अजीब विडंबना है इस देश की, यहां नेता अपनी गंदी राजनीति के लिए भगवानों तक को नहीं छोड़ते। हां यह बात अलग है कि सारे प्रावधान केवल हिन्दू मठ-मंदिरों पर ही लागू होते हैं और इस समय राजस्थान इस मामले में अव्वल स्थान पर है। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार एक बार फिर हिन्दुओं की आस्था से खिलवाड़ करने पर उतारू है वो भी नवरात्रों से ठीक पहले। भारत के प्रमुख त्योहार नवरात्रि से पहले राजस्थान पुलिस ने राजस्थान के बाड़मेर स्थित हिंगलाज माता मंदिर के प्रशासन को नोटिस जारी कर कहा है कि वे बिना अनुमति के मंदिर के अंदर किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधियों का आयोजन नहीं कर सकते हैं। यह उसी अशोक गहलोत सरकार का एक और नया तुगलकी फरमान है जो बीते लंबे समय से सिर्फ मंदिरों को निशाने पर ले रहे हैं।
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नवरात्रों से पहले ‘तुगलकी फरमान’
दरअसल, हिंगलाज माता का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक राजस्थान में स्थित है। यहां नवरात्रों से ठीक पहले राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने यह कह दिया है कि बिना शासन-प्रशासन की अनुमति के मंदिर में कोई अनुष्ठान नहीं होगा। जब हिन्दुओं के पवित्र पर्व में से एक नवरात्रों से पहले ऐसे फरमान जारी होंगे तो क्या ही कहा जा सकता है। जिस हिंगलाज माता के मंदिर को आज तक पाकिस्तानी हुक्मरानों ने बलोचिस्तान में छूने की हिम्मत नहीं की, आज उसके एक शक्तिपीठ का अनादर देश की परिवारवादी पार्टी कांग्रेस की सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करने में लगे हुए हैं।
ज्ञात हो कि हिंगलाज माता के मंदिर की महत्ता किसी से छुपी नहीं है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में माता का एक सिद्ध पीठ है जिसे ‘हिंगलाज’ माता कहा जाता है। हिंगलाज माता का मंदिर 51 शक्तिपीठ में से एक है। इस मंदिर में नवरात्रि का पर्व बहुत ही भक्ति भाव से मनाया जाता है। माता के दर्शन के लिए यहां बड़ी संख्या में श्रृद्धालु आते हैं। पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम रावण का वध करने के बाद हिंगलाज माता के दर्शन के लिए आए थे। नवरात्रि के पर्व पर हिंगलाज माता के दरबार में बड़ी संख्या में हिंदू, सिंधी और मुसलमान श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
हिंगलाज माता का नाम हिंगलाज कैसे पड़ा इसके पीछे एक रोचक कथा है। मान्यता है कि यहां पर हिंगोल नाम का एक कबीला था, इसका राजा हंगोल था। हंगोल बहादुर राजा था लेकिन उसके दरबारी उसे पसंद नहीं करते थे। राजा के वजीर ने राजा को नशे की लत लगा दी, वो और भी कई तरह के व्यसन करने लगा। इससे कबीले के लोग परेशान हो गए और तब उन्होंने देवी से राजा को सुधारने की प्रार्थना की। माता ने उनकी प्रार्थना को सुन लिया और इस तरह से कबीले की लाज रह गयी और तभी से हिंगलाज माता कहलाने लगीं।
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हिंगलाज माता के मंदिर में उत्सव
जहां एक ओर बलूचिस्तान प्रांत में आज भी जोरों-शोरों से नवरात्रों में हिंगलाज माता के मंदिर में उत्सव का माहौल होता है। क्या हिन्दू और क्या मुस्लिम सभी यहां आकर अपनी मनोकामना पूर्ण करवाने के लिए प्रार्थी बनकर आते हैं। मुसलमान मानते हैं कि उनके लिए यह नानी का मंदिर है। यहां पहुंचने का रास्ता बेहद कठिन है जहाँ पथरीले और कच्चे रास्तों से होकर माता के मंदिर तक पहुंचा जाता है। लेकिन कहा जाता है कि जो भी माता के दरबार में जाता है वह खाली हाथ नहीं लौटता है।
वहीं भारत में स्थित हिंगलाज माता के मंदिर का कितना आदर यहां की राज्य सरकार कर रही है वो पूर्व सांसद तरुण विजय के एक ट्वीट से साफ़ हो जाता है। तरुण विजय कांग्रेस पर धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का आरोप लगाते हुए ट्वीट करते हैं कि, “ये हिंदुओं के लिए काला दिन है। जो बाजवा और शहबाज ने बलूचिस्तान के हिंगलाज माता मंदिर में नहीं किया वो गहलोत राजस्थान के हिंगलाज माता के मंदिर में कर रहे हैं। जितना हो सके उतना प्रदर्शन करिए।”
A black day for Hindus
Rajasthan’s Cong govt bans all dharmic activities in India’s largest Hinglaj Mata temple Barmer under a fake pretext. See police order. What Baweja and Shehbaz didnt do to Balochistan Hinglaj mata mandir Gehlot did in Rajasthan. Protest as much as you can pic.twitter.com/MJxbmxFfYE— Tarun Vijay ( Modi Ka Parivar) (@Tarunvijay) September 24, 2022
