापक तुलना विश्व की अन्य विकसित एवं विकाशील देशों से करेंगे साथ ही जानेंगे कि क्या कारण रहे जिसने भारत को इस लक्ष्य की प्राप्ति में एक अभूतपूर्व योगदान दिया. मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की विकास दर काफी बेहतरीन रही है. अप्रैल-जून (2022-23) में भारत की जीडीपी जिस दर के साथ आगे बढ़ी है उसे पकड़ पाना विकसित देश जैसे अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और यूके के समक्ष टेढ़ी खीर है.
ध्यान देने वाली बात है कि भारत की मौजूदा विकास दर 13.5% के समक्ष अमेरिका की पहली तिमाही में विकास दर -1.6% रही, जिसे देखकर यह साफ़ हो जाता है कि खुद को दुनिया का चौधरी कहने वाला अमेरिका को भी भारत के सामने मुंह की खानी पड़ी है. साथ ही बात करें यूरोपीय देशों की तो उनकी हालत भी यहां पतली ही है. खुद को तुर्रम खां समझने वाले जर्मनी, यूके, फ्रांस जैसे देश भी भारत के विकास दर के सामने घुटने टेक दिए हैं. जर्मनी की विकास दर जहां 1.7% ईअर ऑन ईअर रही तो वही फ़्रांस एवं यूके की तिमाही विकास दर -0.2 फीसदी और 0.8% रही.
इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए अगर हम बात करें विकासशील देशों जैसे चीन, इंडोनेशिया,ब्राज़ील, दक्षिण अफ़्रीका समेत अन्य विकासशील देशों की तो इनकी पहली तिमाही की विकास दर भारत से कहीं पीछे रही है. ट्रेडिंग ईकोनामिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इंडोनेशिया की विकास दर 5.01% रहा, जबकि चीन 4.8% और ब्राजील की विकास दर 1.7% रही.
कुल मिलाकर ऐसे विकासशील देश जो भारत के अर्थव्यवस्था को टक्कर दे सकते हैं, साथ ही जिन्हें राइज़िंग इकोनॉमी कहा जाता है उनकी तिमाही विकास दर भारत की विकास दर के सामने चारों खाने चित्त हो गई है. भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था न सिर्फ़ भारत को आर्थिक रूप से विश्व गुरु बना रही है बल्कि अब वह समय आ गया है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र परिषद की सदस्यता मिले ताकि भारत वैश्विक शांति एवं कल्याण को एक अनूठा एवं नवीन नज़रिया प्रदान कर सके.
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