बाइडेन को प्रसन्न करने चला था पाकिस्तान, पुतिन को क्रोधित कर बैठा

वैश्विक भिखारी पाकिस्तान को बहुत भारी पड़ेगा पुतिन से पंगा लेना

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एक बड़ी पुरानी कहावत है मरता क्या न करता? पाकिस्तान की हालत भी अभी कुछ ऐसी ही है, किसी भी तरह से वो अमेरिका को खुश करना चाहता है। अपनी घटिया आदतों की वजह से आर्थिक तंगी से तो वह जूझ ही रहा है कि तभी प्रकृति ने भी उसकी वाट लगाने का खाका खींच दिया। हाल के समय में आधा पाकिस्तान बाढ़ की चपेट में है, वहीं उसके समक्ष विश्व के दो देशों के मध्य स्वयं को तटस्थ रखने की चुनौती भी है। इतने सारे संकट के बीच घिरे पाकिस्तान की हालत कन्फ़्यूज़्ड पर्सन जैसी हो गयी है, वो अपनी बुरी परिस्थिति से निपटने के लिए अपने रिश्ते रूस एवं अमेरिका दोनों के साथ बेहतर बनाने का प्रयास कर रहा है।

इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे वैश्विक भिखारी पाकिस्तान बाइडेन को प्रसन्न करने चला था लेकिन पुतिन को क्रोधित कर बैठा।

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पाकिस्तान खाद्य संकट से जूझ रहा है

दरअसल, पाकिस्तान भारत के नक्शे-कदम पर चलने का प्रयास कर रहा है, लेकिन भारत तो भारत है, भारत जैसा न तो उसके पास कुशल क्षमता है और न ही विश्व पटल पर उतनी साख है, ऐसे में उसे मुंह की खानी पड़ी है। दरअसल पाकिस्तान खाद्य संकट से जूझ रहा है इस कारण उसे गेहूं का आयात बाहरी देशों से करना पड़ रहा है। इसी क्रम में अंडर एडवाइज़र टू द पीएम ऑन फ़ॉरेन अफ़ेयर्स तारिक फ़तेमी को रूसी दूतावास से गेहूं के दाम को लेकर मोलभाव करने के लिए कमेटी का चेयरमैन बनाया गया था।

ध्यान देने वाली बात है कि रूसी सरकार ने पाकिस्तान सरकार के सामने $410 प्रति मैट्रिक टन के हिसाब से गेहूं बेचने का प्रस्ताव रखा था। इसी के मद्देनज़र रूसी प्रतिनिधि दल पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्रालय से मिला था और $405 प्रति मैट्रिक टन के हिसाब से बेचने की पेशकश की जिसे बाद में घटाकर $400 प्रति मैट्रिक टन कर दिया। अंततः पाकिस्तान के खाद्य सुरक्षा मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय की सिफारिश पर रूसी सरकारी कम्पनी प्रोडिनटोर्ग से $399.50 प्रति MT के हिसाब से 120,000 MT गेहूं ख़रीदने की पेशकश की।

बाद में आदत के अनुसार पाकिस्तान ने साफ झूठ बोलते हुए कहा की रूसी कम्पनी की तरफ़ से $390 प्रति मैट्रिक टन की पेशकश की गयी लेकिन भविष्य में दाम और गिरने की संभावनाओं को मद्देनज़र रखते हुए हमने यह डील रद्द कर दी।

इससे भी बड़ा ब्लंडर पाकिस्तान ने जो किया है उसे जानकर अपना माथा पीट लेंगे और सोचेंगे कि पाकिस्तान अपनी औकात से आगे जाकर पुतिन से आखिर पंगा ही क्यों ले रहा है। एक तरफ़ पाकिस्तान अपने यहां उत्पन्न हुए बुखमरी के हालात से निपटने के लिए रूस से गेहूं ख़रीदने की प्रचंड मंशा रखता है तो वहीं दूसरी तरफ़ वह अपने आका बाइडेन को ख़ुश करने कि लिए यूक्रेनीयन सेना की मदद भी करता है। एक खुलासे में यह बात सामने आयी है की यूक्रेन की सेना के पास जो 122mm HE आर्टिलरी प्रोजेक्टाइल पाए गए हैं वह पाकिस्तान ऑर्डिनेन्स फ़ैक्टरी में निर्मित हैं जिसका उपयोग करके यूक्रेनी सेना ने रूसी सेना को मौत के घाट उतारा है।

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किसके इशारे पर चल रहा है पाकिस्तान?

समझना आसान है कि अमेरिका की चापलूसी में पाकिस्तान लगा रहता है, ऐसे में अब यह भी समझना बहुत आसान है कि पाकिस्तान यूक्रेन की सहायता किसके इशारे पर कर रहा है। जगज़ाहिर है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बहुत बुरी है, चारों तरफ दरवाज़ा खटखटाने के बाद अब उसे सिर्फ़ उम्मीद IMF से ही है, IMF द्वारा पाकिस्तान को $6बिलियन का बेलआउट पैकेज दिया जाना था किंतु पाकिस्तान के रूस प्रेम अलापने की वजह से अमेरिका के प्रभाव वाले IMF ने उस पर रोक लगा दी थी। इमरान सरकार लगातार अमेरिका पर हमलावर रही थी जिस कारण अमेरिका ने पाकिस्तान के ऊपर से अपना हाथ उठा लिया था, इमरान के जाने के बाद सत्ता में आए शहबाज़ शरीफ़ ने अपने पुराने आका को खुश कारने के लिए हर मुमकिन कोशिश की है, बाइडन से करीबी के चलते पाकिस्तान ने पुतिन से लोहा लेने में भी कोई संकोच नहीं किया, इसकी झलक पाकिस्तान की उस हरकत में भी साफ दिखायी देती है जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने खुल्लमखुल्ला अमेरिका से अपने देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अपील की थी।

सारगर्भित बात यह है कि पाकिस्तान की जैसी स्थिति है उससे उसे समझना चाहिए कि उसकी भलाई इसी में है कि वह अपने आका बाइडेन को ख़ुश करने के लिए पुतिन को क्रोधित नहीं कर सकता है क्योंकि पुतिन के बारे में एक कहावत बहुत विख्यात है पुतिन न तो भूलते हैं और न ही क्षमा करते हैं।

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