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यह कोई नया प्रकरण नहीं है
यह कोई नया प्रकरण नहीं है जहांं अशोक गहलोत सरकार ने अपनी हिन्दू मंदिरों के प्रति कुंठा जो उजागर किया है। बीते वर्ष मई माह में गहलोत सरकार ने लॉकडाउन की आड़ में सांगानेर, जयपुर में स्थित सभी हिंदू मंदिरों में स्पीकर को जबरन बंद करने के निर्देश दिए थे। वहीं मंदिर के सामने मस्जिद से दिन में 5 बात नमाज़ के लिए लॉउडस्पीकर बज रहे थे।
इसी वर्ष मार्च माह में, राजस्थान के चुरू जिले में प्रसिद्ध सालासर बालाजी के पास सुजानगढ़-सालासर मुख्य मार्ग पर स्थित राम दरबार की मूर्तियों के भव्य पत्थर के प्रवेश द्वार को रात के अंधेरे में तोड़ दिया गया। आरोप था कि अंधेरी रात में गहलोत सरकार ने भगवान राम और उनके दरबार की मूर्तियों पर बुलडोजर चलाया।
अप्रैल माह में राजस्थान के अलवर जिले के राजगढ़ में अधिकारियों द्वारा एक पुराने हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था। मंदिर की छत और खंभों को नष्ट करने के लिए एक जेसीबी लायी गयी थी। विध्वंस अभियान में मंदिर की मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। इंडिया टीवी की एक रिपोर्ट में कहा गया कि मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग को भी ड्रिल का उपयोग करके उखाड़ दिया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय विधायक जौहरी लाल मीणा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि कांग्रेस की नगर पालिका विध्वंस अभियान को रोक सकती थी। उन्होंने कथित तौर पर कहा कि अगर 34 पार्षदों को उनके पास लाया जाता, तो वह विध्वंस अभियान को रोक सकते थे।
राजस्थान में दंगा, उन्माद की खबरें दिनचर्या का हिस्सा हो चुकी हैं। कभी राज्य में हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का मामला हो या कभी हिन्दुओं की प्रताड़ना की बात हो कांग्रेस की गहलोत सरकार इन सभी मामलों को रोकने में नाकाम रही है। दरअसल जुलाई माह में सैयद सलमान चिश्ती ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें उसने नूपुर शर्मा को गाली दी थी और नूपुर शर्मा उनकी टिप्पणी के लिए मारने की अपील की थी। भड़काऊ बयान देने के आरोप में अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम सलमान चिश्ती को गिरफ्तार किया गया।
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पुलिस की चालाकी
खादिम की गिरफ़्तारी के दौरान जो बातें पुलिस के द्वारा की जा रही थीं उसकी वीडियो भी वायरल हुई जिसके बाद अशोक गहलोत के निर्देश पर काम कर रही राजस्थान पुलिस के कर्मी सैयद सलमान चिश्ती को यह कहते दिख रहे हैं कि, “कौन सा नशा कर रखा था वीडियो बनाते वक्त?” इसका जवाब देते हुए सलमान चिश्ती कहता है कि, “मैं नशा नहीं करता।” इसके बाद राजस्थान पुलिस ने जो कहा वो गहलोत सरकार की पोल खोलने के किए काफी था, पुलिस ने कहा कि, “बोल नशे में था, ताकि बचाया जा सके।”
कौन सा नशा कर रखा था वीडियो बनाते वक्त ?
सलमान चिश्ती: मैं नशा नहीं करता
राजस्थान पुलिस: बोल नशे में था, ताकी बचाया जाएNote : बीजेपी के नेताओं ने ये वीडियो जारी कर राजस्थान सरकार पर तुष्टिकरण करने और नुपूर शर्मा का सर कलम करने का ऐलान करने वाले को बचाने का आरोप लगाया है। pic.twitter.com/ID2yGzhxXg
— Shubhankar Mishra (@shubhankrmishra) July 6, 2022
कभी अजयमेरु का प्रतीक चिह्न माने जाने वाले पुष्कर महातीर्थ की स्थिति इतनी विकट है कि वह कब छिन्न-भिन्न हो जाए इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता। पुष्कर में स्थित ब्रह्मा मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है और यह धरोहर कभी भी धराशायी होने के मुहाने पर खड़ा है पर राज्य की अशोक गहलोत सरकार को उससे कोई सरोकार नहीं है।
अब जिनका इतिहास की हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का है, अनुष्ठानों को नीचा साबित करने का है उनसे और उम्मीद भी क्या की जा सकती है। अब अगर अशोक गहलोत की सरकार का नया तुगलकी फरमान यह कहता है कि बिना अनुमति के मंदिर के अंदर किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधियों का आयोजन नहीं कर सकते तो इसमें चकित होने की क्या ही आवश्यकता जब हमेशा से इस सरकार का ध्येय ही मुस्लिम तुष्टिकरण का रहा है। शेष अशोक गहलोत और कांग्रेस राज्य में मात्र मुस्लिम तुष्टिकरण का प्रयाय बन कर रह गए हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में जनता इसका प्रतिफल उन्हें अवश्य देगी।
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