Nari Diwas 2023: Women’s day poem in Hindi

Women's day poem in Hindi

Women’s day poem in Hindi

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम नारी दिवस के उपलक्ष के लिए महिला पर कुछ कविताओं का संग्रह (Women’s day poem in Hindi) लेकर आये है, आशा करते है यह लेख आपको पसंद आएगा।

Women’s day poem in Hindi- महिला दिवस, एक ऐसा दिन जिसमे दुनियाँ भर की महिलाओं को सम्मान दिया जाता हैं, उनका गुणगान किया जाता हैं. कई देशों में इस दिन अवकाश भी रखा जाता हैं. और कई तरह से इस दिन को मनाया जाता हैं लेकिन क्या महिलाओं की स्थिती दुनियाँ के किसी भी देश में इतनी सम्मानीय हैं क्या महिलायें अपने ही घर एवम देश में सुरक्षित हैं अधिकारों की बात क्या करे, जब सुरक्षा ही सबसे बड़ा विचारणीय मुद्दा हैं.

ऐसे में अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस जैसे दिन समाज को दर्पण दिखाने के लिए महत्वपूर्ण हैं. माना कि एक दिन से महिला विकास संभव नहीं, लेकिन कहीं ना कहीं, यह एक दिन भी पूरी दुनियाँ को एक साथ इस ओर सोचने का मौका देता हैं, जो हर हाल में महत्वपूर्ण हैं.

इसलिए इस एक दिन को छोटा समझ कर इसे भुलाने की गलती ना करे, बल्कि एकजुट होकर इस एक दिन को साकार बनाये, ताकि देश विदेश हर जगह महिला सशक्तिकरण की ओर कार्य किया जा सके.

Women’s day poem in Hindi – No.1 

स्त्री तुम पढ़ते हो मुझे सिर्फ किताबों में
तुम गढ़ते हो मुझे सिर्फ दूसरे के प्रतिमानों में
सुना तुमने सिर्फ महरिन को डाँटना
और ऑफिस की किचकिच
लिखा देखा सिर्फ बच्चों की नोटबुक
कभी जो पढ़ लेते तुम मुझे तो
शायद आज मैं स्त्री होती
तुम पढ़ते हो मुझे सिर्फ शायरी और शेरो में
तुम गढ़ते हो मुझे सिर्फ फेसबुक के स्लोगन में
सुना तुमने सिर्फ समाज के ठेकेदारों को
और कुछ निकृष्ट सोच और बातें
लिखा देखा सिर्फ अखबारों का सच
कभी जो पढ़ लेते तुम मुझे तो
शायद आज मैं स्त्री होती
तुम बाँटते हो मुझे सिर्फ रिश्तों की चौखट में
तुम गढ़ते हो मेरी आजादी सिर्फ अपने साँचों में
कहा सिर्फ तुमने अपनी दी सौगातें
कभी जो गढ़ लेते तुम मुझे तो
शायद आज मैं स्त्री होती।

नाम — डॉ शुभा श्रीवास्तव

Women’s day poem in Hindi No. 2

कभी खुद से भी खुद को देख ले ऐ नारी।।।
तेरे होने से ही चलती है दुनिया ये सारी।
कभी खुद से भी खुद को पहचान ले ऐ नारी।
तू है तो है उजाला, वरना अंधियारी सी है ये दुनिया सारी।।
तू डरती रही तो वो डराते रहे,
तू झुकती रही तो लोग झुकाते रहे,
तू सहती रही तो लोग जुल्म ढाते रहे।
तू सत्य है, यूँ असत्य न बन।
तू जीवित है, तू मिट्टी ना बन।
लोग गिराएंगे, लोग तुझे डराएंगे।
पर तू, तू डरना मत, तू गिरना मत।।
तू आगे बढ़, तू हिम्मत दिखा।
तू बन ऐसी वीरांगना जो मरकर भी आज जीवित हैं।
तू बन रानी लक्षमीबाई तू बन रानी चेन्नमा,
तू बन रानी पद्मिनी तू बन जा वीरांगना झलकारी।
तू अब न रहना चुप अब ना है चुप रहने की बारी।
तू अब लड़ना उनसे जिन्होंने तेरी लाज उघारी,
तू बन जवाब उनका जिन्होंने उठाया था तुझ पर सवाल।
तू उठ खड़ी हो और बता इन्हें,
तू है तो है दुनिया ये सारी, तू है तो है दुनिया ये सारी।
– आँचल वर्मा

Women’s day poem in Hindi No. 3

कुछ माँगा नहीं,कुछ चाहा नहीं,
बदला बस खुद को,कि रिश्ता टूट ना जाये कहीं.
आदतों को बदला,चाहतों को बदला,
भले मेरे अरमानों ने,अपनी करवट को बदला.

समन्दर की एक बूंद बन जाऊं भले,
बस समन्दर में मेरा अस्तित्व तो रहें.

धूल का एक कण भी में बन ना सकी,
मेरे त्याग की ओझल हो गई छबि.

बदली
दूर रहकर भी
जान जाती है
धरती की प्यास
और आकाश के अनुशासन को
तोड़कर बरस पड़ती है
जैसे दुधमुँहे बच्चे की
माँ के स्तनों से
टपकने लगता है दूध
बच्चे की भूख के समय…
~रंजना जायसवाल

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Women’s day poem in Hindi No. 4

नारी तुम आस्था हो तुम प्यार, विश्वास हो,
टूटी हुयी उम्मीदों की एक मात्र आस हो,
अपने परिवार के हर जीवन का तू आधार हो,
इस बेमानी से भरी दुनिया में एक तुम ही एक मात्र प्यार हो,
चलो उठों इस दुनिया में अपने अस्तित्व को संभालो,
सिर्फ एक दिन ही नहीं,
बल्कि हर दिन नारी दिवस मना लो।

ये औरत तुझे क्या कहुँ
तेरी हर बात निराली है
तू एक ऐसा पौधा है जिस घर रहे
वहा हरियाली ही हरियाली है
तेरी शान में सिर्फ इतना कह सकते है की
तेरी उचाईयो के सामने आसमान भी नहीं रह सकता
मेरी सिर्फ इतना सा एक पैगाम है
ऐ औरत तुझे मेरा सिर झुका कर सलाम है.

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Note: प्रस्तुत कविताओं से सम्बंधित समस्त अधिकार कवियत्रियों के पास सुरक्षित है एवं इस पर tfipost कोई दावा नहीं करता है, प्रस्तुत कविताएं सिर्फ पढ़ने एवं ज्ञानवर्धन के उद्देश्य से प्रेषित की गई है।

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