COVID 19 के लिए भारत का इंट्रानेजल वैक्सीन पथ प्रदर्शक है

मेडिकल के क्षेत्र में भारत पूर्ण रूप से विकसित होने की ओर अग्रसर है

intra nasal vaccine

भारत जिसे विकासशील देश कहा जाता है वहीं भारत एक क्षेत्र में पूर्ण रूप से विकसित होने की ओर अग्रसर है। वो क्षेत्र है “औषधीय” जिसने कोरोनाकाल में भारत को नया आयाम दिया है। एक समय था जब बड़ी से बड़ी दवा और प्रमुख रूप से वैक्सीन के लिए भारत पश्चिमी देशों पर आश्रित हुआ करता था। परिस्थितियों के उलट कोरोना ने इस मिथक को तोड़ा और भारत स्वदेशी वैक्सीन बनाने में सफल हुआ। भारत ने वैक्सीन निर्माण में अब एक और उपलब्धि हासिल की है। यह कोरोना से बचाव और भारत को नयी औषधीय तकनीक और मानक को भुना पाने में सहायक होने वाली है।

वैक्सीन को मिली मंजूरी

दरअसल, भारत बायोटेक द्वारा भारत के पहले इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन को मंगलवार को डीसीजीआई की मंजूरी मिल गयी है। इसे 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए संक्रमण के खिलाफ उपयोग में लाया जाएगा। प्राथमिक टीकाकरण के लिए इस उपलब्धि की सराहना करते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने कहा, “यह कोविड के खिलाफ भारत की लड़ाई को बड़ा बढ़ावा है।”

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट करते हुए कहा कि, ‘भारत की कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को बड़ा प्रोत्साहन मिला है। भारत बायोटेक के सीएचएडी36- सार्स-कोव-एसकोविड-19 (चिम्पैंजी एडिनोवायरस वेक्टर्ड) नेजल टीके को आपात स्थिति में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के प्राथमिक टीकाकरण में इस्तेमाल की मंजूरी भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने दी है।’

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उन्होंने आगे लिखा कि इस कदम से महामारी के खिलाफ हमारी ‘सामूहिक लड़ाई’ को और मजबूती मिलेगी। मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अपने देश के विज्ञान, अनुसंधान और विकास का उपयोग किया है। ‘विज्ञान आधारित रुख और सबके प्रयास से हम कोविड-19 को हरा देंगे।’

ज्ञात हो कि इस निर्माण के बाद भारत बायोटेक की पहली नाक से दी जाने वाली कोविड-19 वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल गयी है। ऐसे में अब स्वदेशी वैक्सीनों की श्रृंखला में भारत को एक और बड़ी जीत हासिल हुई है। अब भारत पहले की तरह और बड़े स्तर पर वैक्सीन कार्यक्रम चलाने के साथ ही आश्रित देशों को वैक्सीन सुलभता के साथ प्रदान करने में सक्षम हो गया है।

रोचक बात यह है कि जो वैक्सीन निर्माता कंपनी के सूत्रों के हवाले से प्राप्त हुई है वो यह है कि हैदराबाद की कंपनी ने करीब 4000 वॉलंटियर्स पर नेजल (नाक के जरिए लिए जाने वाले टीके) का क्लीनिकल परीक्षण किया था और सुखद संयोगवश किसी में भी दुष्प्रभाव या विपरीत प्रतिक्रिया नहीं देखी गयी है। कंपनी ने कहा, ‘इंट्रानेजल टीका, बीबीआई154 श्वांस मार्ग के ऊपरी हिस्से में एंटीबॉडी पैदा करता है जिससे कोविड-19 के संक्रमित करने और प्रसार करने की संभावित क्षमता कम करने में मदद मिलती है।’

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वायरस नाक में ही होंगे खत्म

ध्यान देने वाली बात है कि वायरस पहले नाक में मजबूती से स्थापित हो जाता है। फिर, यही वायरस फेफड़ों तक पहुंचता है जो घातक निमोनिया के अलावा गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। ऐसे में आवश्यकता है कि वायरस को फेफड़ों तक जाने ही न दिया जाए, नाक में ही वायरस को खत्म कर दिया जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता और यहीं से परेशानी बढ़ती जाती है। ऐसे में नेजल स्प्रे सहायक हो सकती है। समझने वाली बात है कि जहां से वायरस का प्रवेश होता है वहीं से इसके विरुद्ध एंटीबॉडी तैयार करने, इसे रोकने के लिए नेजल वैक्सीन काम करेगी। यह नाक के भीतरी भाग में प्रतिरोधक क्षमता को तैयार करेगी।

ज्ञात हो कि देश में हाल के समय में जो डोज दी जा रही है वह कोरोना की इंट्रा मस्कुलर वैक्सीन की है जिन्हें मांसपेशियों में दिया जाता है। इस प्रक्रिया में रक्त में एंटीबॉडी तैयार होती है। इससे कोरोना के वायरस से लड़ने की शक्ति मिलती है। इस वैक्सीन को लेकर माना यह भी जा रहा है कि वैक्सीन के क्षेत्र में यह क्रांतिकारी साबित होगा, ऐसा इस कारण से क्योंकि देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार को बढ़ाना है और इसे पार पाने के लिए नाक से दी जाने वाली वैक्सीन सहायक हो सकती है। इसमें सीरिंज का उपयोग नहीं होने से कचरे से भी छुटकार मिल सकेगा।

बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में अब सक्रिय मामलों में कुल संक्रमण का 0.12 प्रतिशत शामिल है, जबकि ठीक होने की दर बढ़कर 98.69 प्रतिशत हो गयी है। यानी ठीक होने की दर अब भी अधिक है। अब वास्तविक परिदृश्य की बात करें तो COVID 19 के निराकरण के लिए भारत का यह नया इंट्रानेजल वैक्सीन पथ प्रदर्शक है, न केवल भारत के लिए बल्कि दुनियाभर के लिए।

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