पेटीएम, रेजरपे और कैशफ्री पर क्यों चला ईडी का डंडा, ये रहा असली कारण

भारत में रहकर चीन की गोद में बैठेंगे तो यही होगा!

Paytm, Razorpay and Cashfree

Source- TFIPOST

भारत, डिजिटल और वित्तीय विकास के साथ मिलकर विकास की एक नई ऊंचाई की ओर बढ़ता जा रहा है। बढ़ती आर्थिक गतिविधियों, युवा आबादी और बढ़ती क्रय शक्ति ने बाजार में ऋण प्रवाह में तेजी से वृद्धि की है। लेकिन ऋण बाजार के इस डिजिटल विस्तार ने वित्तीय अपराधों की एक श्रृंखला को प्रज्वलित किया है और जिसके कारण अब पेटीएम, रेजरपे और कैशफ्री जैसी कंपनियों पर ईडी का डंडा चला है। इस लेख में हम विस्तार से इन कंपनियों के चीन कनेक्शन के बारे में जानेंगे और यह भी समझेंगे कि कैसे यह कंपनियां आम लोगों को अपने ‘लोन के जाल’ में फंसाकर उन्हें चूसती थी।

एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने शनिवार को ऑनलाइन पेमेंट गेटवे पेटीएम, रेजरपे और कैशफ्री के बेंगलुरु ऑफिसों पर छापेमारी की है। इन तीनों कंपनियों के ऑफिसों में ED ने यह छापेमारी चीनी लोन एप मामले में की है। ED ने चीन के लोगों के जरिए कंट्रोल किए जा रहे गैरकानूनी इंस्टेंट स्मार्टफोन बेस्ड लोन्स के खिलाफ चल रही जांच के तहत इन तीनों कंपनियों पर यह एक्शन लिया है।

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चीन से है इन कंपनियों का कंट्रोल

रिपोर्ट्स के मुताबिक, तीनों कंपनियों के बेंगलुरु स्थित छह ठिकानों पर यह छापेमारी की गई। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) से यह मामला जुड़ा हुआ है। ED ने बताया कि रेड शुक्रवार को शुरू हुई थी और अब भी जारी है। एजेंसी की ओर से एक स्टेटमेंट में कहा गया कि चाइनीज पर्सन के कंट्रोल और ऑपरेशनल वाले रेजर-पे प्राइवेट लिमिटेड, कैशफ्री पेमेंट्स और पेटीएम पेमेंट सर्विस लिमिटेड और अन्य कंपनियों में तलाशी की कार्रवाई की गई है। छापेमारी में चीन के लोगों के जरिए इन कंपनियों के मर्चेंट ID और बैंक अकाउंट्स में जमा 17 करोड़ रुपए जब्त किए गए हैं।

ED ने आरोप लगाया कि ये कंपनियां भारतीय नागरिकों के फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर, उन्हें फर्जी तरीके से निदेशक बनाती हैं, जबकि इन कंपनियों का कंट्रोल और ऑपरेशन चीन के लोग करते हैं। ED ने बताया कि जांच के दायरे में आई ये कंपनियां पेमेंट सर्विस कंपनियों और बैंकों से जुड़ी मर्चेंट ID और अकाउंट्स का इस्तेमाल करके गैरकानूनी पैसा जुटा रही थीं और इन कंपनियों ने जो एड्रेस दिए थे वे भी फर्जी हैं। ED ने अपने बयान में आगे कहा कि ये एंटिटीज भारत में गैर कानूनी बिजनेस कर रही हैं। इसके लिए अलग-अलग मर्चेंट ID और अकाउंट्स का इस्तेमाल किया जाता है। ये ID पेटीएम, रेजरपे और कैशफ्री के हैं। यही वजह है कि तीनों कंपनियों के ठिकानों पर छापा मारा गया है।

छापेमारी में यह भी पाया गया कि आरोपी संस्थाएं कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए पतों या पंजीकृत पतों पर काम नहीं कर रही थीं। ये सभी फर्जी पते से काम कर रहे थीं। इसके साथ ही यह कंपनियां, पेमेंट सर्विस कंपनियों और बैंकों से जुड़ी मर्चेंट आइडी या खातों का इस्तेमाल करते हुए ग़ैर क़ानूनी तरीके से धन एकत्रित करती थी। ईडी ने यह कदम बेंगलुरु शहर के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज लगभग 18 FIR के आधार पर उठाया, जिसमें लोन न चुका पाने पर कंपनियों द्वारा लोगों का उत्पीड़न किया जाता था।

‘जबरदस्ती लोन और जबरन वसूली’

ध्यान देने वाली बात है कि कोविड के समय इन कंपनियों ने वर्ष 2020 में मोबाइल ऐप के माध्यम से ग्राहकों को बिना नियम एवं शर्तों को पूरी तरह से समझाये जमकर ऋण बांटें, जिनके ब्याज कई गुना ज़्यादा होते थे। अब जब लोग यह लोन चुका पाने में असमर्थ रहे तो उन्हें फ़ोन कर धमकियां दी जाती, उनके रिश्तेदारो को फ़ोन किया जाता। कई जगह तो कंपनियों के ऐसे कृत्यों के कारण लोगों ने आत्महत्या जैसे कदम तक उठा लिए।

आपको बताते चलें कि भारत का तेजी से बढ़ता बाजार और बढ़ती क्रय शक्ति क्षमता ऋण बाजार के लिए ऑक्सीजन का काम कर रही है। वित्तीय प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, ऋण प्रवाह और भी आसान हो गया है और वित्तीय कंपनियां फिन-टेक बाजार में भारी निवेश कर रही हैं। किसी व्यक्ति के सरल पैन-आधार- बैंक डेटा के साथ (CIBIL) क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड क्रेडिट स्कोर की गणना करता है और तदनुसार क्रेडिट ऐप्स ऋण वितरित करते हैं।

लेकिन इन ऐप्स के अधिकांश प्रमोटर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां हैं, इसलिए RBI के लिए उन्हें कानूनों की देखरेख में विनियमित करना या रखना बहुत मुश्किल हो जाता है। नतीजतन, क्रेडिट ऐप्स की बढ़ती संख्या ने वित्तीय अपराधों की एक अभूतपूर्व संख्या को जन्म दिया है, जहां पेशेवर धोखेबाज ही नहीं बल्कि इन कारोबारों को संचालित करने वाली कंपनियां एकाग्रचित तरीके से अपराध भी कर रही हैं। यह कंपनियां मोबाइल नंबर के साथ, व्यक्ति का पूरा पैन-आधार-बैंक डेटा निकालती थीं और ऋण वितरित करती थीं। यहां तक ​​​​कि अनुचित ब्याज दरें और कई छिपे हुए शुल्क देनदारों पर लगाए जाते थे। ऋण वितरित करने के बाद, वे धन प्राप्त करने के लिए जबरन वसूली और उत्पीड़न का एक जबरदस्त तरीका अपनाती थी, जिसे लेकर लोगों द्वारा शिकायतें दर्ज कराई गई थी। हालांकि, अब ये कंपनियां ईडी की रडार पर हैं और इनकी जमकर बैंड बजने वाली है।

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