देश घर है, यहां के 135 करोड़ नागरिक इस विशाल गृह निवास के सदस्य हैं। व्यक्तिगत रूप से सभी सदस्य इस विराट घर के इकाई के प्रतिबिंब हैं और एक राष्ट्रभक्त नागरिक के रूप में बाल्यकाल से ही हम सभी के मन में इस विराट घर का एक आदर्श प्रतिबिंब बना हुआ है। वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने देश को एक नयी राह दिखाई है, जिसका परिणाम हमें आज देखने को मिल रहा है। भारत वैश्विक महाशक्तियों के मुकाबले भी काफी बेहतर स्थिति में है। इसका श्रेय यदि किसी को जाता है तो वो हैं देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज देश ही नहीं पूरी दुनिया में सम्मान मिलता है। इसका जीता जागता प्रमाण है कि वो दुनिया की दस सबसे लोकप्रिय हस्तियों में न सिर्फ शामिल हैं बल्कि शीर्ष पर भी हैं।
इसकी वजह केवल उनका देश का प्रधानमंत्री होना ही नहीं है बल्कि वो प्रयास हैं जिनकी बदौलत उन्होंने देश को एक नया मुकाम दिलाया है। आज पीएम मोदी अपना 72वां जन्मदिवस मना रहे हैं। महान नेताओं की यह आदत होती है कि वे अपने जीवन का खास दिन देश के प्रति समर्पित करते हैं और नरेंद्र मोदी भी इसी परम्परा का अनुसरण करते आए हैं। अपने 72वें जन्मदिन के अवसर पर पीएम मोदी देश को महत्वपूर्ण सौग़ात देने जा रहे हैं। मीडिया और वामपंथी नामीबिया से लाये गए चीते को लेकर हल्ला मचा रहे हैं लेकिन ध्यातव्य रहे कि मोदी सरकार आज ही नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति ला रही है, जिससे देश के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा।
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जीडीपी का 13-14% हिस्सा लॉजिस्टिक्स पर खर्च करता है भारत
सर्वप्रथम पीएम मोदी ने आज मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से एक समझौते के अंतर्गत लाए गए 8 चीतों को छोड़ा। वो आज ही देश की नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (National Logistics Policy) का अनावरण भी करेंगे। कारोबार जगत को उम्मीद है कि नई नीति में कुछ ऐसे बदलाव देखने को मिलेंगे जिससे कोविड से प्रभावित इकोनॉमी को रफ्तार पकड़ने में मदद मिलेगी। इस नीति में सप्लाई साइड की समस्याओं को हल करने की कोशिश की जाएगी। इसके अलावा, माल ढुलाई में होने वाली ईंधन की खपत को कम करने की दिशा में भी कुछ फैसले होने की उम्मीद जताई जा रही है। भारत में लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई के लिए सड़क और जल परिवहन से लेकर हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है।
वर्तमान में भारत अपनी जीडीपी का लगभग 13 से 14 प्रतिशत हिस्सा लॉजिस्टिक्स पर खर्च कर देता है जबकि जर्मनी और जापान जैसे देश इसी के लिए 8 से 9 फीसदी ही खर्च करते हैं। अब नई राष्ट्रीय नीति का यह उद्देश्य होगा कि लॉजिस्टिक्स की लागत को 13% से घटाकर 8% पर लाया जाए ताकि लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स में देश की स्थिति सुधर सके और भारत को इस क्षेत्र में विश्व के सर्वश्रेष्ठ 25 देशों में शामिल किया जा सके। नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति को लाने के क्रम में सरकार ने पिछले 8 महीने में बहुत सारे आयामों को टटोला है। भारत सरकार ने गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश समेत 14 अन्य राज्यों को भी अपने राज्य से संबंधित राज्य लॉजिस्टिक्स नीति बनाने को कहा था। वस्तुतः नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति एक सिंगल ई-लॉजिस्टिक बाज़ार बनाएगी, जिसका उद्देश्य रोज़गार एवं कौशल को बढ़ावा देने के साथ साथ एमएसएमई क्षेत्र को और प्रतिस्पर्धी बनाना है।
3 वर्ष से इस पर काम कर रही है सरकार
भारत जैसे लगभग हर देश में किसी भी जगह पर सभी ज़रूरी चीजें उपलब्ध नहीं होती हैं। आम नागरिकों के लिए खाने-पीने की चीजों से लेकर डीज़ल-पेट्रोल, इंडस्ट्री से जुड़े सामान, व्यापारियों के माल, फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल, उद्योगों को चलाने के लिए ज़रूरी ईंधन और तमाम तरह की चीजें एक जगह से दूसरी जगह ले जानी पड़ती है। इन सबके पीछे एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री और नेटवर्क काम करता है जो चीजों को तय समय पर पहुंचाता है।
लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री का मुख्य काम यही है, जरूरी सामानों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना। सामान को विदेश से लाना, उसे अपने पास स्टोर करना और फिर डिलीवरी वाली जगह पर उसे तय समय पर पहुंचाना ही लॉजिस्टिक्स का काम है। इस सब कवायद में सबसे ज्यादा खर्च ईंधन का होता है। इसके अलावा, सड़कों की अच्छी सेहत, टोल टैक्स और रोड टैक्स के साथ-साथ अन्य कई चीजें भी इस इंडस्ट्री को प्रभावित करती हैं। भारत सरकार तीन वर्ष से राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति पर काम कर रही है। कोरोना महामारी की वजह से इसमें काफी देरी भी हुई लेकिन अब पीएम मोदी से इसका अनावरण करने वाले हैं।
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बढ़ जाएगा भारतीय लॉजिस्टिक्स बाजार
ज्ञात हो कि भारत का लॉजिस्टिक क्षेत्र अत्यधिक डीफ्रेगमेंटेड है। मूलतः भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र 20 से अधिक सरकारी एजेंसियों, 40 पीजीए, 37 निर्यात प्रोत्साहन परिषदों के साथ स्वयं में बहुत जटिल है। वर्ष 2020 तक भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के अंतर्गत 12 मिलियन रोजगार आधार, 200 शिपिंग एजेंसियां, 36 रसद सेवाएं, 129 आईसीडी, 168 सीएफएस, 50 आईटी पारिस्थितिकी तंत्र और बैंक और बीमा एजेंसियां शामिल थी। भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र 22 मिलियन से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है और इस क्षेत्र में सुधार से अप्रत्यक्ष रसद लागत में 10% की कमी आएगी जिससे निर्यात में 5 से 8% की वृद्धि होगी। इसके अलावा, यह अनुमान है कि भारतीय लॉजिस्टिक्स बाजार का मूल्य वर्ष 2022 के अंत तक लगभग 215 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर जाएगा, जो वर्ष 2020 में लगभग 160 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। राष्ट्रीय लजिस्टिक नीति, संपूर्ण लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र के विकास की दिशा में एक व्यापक कदम है और साथ ही साथ यह वस्तुओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार, आर्थिक विकास एवं रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के क्रम में एक सराहनीय प्रयास भी है।
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