Cuttputlli Review: ‘Ratsasan’ हम शर्मिंदा हैं

भगवान का भला हो कि अक्षय कुमार की कटपुतली एक OTT रिलीज है, नहीं तो यह रक्षाबंधन को भी पीछे छोड़ देती

Cuttputlli

कुछ फिल्में अगर OTT पर प्रदर्शित हो रही हैं तो उसके दो ही कारण है या तो उसके भाग्य फूटे हैं या फिर वो फिल्म इतनी खराब है कि OTT के अतिरिक्त वह कहीं प्रदर्शित होने योग्य नहीं है। यह बात अक्षय कुमार के हाल ही में प्रदर्शित ‘कठपुतली’ पर भी फिट बैठती है, जो न केवल खराब है अपितु इतनी बेकार है कि यह भाग्यशाली है कि इसे OTT पर प्रदर्शित होने का सौभाग्य मिल गया अन्यथा इसका हाल ‘रक्षाबंधन’ से भी बुरा होता।

और पढ़ें- “मत देखो हमारी फिल्में”, बॉलीवुड के रजवाड़ों का घमंड तो देखो

तमिल क्लासिक ‘Ratsasan’ [राक्षस] का हिन्दी रीमेक

‘कठपुतली’ निर्देशक रंजीत तिवारी द्वारा रचित एक मर्डर मिस्ट्री है जो हाल ही में हॉटस्टार पर प्रदर्शित हुआ है जिसमें अक्षय कुमार, रकुल प्रीत सिंह, चंद्रचूर सिंह, सरगुन मेहता इत्यादि प्रमुख भूमिकाओं में है। यह एक अभिलाषी लेखक अर्जन सेठी पर केंद्रित है जिसे परिस्थितियां पुलिस फोर्स में भेज देती हैं और वह कैसे कुछ वीभत्स घटनाओं को अपने तरह से सुलझाता है। यह बहुचर्चित तमिल क्लासिक ‘Ratsasan’ [राक्षस] का हिन्दी रीमेक है, जिसे तेलुगु में भी रूपांतरित किया जा चुका है।

अब एक होता है रीमेक बनाना और दूसरा होता है उसे तमीज़ से आत्मसात करना। अब हर कोई तो शाहिद कपूर या अजय देवगन है नहीं कि वह मूल फिल्म के भाव से छेड़छाड़ न करे। अक्षय कुमार ने केवल रटचासन फिल्म के प्रशंसकों का हृदय ही नहीं तोड़ा है अपितु उसके मूल भाव का ऐसा अस्थि पंजर किया है, जिसके बारे में जितना लिखे उतना काम। मूल फिल्म में वोक संस्कृति का लेशमात्र भी उल्लेख नहीं था, परंतु यहां तो उसे भी जबरदस्ती ठूंसने का प्रयास किया गया। भई, शर्म सब बेच खाए थे क्या? अरे हम भूल गए, ये बॉलीवुड है, यहां मौलिकता और रचनात्मकता के लिए तो स्थान बनाने में हवा निकलने लगती है।

रही बात अक्षय कुमार की तो इनके भाग्य अलग ही गोते खा रहा हैं। दरअसल, अक्षय कुमार की फिल्म ‘रक्षा बंधन’ काफी को रचने वाली महिला कनिका ढिल्लों हैं जिनका वामपंथ से उतना ही गहरा नाता है, जितना उमर खालिद और कन्हैया कुमार का JNU से!

और पढ़ें- रॉकेट्री की सफलता के महीनों बाद, इसरो के पूर्व वैज्ञानिकों ने नंबी नारायणन की फिल्म के दावों को बताया झूठ

कनिका ढिल्लों का प्रोफ़ाइल

कथा तो अभी आरंभ हुई है। कनिका ढिल्लों का प्रोफ़ाइल काफी रोचक है, उन्हें कोई ऐसी वैसी महोदया मत समझिएगा। किसे पता था कि ‘ईशान-सपनों को आवाज दे’ को टीवी पर लाने वाली यह महिला आगे चलकर सिल्वर स्क्रीन पर ‘रा वन’‘केदारनाथ’, ‘मनमर्ज़ियां’‘हसीन दिलरुबा’, जैसे रत्न अपने कलम से देंगी! अब मजे की बात यह है कि ‘सम्राट पृथ्वीराज’ जैसी फिल्म से सम्राट पृथ्वीराज चौहान के शौर्य पर जो बट्टा लगाया गया था, उसके गीतकारों में वरुण ग्रोवर भी शामिल थे जो घोर वामपंथी और हिन्दू विरोधी हैं और जो सम्राट पृथ्वीराज की तुलना लंकाधिपति रावण से करने में एक बार भी नहीं हिचकिचाते। इसी पर विश्लेषण करते हुए TFI के संस्थापक अतुल मिश्रा ने ट्वीट करते हुए कहा है कि “अक्षय कुमार की पिछली फिल्म “सम्राट पृथ्वीराज” के लिए गीतकार वरुण ग्रोवर थे। उनकी वर्तमान फिल्म ‘रक्षा बंधन’ के लिए ये मोहतरमा कार्य संभाल रही हैं। तो इनका क्रू कौन सेलेक्ट कर रहा है? प्रोडक्शन टीम या मिसेज़ अनफनी बोन्स?” –

परंतु लगता है वे अपनी असफलताओं से कुछ नहीं सीखे है। तभी पहले लक्ष्मी, फिर बच्चन पांडे, फिर सम्राट पृथ्वीराज, फिर रक्षा बंधन और अब कठपुतली के बाद भी वे उसी प्रकार से एक के बाद एक फिल्म छापने में लगे हुए हैं। इसके अतिरिक्त वे दो अन्य बायोपिक के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति की विरासत की भी लंका लगाने में जुटे हुए हैं, जैसे मेजर जनरल इयान कारडोज़ो, जिनके जीवनी पर आधारित ‘गोरखा’ में वे प्रमुख भूमिका निभाएंगे। ऐसे में बॉलीवुड का क्या भविष्य होगा, यह तो भगवान ही जाने।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें.

Exit mobile version