भले ही सौ-सौ बार दोहरा लीजिए कि अजी नाम में क्या रखा है? परंतु मोदी सरकार हमें बता रही है कि वास्तव में नाम में बहुत कुछ रखा है। इन नामों को बदलकर परतंत्रता की निशानी को मिटाया जा सकता है। इससे अपने इतिहास में मौजूद काले अध्याय को मिटाकर अपनी विरासत पर गर्व किया जा सकता हैं। यही कारण है कि पिछले 8 वर्षों में मोदी सरकार एक के बाद एक लगातार कई चीजों के नाम धड़ाधड़ बदलकर गोरों के साथ भूरों और मुगलों की परछाई से भारत को निकालने की तैयारी में जुटी हुई है।
अब राजपथ कहलाएगा ‘कर्तव्य पथ’
अब मोदी सरकार की इस सूची में एक नाम राजपथ का भी जुड़ने जा रहा है। राजधानी दिल्ली का वो रास्ता जो अब तक राजपथ के नाम से जाना जाता है, उसे जल्द ही कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाएगा। इस तरह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक का जो रास्ता है वह अब कर्तव्य पथ कहलाएगा। ऐसे समय में जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तब मोदी सरकार ने औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आने और इससे जुड़े सभी प्रतीकों को खत्म करने का संकल्प लिया।
राजपथ का अर्थ होता है राजा का रास्ता। जिस रास्ते को आज हम राजपथ के नाम से जानते हैं, वो पहले किंग्सवे हुआ करता था। ब्रिटिश काल में इस पथ का नाम किंग जॉर्ज पंचम के नाम पर रखा गया। हालांकि फिर जब भारत को अंग्रेजों के राज से आजादी मिली, तो इसे बदलकर राजपथ किया गया था। अब मोदी सरकार इसे कर्तव्य पथ करने की तैयारी में हैं।
देखा जाए तो मोदी सरकार के द्वारा नाम बदलने वाली प्रक्रिया की यह सूची बहुत लंबी दिखती है। राजपथ तो केवल इसमें शामिल हो गया है। वर्ष 2014 में जब से मोदी सरकार सत्ता में आयी है तब से लेकर पिछले 8 वर्षों में अब तक कई सड़कों, योजनाओं समेत तमाम संस्थानों के नाम बदल चुकी है।
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मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद वर्ष 2015 में औरंगजेब रोड के नाम को बदला था और इसे भारत के मिसाइल मैन यानी हमारे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया था। वहीं वर्ष 2016 में मोदी सरकार ने एक और ऐतिहासिक और बड़ा फैसला लेते हुए दिल्ली में प्रधानमंत्री के निवास स्थान की तरफ जाने वाली रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया था। 2017 में डलहौजी रोड का नाम बदलकर दारा शिकोह रोड किया गया था।
पीएम मोदी लगातार उन चीजों से हमें दूर कराने के प्रयासों में लगे हैं जिसमें गुलामी की निशानी छपी हो। अब तक ब्रिटिश काल से चले आ रहे 1500 से अधिक पुराने और अप्रचलित कानूनों को सरकार द्वारा निरस्त किया जा चुका है। वहीं, गणतंत्र दिवस 2022 के अवसर पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के समापन के दौरान ’अबाइड विद मी’ धुन की जगह ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ बजवाई गई थी।
ब्रिटिश शासन से यह परंपरा चली आ रही थी कि पहले हमारे देश का बजट फरवरी के आखिरी दिन पेश होता आ रहा था। परंतु मोदी सरकार ने इस परंपरा को भी बदला और एक फरवरी को बजट पेश करने की परंपरा शुरू की। इसके साथ ही 92 सालों तक रेल बजट अलग से पेश किए जाने के बाद इसे वर्ष 2017 में केंद्रीय बजट में शामिल किया गया। ऐसे ही अपने कई निर्णयों के माध्यम से ब्रिटिशों के शासनकाल से चली आ रही कई परंपराओं का मोदी सरकार अब तक अंत करती आयी है।
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भारतीय नौसेना का ध्वज बदल दिया गया
हाल ही में भारतीय उपनिवेशवाद से भारतीय नौसेना को भी मुक्त कराते हुए उसके ध्वज में बड़ा बदलाव सरकार ने किया। मोदी सरकार ने भारतीय नौसेना के ध्वज से ब्रिटिश काल के सेंट जॉर्ज क्रॉस हटाकर उसे भारतीय नौसेना के जनक छत्रपति शिवाजी महाराज की मुहर को शामिल कराया गया।
जब भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्रता मिल गई तो एक परिवार ने हम पर राज करना शुरू कर दिया। हर योजना, हर एयरपोर्ट के नाम गांधी-नेहरू परिवार पर ही रखे जाते थे, जैसे देश इनकी ही प्रॉपर्टी हो। परंतु जब मोदी सरकार सत्ता में आयी तो ऐसे एक-एक नाम को भी मिटाने के प्रयासों में जुट गयी। खेल रत्न पुरस्कार जिसे पहले राजीव गांधी खेल रत्न के नाम से जाना जाता था, उसे बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया गया। वहीं राजीव गांधी द्वारा शुरू की गयी महत्वपूर्ण आवास योजना इंदिरा आवास योजना के नाम को प्रधानमंत्री आवास योजना किया गया।
मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद वर्ष 2015 में ही 65 सालों से चले आ रहे योजना आयोग को नया स्वरूप देते हुए इसे नीति आयोग का नाम दिया था। योजना आयोग नाम की संस्था जिसे वर्ष 1950 में वास्तव में बनाया तो देश के विकास के लिए गया था, परंतु वही आयोग प्रशासनिक अक्षमता और राजनीतिक प्रभाव में आकर देश के विकास में बाधा बन रही थी। ऐसे में इसमें सुधार करते हुए मोदी सरकार इस संस्था का बदला हुआ स्वरूप लेकर आयी जिसको नाम दिया गया नीति आयोग। नीति आयोग सरकार के थिंक टैंक के रूप में काम करता हैं।
और कुछ इस तरह मोदी सरकार के द्वारा मोदी सरकार एक-एक कर गोरों, भूरों मुगलों के अवशेषों को खत्म करने में जुटी है।
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