सुनो! Tucker Carlson, भारत के बारे में तुम कुछ नहीं जानते इसलिए मुंह बंद रखो

तुम्हारे जैसे ज्ञानियों को भारतीय चाय के कुल्हण के साथ पी जाते हैं!

Tucar carlson

Source- TFI

रस्सी जल गई लेकिन बल नही गया, यह कहावत पश्चिमी देशों पर एकदम सटीक बैठती है। हाल ही में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मृत्यु हो गई, जिसे लेकर सारे पश्चिमी चाटुकार पत्रकार अपना रोना रो रहे हैं। कोई शोक प्रकट कर रहा है तो कोई एलिजाबेथ के महारानी रहते ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा उनके उपनिवेशों में किए गए कार्यों की प्रशस्तियां पढ़ रहा है। यह चाटुकार पत्रकार चाटुकारिता में इस कदर डूब गए हैं कि वे वास्तविकता को भी सिरे से नकार दे रहे हैं। अपने साम्राज्यवाद के क्रम में ब्रितानिया हुकूमत ने लोगों के साथ कितना अमानवीय व्यवहार किया था और कितना नीचता का परिचय दिया था, उससे पूरी दुनिया भली भांति परिचित है लेकिन ये चाटुकार पश्चिमी पत्रकार अपने पत्रकारिता का दीन धर्म सब ब्रिटेन के शाही परिवार के समक्ष बेंच आए हैं।

तभी तो फ़ॉक्स न्यूज़ के टकर कार्ल्सन बड़बोलेपन में एक कार्यक्रम के दौरान भारत के संदर्भ में टिप्पणी करते दिखे। जिन्हें शायद ढंग से अमेरिका का इतिहास नहीं पता वो भारत के गौरवशाली इतिहास को लेकर अपना ज्ञान बघारने से नहीं चूंके। ब्रिटेन की रानी की प्रशंसा में चल रहे टीवी शो में उन्होंने महारानी द्वारा उपनिवेशों में किए गए उनके कार्यों को लेकर तारीफों के जो पुल बांधे, उससे वो पत्रकार कम और दरबारी कवि ज्यादा लग रहे थे।

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टकर कार्ल्सन को कुछ पता ही नहीं है!

टकर स्वानसन मैकनियर कार्लसन (जन्म 16 मई, 1969) एक अमेरिकी टेलीविजन होस्ट, रूढ़िवादी राजनीतिक टिप्पणीकार और लेखक हैं, जो 2016 से फॉक्स न्यूज पर रात्रिकालीन राजनीतिक टॉक शो टकर कार्ल्सन टु नाइट की मेजबानी करते हैं। महारानी की तारीफ़ों के पुलिंदो में वह गिना रहे थे कि कैसे महारानी एलिज़ाबेथ के कार्यकाल के दौरान ब्रिटेन ने अपने उपनिवेश के लोगों को सभ्य बनाया। अफ़्रीका, आस्ट्रेलिया के बाद जब वह भारत पर आए तो उन्होंने ऐसी बात बोली कि उनका ही मजाक बन गया। प्रसारित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि महारानी एलिज़ाबेथ के शासन के अंदर भारत में जो संस्कृति विकसित हुई, जो आधुनिक व्यवस्थाएं विकसित हुई, वह ब्रिटेन की महारानी की देन है।

हद तो तब हो गई जब चाटुकारिता में अंधे इस अमेरिकी पत्रकार ने कहा कि मुंबई का छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन जैसी भव्य इमारत, वास्तुकला की दृष्टि से इतनी सुंदर एवं बेहतरीन है कि भारत आज तक वैसी कोई दूसरी इमारत बना ही नही पाया। अब टकर महाशय को कौन बताए कि जब तुम्हारे देश अमेरिका में सभ्यता तक विकसित नहीं हुई थी, तब भारत में समृद्धिशाली संस्कृति अपनी पांव जमा चुकी थी और जिनकी प्रशंसा में आप दरबारी कवि हो रहे हैं उनके खाने, पहनने की वस्तुएं हम ही देते थे। वे क्या हमें संस्कृति और सभ्यता का पाठ पढ़ाएंगे। जब आप और आपके ‘आका’ खानाबदोश जीवन जी रहे थे, तब भारत के अंदर सिंधु घाटी सभ्यता फल फूल रही थी, जो एक नगरीय सभ्यता थी और आपके यहां तो तब तक ढंग से गांव भी नही बस पाए थे।

अच्छी सड़के, नालियों का उन्नत तंत्र समेत आधुनिक वास्तुकला का ज्ञान भारत में अमेरिका और ब्रिटेन से बहुत पहले था। आप मुंबई के जिस रेलवे स्टेशन भवन की बात कर रहे हैं उसकी औक़ात सिर्फ़ उतनी ही थी, इसलिए उसे आपकी महारानी ने रेलवे स्टेशन ही बनाया। जब आपके मालिक यह कुछ इमारतें बनवा रहे थे, उससे कई सौ साल पहले भारत में अनेको मंदिर ऐसे थे जो उस भवन से कहीं बेहतर थे, कभी मौक़ा मिले तो बृहदेश्वर मंदिर, खजुराहो मंदिर, कैलाश मंदिर देख आइएगा, आंख और बुद्धि दोनों खुल जाएगी।

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व्यवस्था के क्रम में आप जानते ही क्या हैं? जब पूरी पश्चिमी दुनिया मार काट में व्यस्त थी तब ‘वज्जि’ जैसे संघ में लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं थी। जी हां, वही लोकतंत्र जिसका झंडा उठाकर आपका देश अमेरिका दूसरे देशों का शोषण करता है। मौक़ा मिले तो एक बार चाणक्य द्वारा लिखे गए अर्थशास्त्र को ज़रूर पढ़िएगा, व्यवस्था को लेकर अपका सारा भ्रम टूट जाएगा। आज भारत ने ब्रिटेन को अर्थव्यवस्था में पछाड़ दिया है, सैन्य बल में ब्रिटेन कहीं टिकता नही है और फिर भी आप ऐसी ऊल-जलूल बाते करते हैं। ख़ैर चिंता मत करिए वो दिन भी ज़्यादा दूर नही है जब भारत, अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा, तब शायद यह व्हाइट मैन बर्डन थ्योरी का भूत आपके दिमाग़ से उतर जाएगा!

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