पाकिस्तान और चीन दोस्ती का दिखावा तो बहुत करते हैं। परंतु हकीकत तो यही है कि पाकिस्तान और चीन की यह दोस्ती केवल कुछ समझौतों पर ही टिकी है। हालांकि अब पाकिस्तान-चीन की यह कथित एकता और दोस्ती बिखरती हुई दिखने लगी है। चीन ने पाकिस्तान को बड़ा झटका देते हुए Pok के नीलम-झेलम नदी जलविद्युत प्रोजेक्ट को रोक दिया हैं। चीन का इस प्रोजेक्ट को रोकना यह दिखाता है कि अब CPEC का अंत भी होना ही वाला है, बस आधिकारिक ऐलान बाकी है
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे पाकिस्तान को चीन ने निगल लिया है और CPEC का सत्यानाश हो गया है।
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CPEC चीन का बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है
दरअसल, चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानी CPEC चीन का एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है, जिसके माध्यम से ड्रैगन पाकिस्तान को अपने जाल में फंसाकर पूरी तरह से बर्बाद कर रहा है। इस बीच चीन के द्वारा POK में बन रहे नीलम झेलम के प्रोजेक्ट को रोक दिया गया है। इसके पीछे का कारण परियोजना को लेकर स्थानीय लोगो का विरोध रहा। दरअसल, पाकिस्तान की सरकार तो CPEC को लेकर अपने आका को ना कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। परंतु Pok के लोग इस प्रोजेक्ट के विरुद्ध में निरंतर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे स्थानीय लोगों के इस विरोध से तंग आकर चीन ने नीलम झेलम नदी पर 969 मेगावाट का नीलम-झेलम जलविद्युत प्रोजेक्ट रोक दिया है। चीनी कम्पनी ने इसको लेकर कहा कि लगातार हो रहे विरोध और कर्मचारियों को पाकिस्तान पुलिस द्वारा सुरक्षा मुहैया नहीं कराने के कारण काम रोका गया है।
चीन के प्रोजेक्ट के अचानक बंद किए जाने से पाकिस्तान और चीन के संबंधों के बीच एक गहरी खाई पैदा होने की संभावना है। असल में यह चीन के महत्वाकांक्षी CPEC का अंत ही दिखाता है।
एक तरफ POK में लोग विरोध कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ CPEC के काम को रोकने के लिए बलूचिस्तान में भी विरोध प्रदर्शन निरंतर होते हैं बलूच विरोधी CPEC परियोजना के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभर रहे हैं। CPEC के विरोध में बलूच विरोधी ने हथियार तक उठा लिए और वो किसी भी कीमत पर इस परियोजना को बंद करवाना चाहते हैं। ऐसे में जब स्थानीय लोगो के विरोध के कारण चीन को नीलम झेलम प्रोजेक्ट से हाथ खींचने को मजबूर होना पड़ा तो आने वाले समय में उसे विरोध की वजह से और भी प्रोजेक्ट बंद करने को विवश होना पड़ सकता है।
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जिससे भीख मिलेगी उसका हो जाएगा पाकिस्तान
इसके अलावा चीन और पाकिस्तान भले ही एक-दूसरे का मित्र दिखाने की और साबित करने की कोशिश करते हो लेकिन अब परिस्थिति बदलती दिखने लगी हैं। पाकिस्तान तो उन देशों में से है, जो उसको भीख दे दे, वो उसी के पाले में चला जाता है। वर्तमान में अमेरिका ऐसा ही कुछ करता नजर आ रहा है। अमेरिका पाकिस्तान को अपनी तरफ लाने की कोशिशों में जुटा है। बाढ़ में बुरी तरह से डूब चुके पाकिस्तान को हाल ही में अमेरिका द्वारा 30 मिलियन डॉलर की सहायता करने की घोषणा की गई। साथ ही जो बाइडन प्रशासन ने पाकिस्तान को F-16 लड़ाकू विमान के बेड़े के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता को भी मंजूरी दे डाली है। जबकि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति रहने के दौरान आतंकियों को पालने-पोसने वाले पाकिस्तान की मदद करने की प्रथा को समाप्त कर दिया गया था। परंतु अब पाकिस्तान को अपने खेमे में लाने के मकसद से बाइडेन पाकिस्तान को दोबारा से मदद दे रहे हैं। अमेरिका से पाकिस्तान को मदद मिलने पर स्वाभाविक तौर पर चीन को मिर्ची लगनी हैं।
ऊपर से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति तो किसी से छिपी नहीं हैं। आंतकियो को अपने यहां पनाह दे देकर पाकिस्तान ने स्वयं को बर्बाद कर लिया। ऐसे में प्रोजेक्ट पर चीन ही पानी की तरह पैसा बहा रहा है- इसके बाद भी चीनी कर्मियों और अधिकारियों को सुरक्षा नहीं मिल रही है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए स्पष्ट है कि आज नहीं तो कल CPEC का सत्यानाश तय है।
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