Maharana Pratap history essay in Hindi for Class 5-8

महाराणा प्रताप सीएम योगी

स्वागत है आपका आज के इस लेख में जहाँ हम बात करेंगे महाराणा प्रताप के बारें में, प्रस्तुत लेख महाराणा प्रताप पर निबंध है (Maharana Pratap history essay in Hindi) जो कक्षा 5 से 8 के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है और आशा करते है कि यह लेख आपको पसंद आएगा।

Maharana Pratap history essay in Hindi

Maharana Pratap history essay in Hindi: महाराणा प्रताप का इतिहास- जिस पर महाराणा प्रताप मरते दम तक अटूट रहे.. ऐसे स्वाधीनता प्रेमी, योद्धाओं के योद्धा, भारत का वीर पुत्र, मेवाड़ केसरी, हिंदुआ सूरज, चेतक की सवारी, हिन्दुपति वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जीवन परिचय प्रस्तुत करते महाराणा प्रताप आधुनिक राजस्थान के एक प्रांत मेवाड़ के शासक थे, जिसमें भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, उदयपुर, पिरावा (झालावाड़), नीमच और मंदसौर और गुजरात के कुछ हिस्से शामिल हैं।

महाराणा प्रताप जयंती 6 जून को बहादुर राजपूत योद्धा की जयंती के रूप में मनाई जाती है। महाराणा उदय सिंह और महारानी जयवंता बाई के सबसे बड़े पुत्र होने के नाते, महाराणा प्रताप राजपूत वीरता, वीरता और परिश्रम के प्रतीक हैं। उन्होंने अपनी मातृभूमि को उनके नियंत्रण से मुक्त करने के लिए मुगल वर्चस्व के खिलाफ लड़ाई लड़ी।जब पूरे भारत पर मुगलों का कब्जा था. उस समय दिल्ली का शासक बादशाहपुर था..

महाराणा प्रताप का जन्म

राजसमन्द में स्थित कुंभलगढ़ दुर्ग में, 9 मई 1507 को माता जीवंता बाई की कोख से महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था.. इनका पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया था. उदय सिंह ने कुंभलगढ़ को असुरक्षित मानकर जयवंता बाई को पाली भेज दिया था.

जहां महाराणा प्रताप का जन्म हुआ. पाली के जुनी कचहरी में आज भी उनके बाल काल के अवशेष मौजूद है. 1567 में जब प्रताप मात्र 27 साल के थे उस समय अकबर की मुग़ल सेना ने चित्तोड़ पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया. किला छीन जाने से प्रताप सिंह अपने पूरे परिवार सहित कुम्भलगढ़ से गोगुन्दा आ बसे. महाराणा प्रताप उदय सिंह के जेष्ठ पुत्र थे.

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महाराणा प्रताप द्वारा किये गए सराहनीय कार्य

अल्प आयु में ही प्रताप ने मुगलों से लोहा लेने की ठान ली थी, मगर बड़े लोगों द्वारा स्थति को पक्ष में न देखकर महाराणा प्रताप को युद्ध करने से रोका. प्रताप ने संगीत, मूर्तिकला और चित्रकला को संरक्षण दिया. अपने दरबार में निसारुद्दीन जैसे चित्रकार से छह राग और छतीस रागिनियों के ध्यान चित्र बनवाकर चावंड चित्र शैली को जन्म दिया.

रागमाला श्रंखला के ये चित्र अन्य कई क्षेत्रों के चित्रकारों के लिए भी अनुकरणीय हैं. यह कला भारतीय चित्रकला की निधि हैं. उन्होंने अपनी मातृभूमि को उनके नियंत्रण से मुक्त करने के लिए मुगल वर्चस्व के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

प्रताप ने देश की सम्रद्धि को बनाए रखने के लिए धातुओं की खदानों की सुरक्षा की ओर प्रमुखता से ध्यान दिया. सभी धर्मों का आदर प्रताप के व्यक्तित्व की निराली विशेषता थी. जनजाति के मुख्याओं ने प्रताप के नेतृत्व में अपूर्व विश्वास किया. उदयपुर के निकट हरिहर जैसे मंदिर उनके काल के शैव और वैष्णव धर्म की एकता को दिखाता हैं.

इस प्रकार राष्ट्रप्रेम, सर्वधर्म सद्भाव, सहिष्णुता, करुणा, स्वाधीनता के लिए युद्ध, नीतिगत महाराणा प्रताप की समाधि जन जन को इस विराट चरित्र नायक के किर्तिमय जीवन और आदर्शों की प्रेरणा देती रहेगी. राणा प्रताप के बारे में कहा गया हैं कि.

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नाम महाराणा प्रताप सिंह
जन्म 9 मई 1540
जन्म स्थान कुम्भलगढ़ दुर्ग, मेवाड़ ,राजस्थान, भारत
उम्र 56 साल (मृत्यु के समय )
मृत्यु की तारीख 19 जनवरी 1597
मृत्यु की जगह चावंड, उदयपुर जिला, राजस्थान, भारत
नागरिकता भारतीय
जाति राजपूत
गृह नगर मेवाड़ ,राजस्थान, भारत
धर्म सनातन धर्म
शासनकाल राजा , योद्धा
गुरु का नाम आचार्या राघवेन्द्र
वैवाहिक स्थिति विवाहित
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