रविचंद्रन अश्विन: एक ऐसा खिलाड़ी जिसे वो प्यार कभी नहीं मिला, जिसका वो हक़दार था

अश्विन के जन्मदिवस पर पढ़िए, उनकी कहानी।

रविचंद्रन अश्विन

Source- TFI

कुछ ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके जन्मदिन उन्हें अविस्मरणीय बना देते हैं। ऐसा ही एक दिन हैं 17 सितंबर, अब यह दिन तो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के कारण चर्चा के केंद्र में रहती है लेकिन एक और दिग्गज के साथ इस तारीख का लेना देना है। खास बात यह है कि इस व्यक्ति का क्रिकेट के क्षेत्र से विशेष लेना देना है। भले ही आज के वक्त में भारतीय क्रिकेट टीम निर्धारित दर्जे का प्रदर्शन कर रही हो लेकिन हीरा तो हीरा ही होता है। यह एक ऐसा हीरा है, जो गेंदबाजी में अपनी फिरकी से दुनिया के धाकड़ बल्लेबाज़ों की गिल्लियां बिखेर चुका है। वहीं, जब इसे बल्लेबाजी मिलती है तो यह खिलाड़ी हर पारी में एक नया ही रंग जमा देता है।

जी हां, सही सोचा आपने, हम बात कर रहे हैं दिग्गज गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन की। जिन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर जितनी शोहरत हासिल की है ठीक उसी तरह इनके साथ कुछ विवाद भी जुड़े हैं। आज यानी 17 सितंबर को रविचंद्रन अश्विन का जन्मदिन है, जो पिछले 12 वर्षों से अनेकों उतार-चढ़ाव के बावजूद अपनी धारदार गेंदबाजी से भारतीय क्रिकेट के उत्थान में अपना योगदान दे रहे हैं। आज अश्विन अपना 36वां जन्मदिन मना रहे हैं। पिछले 12 वर्षों में अश्विन ने अपनी फिरकी के जाल में अच्छे अच्छे दिग्गज बल्लेबाजों को लपेटा है और भारतीय टीम को तनावपूर्ण वक्त में भी कई जीत दिलाई है।‌

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अश्विन की कैरम बॉल का जादू

रविचंद्रन अश्विन जब भारतीय टीम में आए थे तो टीम के तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने करियर की शुरुआती दौर में उनकी काफी मदद की थी। अश्विन विकेट टू विकेट बॉलिंग करते थे और धोनी विकेट के पीछे से उन्हें डायरेक्शन देते थे। इस का नतीजा यह हुआ कि उनकी गेंदबाजी बल्लेबाजों के लिए और अधिक खतरनाक हो गई। अश्विन की गेंदबाजी में एक ‘जादू’ कैरम बॉल का था, जो बल्लेबाजों की आंखों तक को चकमा दे देती थी। वह कैरम बॉल ऐसी चली कि अश्विन की पहचान ही कैरम बॉल बन गई। यह बिल्कुल वैसा ही था जैसे श्रीलंकाई गेंदबाज लसिथ मलिंगा अपनी यॉर्कर के लिए प्रसिद्ध थे।

अहम बात यह है कि अश्विन गेंदबाजी में तो धाकड़ हैं ही, साथ ही उनकी बल्लेबाजी भी बेहतरीन है। उनकी गेंदबाजी में भारत को विकेट मिलना तय ही रहता है और जब भारतीय क्रिकेट टीम के बल्लेबाज निराश करते हैं तो टीम के संकटमोचक के तौर पर अश्विन मौजूद होते हैं। उन्होंने टेस्ट मैचों में  यह बात कई बार साबित भी की है। अश्विन ने 86 टेस्ट मैचों में 27 की औसत से करीब 3000 रन बनाए हैं, जो कि किसी फुलटाइम गेंदबाज के बल्लेबाजी करियर के लिहाज से शानदार प्रदर्शन है। वहीं, खास बात यह है कि वनडे और टी20 के अंतिम ओवरों में अश्विन की बल्लेबाजी आती है तो वो चौके छक्के की बारिश कर टीम का स्कोरबोर्ड चलाते रहते हैं।

