आतंकवादी संगठन PFI के साथ जुड़े थे केरल के 873 पुलिसकर्मी, NIA की रिपोर्ट से खुलासा

सवालों के घेरे में कम्युनिस्ट सरकार!

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जब रक्षक ही भक्षक बन जाएंगे तो ऐसे में देश का क्या होगा? आखिर उस स्थिति में देश और देशवासियों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? यह सभी प्रश्न अभी हाल ही में केरल पुलिस को लेकर हुए एक चौंकाने वाले खुलासे के कारण उठ रहे हैं। दरअसल, अभी हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA के द्वारा राज्य पुलिस प्रमुख को एक रिपोर्ट सौंपी गयी है, जिसमें केरल पुलिस को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में केरल पुलिस के कम से कम 873 अधिकारी प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के साथ संबंध होने की बात सामने आयी हैं।

केरल पुलिस के PFI से संबंध

PFI एक आतंकवादी संगठन है। अभी पिछले ही सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे जुड़े हुए 8 संगठनों पर पांच वर्षों का बैन लगा दिया है। PFI किस तरह की गतिविधियों में लिप्त रहा है, यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं। दंगों से लेकर आतंकियों को फंडिग करने तक का कोई भी मामला हो, उससे PFI का लिंक सामने आ ही जाता है। PFI हमेशा से ही देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहा है। अब ऐसे ही संगठन के केरल पुलिस से संबंध होने की बात सामने आयी है, जो काफी चौंकाने वाला है।

इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी IB ने केरल के पुलिस महानिदेशक को इस बारे में रिपोर्ट सौंपी जिसके अनुसार केरल पुलिस के 873 अधिकारियों के प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के साथ लिंक होने का दावा किया गया है। इंटेलिजेंस ब्यूरो की इस रिपोर्ट की मानें तो सब-इंस्पेक्टर और स्टेशन हेड ऑफिसर, रैंक के अधिकारी और सिविल पुलिसकर्मी यह सभी केंद्रीय एजेंसियों की जांच के घेरे में है। सूत्रों से यह भी पता चला है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां अब इन अधिकारियों के सभी तरह के वित्तीय लेन-देन की पूरी जांच करेगी, जिससे उनका PFI के साथ कनेक्शन का पता लगाया जा सकें।

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जानकारी लीक करने का आरोप

इंटेलिजेंस ब्यूरो की इस रिपोर्ट की मानें तो, केरल पुलिस के इन सभी अधिकारियों के विरुद्ध सबसे पहला आरोप यह है कि उन्होंने एक खास छापेमारी के विषय में राज्य पुलिस की योजना की कई जानकारी भी लीक की है। इससे पहले भी फरवरी माह में थोडुपुझा में करीमन्नूर पुलिस स्टेशन से जुड़े हुए एक सिविल पुलिस अधिकारी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं की जानकारी PFI को देने के कारण सेवा से बर्खास्त किया गया था। वहीं मुन्नार थाने में भी इस तरह के आरोप के चलते एक एसआई के साथ तीन पुलिसकर्मियों का तबादला किया गया था।

अभी हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे जुड़े हुये 8 संगठनों पर पांच साल का बैन लगा दिया है। गृह मंत्रालय ने इस नोटिफिकेशन में कहा कि वैश्विक आतंकी संगठनों के साथ में संबंध और भिन्न- भिन्न प्रकार के आतंकी मामलों में शामिल होने के लिए PFI और उससे जुड़े 8 सहयोगी संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि सरकार UAPA की धारा 3(1) के अंतर्गत शक्तियों का उपयोग करते हुए PFI और उसके सहयोगियों या उनके मोर्चों को गैरकानूनी संघ घोषित कर रही है।

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पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने से पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी और प्रवर्तन निदेशालय के अलावा दूसरी कुछ एजेंसियों ने 22 सितंबर को 15 राज्यों में PFI के ठिकानों पर छापा मारा था। इस छापेमारी मे जांच करने वाली एजेंसियों को PFI  और उससे जुड़े संगठनों के खिलाफ कई सारे सबूत मिले थे। इसके बाद केंद्रीय एजेंसियों के द्वारा 9 राज्यों में PFI के ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें पहली छापेमारी में 106 और दूसरी में PFI में 247 लोगों को गिरफ्तार किया था।

केरल में PFI की जड़े गहरी

PFI से पूर्व स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया (SIMI) पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। सिमी एक इस्लामिक छात्र संगठन था, जो कई सारी आतंकी गतिविधियों में संलिप्त रहता था। इसके बाद संगठन के संस्थापक और इससे जुड़े लोगों ने ही PFI की स्थापना की थी। तो यहां पर यह कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा PFI असल में SIMI का ही एक नया वर्जन है।

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अगर सही मायनों में देखा जाए तो PFI की जड़ें केरल में काफी गहरी है। इसी के साथ यहां पर एक बड़ा प्रश्न केरल के मुख्यमंत्री पर भी उठता है कि कैसे उनके इतने सारे पुलिसकर्मी PFI की आतंक गतिविधियों मे सम्मिलित थे? इन सभी बातों से यही साबित होता है कि क्या केरल सरकार कहीं न कहीं इन आतंकवादी संगठनों को बढ़ावा देने का काम कर रही है।

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