भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार और देश के दमदार गृह मंत्री के तौर पर देखे जाते हैं अमित शाह। यदि हम अमित शाह के राजनीतिक करियर पर प्रकाश डालेंगे तो देखेंगे कि यह बड़ा ही दिलचस्प रहा है। वह बहुत कम समय में शाह से राजनीति के शंहशाह बन गए। अमित शाह को “चाणक्य” के नाम से भी संबोधित किया जाता है। शाह की गिनती उन गिने-चुने नेताओं में होती है, जिन्हें चुनाव का रुख अपने पक्ष में करने में महारत हासिल हैं। भाजपा की सफलता की गाथा लिखने में मोदी लहर के साथ-साथ यदि किसी का योगदान रहा तो इसमें यकीनन अमित शाह की भी अहम भूमिका रही है। आज अमित शाह 58 साल के हो गए हैं। तो चलिए इस खास अवसर पर एक शानदार रणनीतिकार और कुशल आयोजक की कुछ ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गौर करते हैं।
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उत्तर प्रदेश में शाह की सफल रणनीति
भाजपा के अध्यक्ष रहते हुए वर्ष 2014 से लेकर 2019 तक अमित शाह की बनायी गयी रणनीतियां काफी सफल रही और इसी रणनीति के दम पर भाजपा ने उन राज्यों में सीटें जीतीं, जहां उनका दबदबा पहले कम रहा करता था। शाह की रणनीति के बलबूते ही भाजपा ने वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में विजय हासिल करने में सफल रही। यूपी विधानसभा चुनाव में अमित शाह के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन 300 से अधिक सीटों पर अपना कब्जा जमाने में कामयाब रहा था और यही से यूपी में आरंभ हुआ योगी राज। उत्तर प्रदेश को भाजपा की झोली में डालने के लिए शाह ने कड़ी मेहनत की और संगठन को भी मजबूती प्रदान की।
2019 फिर से बनावाई केंद्र में भाजपा की सरकार
2017 में यूपी में जीत हासिल करने के बाद शाह का अगला लक्ष्य था 2019 लोकसभा चुनाव। एक कहावत काफी प्रचलित है कि यूपी फतह करने के बाद दिल्ली की सत्ता की चाबी हासिल करना आसान हो जाता है। इस क्रम में अमित शाह ने लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाना शुरू कर दिया था। शाह ने ताबड़तोड़ रैलियां की और देशभर की सीटों के लिए योजनाएं बनाई। उनकी सूझबूझ भरी रणनीति रंग लाई और देश में पुन: पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई। इस दौरान भाजपा अकेले अपने दम पर 300 का आंकड़ा पार करने में कामयाब रही। भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनावों में 542 में से 303 सीटों पर विजय हासिल की थी। इस दौरान अमित शाह कि भविष्यवाणी भी सच हुई क्योंकि वह लगातार रैलियों में नारा लगाते आ रहे थे कि ‘अबकी बार तीन सौ पार’। और भाजपा इस लक्ष्य को हासिल करने मे कामयाब भी रही।
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अमित शाह लाये भाजपा का स्वर्ण काल
भाजपा ने 2014 से लेकर अब तक जो उपलब्धियां हासिल की हैं। उसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रिय छवि के साथ अमित शाह की कुशल रणनीतियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी हैं। फक्त चाहे वो पार्टी अध्यक्ष रहते हुए अमित शाह द्वारा बनाई गईं रणनीति हो या फिर गृह मंत्री रहते हुए उनके ऐतिहासिक निर्णय सभी ने पार्टी को ऊंचाईयां प्रदान की है। यही कारण है कि आज शाह पार्टी के सबसे सफल रणनीतिकार माने जाते हैं। आज कुछ गिने चुने राज्यों को छोड़ दे तो भाजपा ने अधिकतर राज्यों पर कब्जा जमा रखा हैं। कहीं पार्टी पूर्ण रूप से बहुमत हासिल कर सत्ता में बनी हुई है तो कही भाजपा के समर्थन वाली सरकार सत्ता में है। कई राज्यों में सरकार बनाने में शाह की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है।
अनुच्छेद 370 का सफाया
2019 में दोबारा से भाजपा सत्ता पर काबिज हुई तो इसके बाद मोदी सरकार में अमित शाह को गृह मंत्री का कार्यभार सौंपा गया। एक गृह मंत्री के तौर पर शाह ने देश के लिए कई बड़े निर्णय और साहिसक निर्णय लिये हैं। शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 की बेड़ियों से मुक्त कराने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खात्मे के फैसले के बाद अमित शाह की एक पहचान ऐसे राजनेता के रूप में छवि बन गयी, जो कड़े निर्णय लेने की सक्षमा रखता हैं। इसके बाद तो शाह को लेकर यह तक कहा जाने लगे कि उनमें सरदार पटेल की छवि दिखती हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का निर्णय अमित शाह ने गृह मंत्री बनने के बाद मात्र 2 महीने 5 दिन के भीतर लिया था। शाह के इस फैसले ने जम्मू कश्मीर का भूगोल पूरी तरह से बदलकर रख दिया। अनुच्छेद-370 हटने के बाद अब जम्मू-कश्मीर कितना बदल चुका है, यह अब सबके सामने ही है।
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देशविरोधी गतिविधियों पर NIA के ताबड़तोड़ एक्शन
अमित शाह के गृह मंत्री रहते हुए आतंकवाद और उन्हें फंड करने वालों का दम निकाला जा रहा है। वो देश से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने में जुट हुए हैं। देशविरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वालों पर कार्रवाई करने के लिए शाह ने सुरक्षा एजेंसियों को भी खुली छूट दे दी गई है। उनके इन निर्णयों का प्रभाव भी पड़ता हुआ दिख रहा है। कश्मीर से अब पत्थरबाजी की घटनाएं सामने नहीं आती। वहां आतंकी घटनाएं भी कम हो रही है। इसके अलावा देश में दंगे कराने वाले, लगभग सभी देशविरोधी गतिविधियों मे लिप्त पाये जाने वाले आतंकवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर शिकंजा कसते हुए उसे देश में प्रतिबंधित कर दिया। पीएफआई के देशव्यापी नेटवर्क को ध्वस्त करने, टेरर फंडिंग पर नकेल कसने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने ही निर्देश दिए थे।
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