अच्छा तो यह है पटाखों पर अरविंद केजरीवाल के विचित्र आदेश के पीछे का वास्तविक कारण

लगता है केजरीवाल दिल्ली की जनता को कुछ अधिक मूर्ख समझते हैं

kejriwal

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अवसर पाते ही माहौल बनाना शुरू कर देते हैं कि जैसे उनसे बड़ा हिंदू कोई है ही नहीं, उनके जितना सच्चा पुरुष तो पूरे ब्रह्माण्ड में ही नहीं है। भगवान श्रीराम की भक्ति से लेकर पवनपुत्र हनुमान के प्रति वे आये दिन अपनी श्रद्धा का प्रदर्शन करते रहते हैं। लेकिन यही अरविंद केजरीवाल हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार दिवाली पर पटाखों को तुरंत बैन कर देते हैं। आप शासित दिल्ली में इस बार भी दिवाली पर पटाखे नहीं फोड़े जाएंगे। कारण है दिल्ली का प्रदूषण।

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दिल्ली में बढ़ी पटाखा बैन की समय सीमा

दरअसल, दिल्ली सरकार ने राजधानी में पटाखों पर बैन को बढ़ा दिया है। यह बैन 1 जनवरी 2023 तक रहेगा। राज्य के मंत्री गोपाल राय ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी है। सरकार का तर्क है कि दिल्ली में दिवाली के समय पटाखों के कारण प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। पिछले साल भी सरकार ने पटाखों पर बैन लगाया था। इस बार भी इसे बढ़ाने का फैसला किया गया है।

इस मामले में केजरीवाल सरकार के मंत्री गोपाल राय ने ट्वीट कर कहा है कि इस बार भी दिल्ली में पटाखों की ऑनलाइन बिक्री / डिलीवरी पर प्रतिबंध रहेगा। यह प्रतिबंध 1 जनवरी 2023 तक लागू रहेगा। प्रतिबंध को कड़ाई से लागू करने को लेकर दिल्ली पुलिस, DPCC और राजस्व विभाग के साथ मिलकर कार्य योजना बनायी जाएगी।

 

दिल्ली में लोगों को प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए पिछले साल की तरह ही इस बार भी सभी तरह के पटाखों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जा रहा है, ताकि लोगों की जिंदगी बचायी जा सके।

चलिए ठीक है दिल्ली में प्रदुषण है तो एक निर्णय ले लिया गया सरकार की ओर से लेकिन पटाखों से संबंधित निर्णय लेने के पीछे केजरीवाल कौन सा खेल खेल रहे हैं, इसे समझना आवश्यक है।

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के पटाखों पर एक बार फिर बैन लगा रहे हैं लेकिन क्या आपको पता है कि पर्यावरण से जुड़े इस मामले में महानगरपालिका यानी MCD की भी विशेष भूमिका होती है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मानो महानगरपालिका के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ही यह कदम उठाया जा रहा है‌। जानकारी के मुताबिक दिल्ली के उपराज्यपाल ने अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखी है और उनसे कहा है कि वे MCD का हिस्सा यानी 383.74 करोड़ रुपये जल्द से जल्द जारी करें। यह धनराशि पिछले दो वर्षों से लटकी हुई है।

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यह केवल ध्यान भटकाने का प्रयास है

महत्वपूर्ण बात तो यह है कि केजरीवाल सरकार के पास तो फंड की कमी रहती ही है इसलिए इससे सभी का ध्यान भटकाने के लिए ही वे पटाखों का शिगूफा लेकर आ गए हैं जिससे मुख्य मुद्दों पर बात भी न हो। वहीं एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि पहले दिल्ली में प्रदूषण का जिम्मेदार अरविंद केजरीवाल सरकार पंजाब को ठहरती थी। इस बार केजरीवाल यह बहाना भी नहीं बना सकते हैं कि पंजाब के कारण ऐसा कुछ हुआ क्योंकि दोनों ही राज्यों में उनकी ही पार्टी की सरकार है।

आम आदमी पार्टी के अधिकतर मंत्री तो भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी बनाये गये हैं, जिस शिक्षा मॉडल की बात केजरीवाल मंडली करती आयी है उस मॉडल का कहीं कोई अता-पता ही नहीं है, आबकारी का मामला अगल आप के नेताओं के सर पर सवार है। अब थोड़ा जोर डालकर समझिए कि ऐसी विपरीत परिस्थिति में आप सरकार को कुछ ऐसा मुद्दा तो चाहिए ही जिससे कि वो जनता का ध्यान भटका सके। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर केजरीवाल स्वयं को प्रो एक्टिव दिखाने का प्रयास तो कर रहे हैं लेकिन उसके पीछे का माजरा ही कुछ और है।

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