शानदार रहा है अश्विन का करियर

रविचंद्रन अश्विन ने अब तक के अपने करियर में 111 वनडे, 71 टेस्ट और 46 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं। तीनों फॉर्मेट में उनके नाम कुल 567 विकेट दर्ज हैं। अश्विन ने टेस्ट मैचों में 365 विकेट, वनडे मैचों में 150 विकेट और टी20 अंतरराष्ट्रीय में 52 विकेट अपने खाते में डाले हैं। उन्होंने अपने 12 वर्ष के करियर में बेहद उतार-चढ़ाव देखे हैं। मौजूदा समय में अनिल कुंबले के बाद अश्विन ही भारत के सबसे सफल फिरकी बॉलर हैं। अश्विन के नाम कई ऐसे रिकॉर्ड दर्ज हैं, जो उन्हें एक शानदार क्रिकेटर बनाते हैं।बल्लेबाजी और ऑलराउंड परफॉर्मेंस की बात तो हम कर ही रहे हैं लेकिन उनके द्वारा एक अनोखा रिकॉर्ड भी रचा गया था। अश्विन टेस्ट क्रिकेट में एक ही मैच में शतक और पांच विकेट झटकने का कारनामा दो बार कर चुके हैं। वो ऐसा करने वाले भारत के इकलौते क्रिकेटर हैं। उन्होंने दोनों बार यह कारनामा वेस्टइंडीज के खिलाफ किया था, जिससे भारतीय टीम मुश्किल परिस्थितियों से आसानी से निकल सकी थी।

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IPL में चलता है अश्विन का सिक्का

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में भी अश्विन के आंकड़े उनके प्रीमियम क्लास प्लेयर होने की गवाही देते हैं। अश्विन के आईपीएल के बल्लेबाजी करियर की बात करें तो उन्होंने 179 आईपीएल मुकाबलों की 71 पारियों में 12.53 की औसत और 115.49 के स्ट्राइक रेट से 589 रन बनाए हैं। आईपीएल में उनका सर्वाधिक स्कोर 50 रन है। अश्विन ने इंडियन प्रीमियर लीग में 48 चौके और 18 छक्के जड़े हैं। इसके अलावा आपको बता दें कि अश्विन ने आईपीएल में 154 विकेट अपने नाम किए हैं, जबकि टी20 में उनके नाम कुल 273 विकेट दर्ज हैं।

अश्विन भारतीय टीम के वर्ल्ड क्लास गेंदबाज हैं। उन्हें धोनी ने हमेशा अपनी टीम में शामिल किया लेकिन जब कप्तानी विराट कोहली के पास और कोच की कुर्सी  रवि शास्त्री के पास गई तो उनका क्रिकेट करियर खत्म करने की लाखों कोशिशें की गईं। स्थिति ऐसी थी कि विराट कोहली कई बार कुल 15 खिलाड़ियों में अश्विन का नाम होने के बावजूद उन्हें अंतिम ग्यारह में शामिल नहीं करते थे और इन सबके कारण रविचंद्रन अश्विन लगभग 4 वर्ष तक भारतीय टीम से बाहर रहे। हालांकि, रोहित की कप्तानी में अश्विन हमें नजर आने लगे हैं और उनकी गेंदबाजी में वही पुरानी धार दिखती है जिससे बल्लेबाज खौफ खाते थे।

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मांकडिंग विवाद

इसके अलावा रविचंद्रन अश्विन का मांकडिंग नाम के एक नियम को लेकर विवाद भी हुआ। आईपीएल के 12वें सीजन में ‘मांकडिंग’ विवाद खड़ा हुआ था, जब पंजाब के कप्तान रविचंद्रन अश्विन ने राजस्थान के जोस बटलर को रन आउट किया, जो नॉन-स्ट्राइकर एंड पर थे। बटलर के आउट होने से ‘खेल की भावना’ पर बहस छिड़ गई और क्रिकेट की दुनिया दो भागों में बंट गई। हालांकि, नियम अश्विन के पक्ष में थे। भले ही स्पोर्ट्समैन स्पिरिट को लेकर मांकडिंग के मुद्दे पर रविचंद्रन अश्विन की क्रिकेट जगत के एक धड़े द्वारा आलोचना की गई थी लेकिन नियमों के अनुसार अश्विन सही साबित हुए थे।

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