PCOS महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है, लेकिन इससे बड़ी समस्या ये है

इस पर बात करना बहुत आवश्यक है!

pcos

भगवान की सबसे सुंदर कृतियों में से एक है ‘स्त्री’। अगर इस दुनियां में स्त्रियां न होतीं तो शायद हम सब इस दुनिया में जन्म ही नहीं ले पाते। कुछ महिलाएं जहां अपने शरीर में होने वाली छोटी-मोटी समस्याओं को लेकर बहुत अधिक सतर्क रहती हैं वहीं कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं जो अपने शरीर में होने वाली छोटी-मोटी समस्याओं को अनदेखा कर देती हैं लेकिन बाद में यही समस्याएं एक बड़ा रूप ले लेती हैं। महिलाओं के शरीर में होने वाली कई समस्याएं ऐसी हैं जिनके बारे में वो खुद बात करने से कतराती हैं और इस कारण सालों से उन समस्याओं पर गलत जानकारी फैली हुई है। PCOS यानी पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम उनमें से एक है।

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महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या

पहले PCOS को PCOD यानी की पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में डॉक्टर के द्वारा यह तय किया गया कि इसे एक ‘डिसऑर्डर’ के रूप मे नहीं लिया जा सकता है। इसे बस कुछ लक्षणों का मिश्रण कहा जाता है, इसे एक बीमारी के रूप में नहीं देखा जाता है। PCOS महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है और सबसे दुख की बात यह है कि इस बारे में कोई बड़ी चर्चा ही नहीं हुई है। बीते कई सालों में ये समस्या महिलाओं में तेजी से बढ़ गयी है। हर साल के सितंबर के महीने को PCOS जागरूकता के रूप मे मनाया जाता है।

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम PCOS एक हार्मोनल विकार होता है जिसकी वजह से महिलाओं के शरीर में मेल हॉर्मोन एंड्रोजेन अधिक मात्रा में बनने लग जाता है। इसके कारण ओवरीज के आस पास गांठ बन जाती है। जिससे अनियमित पीरियड्स, नियमित, एण्ड्रोजन हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाना (एण्ड्रोजन हार्मोन विशेष रूप से ‘पुरुषों’ मे देखा जाता है। जैसे कि शारीरिक बालों का बढ़ना, मुंहासे व बालों का झड़ना), बढ़े हुए अंडाशय में अपरिपक्व अंडों का होना, मोटापा, डायबिटीज, एंग्जायटी और डिप्रेशन हो सकता है।

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बॉडी में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है

किसी भी महिला को PCOS होने पर उसकी बॉडी में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है जिस कारण शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लगता है। इस दबाव के कारण ही ओवरी पुरुषों वाले हार्मोंस निकालने लगती है। इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन होता है जो शरीर में पाचन तंत्र को खाने से प्राप्त होने वाले शुगर को बनाने में सहायता करता है। PCOS होने पर ये शरीर में कोटिसोल हार्मोंन के स्तर को बढ़ा देता है। जिस वजह से शरीर का इम्यून सिस्टम खराब होने लग जाता है। इम्यून सिस्टम खराब होने पर आपको और भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे- सामान्य शरीर में जो रोग ठीक होने के लिए तीन से चार दिन लगते हैं वहीं PCOS होने वाली बॉडी को इसे ठीक करने मे अधिक समय लग सकता है।

अगर सरल शब्दों में समझें तो PCOS ग्रसित महिलाओं के शरीर में सामान्य की तुलना में अधिक हार्मोन्स बनने लगते हैं। हार्मोन की अधिकता या असंतुलन होने से एक ओवुलेशन होता है जिस कारण महिलाओं का पीरियड्स यानी माहवारी भी अनियमित हो जाती है जिससे आगे चलकर महिलाओं को गर्भधारण में भी समस्या पैदा होने लगती है। PCOS का ओवरी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है जिस कारण महिलाओं के प्रजनन अंग पर बुरा प्रभाव पड़ता है। प्रजनन अंग महिलाओं के शरीर में एस्‍ट्रोजन और प्रोजेस्‍टेरोन हार्मोन बनाने मे सहायता करता है जो पीरियड्स को संतुलित बनाए रखता है।

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20 से 30 साल की उम्र में हो सकती है दिक्कत

