कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव बना G18 बनाम गांधी

कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव केवल और केवल दिखावा है

जी-23

दबाव क्या कुछ नहीं करवा देता, परिवारपोषित पार्टी कांग्रेस को वर्ष 2014 से अपने नेतृत्व में ख़ामी और उसमें परिवारवादी शक्तियों के चक्कर में खूब लताड़ मिली है। इस लताड़ को समझने और ग़लतियों को सुधारने में कांग्रेस को 8 बरस लग गए। अनेकों चुनाव बलि देने पड़े और विपक्षी के तौर पर भी योग्य और सुपात्र बनने के लिए उसे संघर्ष करना पड़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप अब अरसे बाद गैर-गांधी कांग्रेस अध्यक्ष तो बनने जा रहा है पर इस बार यह चुनाव कांग्रेस बनाम कांग्रेस नहीं बल्कि कांग्रेस बनाम जी-18 होने जा रहा है।

चुनाव की नैया में दो नाम

दरअसल, देश की वयोवृद्ध पार्टी कांग्रेस 22 वर्षों में पहली बार पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव करने जा रही है। इस चुनाव की नैया में दो नाम सामने आ रहे हैं। एक वो जो पहले दिन से गांधी परिवार के प्रति अपना सर्वस्व लुटाने में मदमस्त रहे जो हैं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत। दूसरे वो जो पार्टी के मुखर आलोचक भी हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेता भी हैं। ऐसे जी-18 गुट के एक सदस्य शशि थरूर हैं। कांग्रेस आलाकमान यह जताना चाहता है कि इस बार अध्यक्ष पद का चुनाव पारदर्शी तरीके से हो रहा है जहां दोनों प्रत्याशी गैर-गांधी हैं।

यह सर्वविदित है कि राहुल गांधी समेत पूरे गांधी परिवार के सबसे विश्वासपात्र इस समय अशोक गहलोत ही हैं तो उनकी उम्मीदवारी का चयन तो होना ही था। दूसरी ओर शशि थरूर भले ही जी-18 गुट के नेताओं में से एक क्यों न हों, अध्यक्ष बनने के लिए साथ तो मैडम-बाबा और बेटी का ही चाहिए। अर्थात् सोनिया-राहुल और प्रियंका के मुहर के बग़ैर तो कांग्रेस में पत्ता भी हिलने से रहा। यह तो पहले से ही कहा जा रहा था कि राहुल गांधी इस बार कोई उम्मीदवारी पेश नहीं करेंगे। वर्तमान में भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हुए राहुल का अभी दिल्ली आना भी तय नहीं है। ऐसे में इस चुनाव में सामने से राहुल की कोई भूमिका होगी ऐसा न के बराबर ही है।

यह भी सत्य है कि चुनाव और चयन भले ही गैर-गांधी का ठप्पा लगाकर हो रहा है पर शाश्वत सत्य तो यही है कि जैसे डॉ. मनमोहन सिंह काग़ज़ी पीएम थे उसी की तर्ज़ पर अब गांधी परिवार कागजी अध्यक्ष को कांग्रेस की कमान सौंपने जा रहा है। यदि शशि थरूर तक जी-18 वाले गुट से होने के बाद भी अध्यक्ष बन जाते हैं फिर भी परिस्थिति वही रहेगी। जो उपदेश 10 जनपथ से जारी होगा शशि थरूर उसका अनुसरण करते ही दिखायी देंगे।

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मुकाबला शशि थरूर और अशोक गहलोत के बीच

कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग अभी भी चाहता है कि राहुल गांधी उनका नेतृत्व करें, पार्टी की कई राज्य इकाइयों ने इस बाबत प्रस्ताव भी पारित किए हैं। लेकिन अभी के लिए मुकाबला शशि थरूर और अशोक गहलोत के बीच का होगा।

इस घटनाक्रम पर भाजपा ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव को दिखावा बताया है। भाजपा के शहजाद पूनावाला ने कहा कि “यह केवल कॉस्मेटिक दिखावे के लिए एक चुनाव है। गांधी परिवार के पास रिमोट कंट्रोल होगा, ठीक वैसे ही जैसे उनकी सरकार के दौरान मनमोहन सिंह को रिमोट से चलाया था।”

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सारगर्भित बात यही है कि कांग्रेस आलाकमान कितना भी दिखावा करें कि चुनाव पारदर्शिता से हो रहा है। जिसका मन है वो अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ सकता है पर सच्चाई इससे कोसों दूर है। यह पूरा चुनाव प्लान्ट किया जा रहा है, इसमें लेश मात्र भी ईमानदारी या पारदर्शिता नहीं है।

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