रिसर्च की माने तो 20 से 30 साल की उम्र में ये समस्या बहुत अधिक होने की संभावना होती है। वहीं आज PCOS की समस्या महिलाओं में काफी तेजी से बढ़ती जा रही है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड रिसर्च की माने तो हमारे देश में करीब-करीब 10% महिला आबादी इस PCOS की समस्या को झेल रही हैं। साथ ही एक नये शोध में यह पता चला है कि महिलाओं में PCOS का गलत डाइग्नोसिस हो जाना एकदम आम बात है।

PCOS की समस्या 18 से 44 साल की आयु की महिलाओं में आम हार्मोनल समस्या के तौर पर ली जाती है। वहीं 10 में से एक महिला को PCOS के कारण निःसंतानता का दुख झेलना पड़ता है। PCOS के बारे में मिली जानकारी के अनुसार, इन्दिरा आईवीएफ की इनफर्टिलिटी एवं आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. स्वाति चैरसिया का कहना है कि 1721 में इटली से प्राप्त होने वाला विवरण अभी तक सबसे पुराने विवरणों में से एक है। अगर सही अर्थों में देखा जाए तो PCOS के बारे में सही जानकारी और विवरण कम है और गलत ज्यादा। हमारे देश में अगर कोई भी बीमारी महिलाओं से संबंधित होती है तो उसके ऊपर रिसर्च काफी कम प्राप्त होती है।

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PCOS के मुख्य लक्षण

PCOS में मुख्य रूप से ऑलिगोमेनोरिया यानी की एक वर्ष में नौ पीरियड्स से भी कम आना, या एमेनोरिया लगातार 3 या उससे अधिक महीनों तक पीरियड्स नहीं आना  शामिल है। हालांकि मासिक धर्म से जुड़ी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

लगातार ओव्युलेशन नहीं होना भी इस तरह की समस्या होने का मुख्य लक्षण है। हाइपरएंड्रोजेनिज्म (मुंहासे, चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल का उगना) इसके साथ ही हाइपरमेनोरिया जो की एक गंभीर और लंबा मासिक धर्म, एंड्रोजेनिक हेयर थिनिंग यानी बालों का पतला होना भी इसके अन्य लक्षण है।

PCOS की समस्या होने पर महिलाओं में सीरम इंसुलिन, इंसुलिन प्रतिरोध और होमोसिस्टीन की मात्रा काफी मात्रा में बढ़ जाती है। इससे महिलाओं का वजन भी बढ़ने लगता है।

PCOS के कोई भी निश्चित कारण नहीं होते है, इसके वंशानुगत होने के भी कुछ प्रमाण मौजूद है। इस तरह के प्रमाणों में रोगों का पारिवारिक संबंध, मोनोजायगोटिक का अधिक होना शामिल है। शरीर में इंसुलिन की मात्रा अधिक होना भी इसका एक मुख्य कारण है। PCOS के सभी तरह के मामलों में पॉलीसिस्टिक ओवरी यानी की पीसीओ हो और ओवेरियन सिस्ट हो ये जरूरी नहीं है।

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दूसरी अनेक समस्याएं

समय रहते हुए PCOS को नियंत्रित न करने पर यह दूसरी अनेक समस्याओं को जन्म दे सकता है।  जैसे-

PCOS भी एक ऐसा ही विकार है जिसके नाम पर लंबे समय से महिलाओं को डराया जा रहा है और महिलाओं के डर पर हजारों लाखों का व्यवसाय भी किया जा रहा है। आज के समय में हमारे देश में न जाने कितनी ऐसी दवाएं और उपचार मार्केट में बिक रहे हैं, जो कि इस समस्या को ठीक करने का दावा करते हैं और न जाने कितने लोगों को मूर्ख बनाते हैं। हमें इस विषय पर सही जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है। ऐसा न होने पर हम भी गलत उपचारों से इस समस्या को बढ़ा सकते हैं।

कई बार हमारे आस पास के लोग भी इसे बस एक छोटी सी बीमारी कह के इसे टाल देते हैं और समय आने पर ये अपने आप ठीक हो जाएगा इस बात की सलाह देते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। ये समस्या इतनी भी छोटी नहीं है जिसे बस यूंही अनदेखा कर दिया जाए। क्योंकि हमारे शरीर में जब भी कुछ प्रजनन संबंधी गतिविधियां होती हैं तो ये हमारी पूरे शरीर से जुड़ा हुआ होता है। समय रहते अगर इसका सही रूप से इलाज नहीं किया जाए तो ये एक गंभीर समस्या बन सकती है।

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