मोबाइल फोन निर्यात: बीते कुछ वर्षों से भारत परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। जब से मोदी सरकार सत्ता में आयी देश में हमें कई सारे बदलाव होते हुए दिखने लगे। फिर चाहे वो देश की रक्षा को लेकर हो या फिर अर्थव्यवस्था को लेकर। मजबूत नेतृत्व और दूरदर्शी सोच वाली मोदी सरकार का हमेशा यही प्रयास रहा है कि देश किस तरह से उन्नति की ओर अग्रसर हो। सरकार ने नीति निर्माण, निवेश और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि भारत आज हर क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि एक बड़े निर्यातक देश के रूप में ही उभर रहा है।
बात मोबाइल फोन की ही कर लें। मोबाइल फोन आज लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गये हैं। भारत में भी मोबाइल आज ग्रामीण क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बना चुका है। एक समय ऐसा था जब भारत, चीन समेत अन्य देशों से मोबाइल फोन आयात करता था। परंतु अब कहानी बदल रही है। भारत अब सिर्फ एक मोबाइल आयातक देश नहीं रह गया है, बल्कि अब वो इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में एक निर्यातक के रूप में भी नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।
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मोबाइल फोन निर्यात ने तोड़े रिकॉर्ड
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर माह में भारत का मासिक मोबाइल फोन निर्यात पहली बार $1 बिलियन (8,200 करोड़ रुपये से अधिक) को पार कर गया है। अगर सहीं मायनों में देखा जाए तो मोबाइल फोन निर्यात को बढ़ावा सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना के द्वारा मिला है, जिसने एप्पल और सैमसंग जैसे प्रमुख स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए घरेलू विनिर्माण में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
ईटी पर उपलब्ध डेटा के अनुसार अप्रैल से सितंबर माह तक मोबाइल फोन शिपमेंट 2021 में इसी अवधि के दौरान $1.7 बिलियन से दोगुना से भी अधिक $4.2 बिलियन हो गया है। इससे पहले दिसंबर 2021 में स्मार्टफोन का सबसे बड़ा मासिक निर्यात हुआ था। देश से $770 मिलियन की कीमत वाले हैंडसेट निर्यात किये गये थे। इस साल जून से अगस्त तक निर्यात लगभग 700 मिलियन डॉलर प्रति माह के करीब था। आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2021 से सितंबर 2022 तक मोबाइल फोन के निर्यात का अनुमानित मूल्य 200 फीसदी से अधिक हो गया है।
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PLI योजना का लाभ
शुरुआत में भारत से मुख्य तौर पर साउथ एशिया,अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और ईस्टर्न यूरोप के देशों को मोबाइल फोन निर्यात किया जाता था। परंतु अब कंपनियों का अब ध्यान यूरोप और एशिया के कॉम्पिटिटिव मार्केट पर है। माना यह भी जा रहा है कि अगले पांच वर्षों की अवधि में यह कंपनियां PLI स्कीम के अंतर्गत 10.5 लाख करोड़ का प्रोडक्शन करेंगी, जिसमें निर्यात की हिस्सेदारी 60 फीसदी यानी 6.5 लाख करोड़ रुपए होगी।
इंडस्ट्री ट्रेड ग्रुप इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू नेइसको लेकर ईटी से बातचीत के दौरान कहा- ‘इस बढ़ी हुई ग्रोथ को जारी रखने के लिए हम कम टैरिफ, बेहतर लॉजिस्टिक्स, श्रम सुधार और पारिस्थितिकी तंत्र को गहरा करके प्रतिस्पर्धा में तेज़ी से सुधार करने पर भी कार्य कर रहे हैं।”
देखा जाए तो आज से कुछ वर्षों पहले मोबाइल फोन निर्यात के मामले में काफी पीछे हुआ करता था। वर्ष 2016-17 के आकंड़ों पर गौर करें तो देश से केवल 1 प्रतिशत से अधिक ही मोबाइल फोन उत्पादन का निर्यात हुआ करता था , लेकिन आईसीईए के आंकड़ों के अनुसार यह प्रतिशत 2021-22 में बढ़कर लगभग 16 प्रतिशत तक पहुंच गया है। वहीं ऐसी संभावनाएं जतायी जा रही हैं कि साल 2022-2023 में उत्पादन का लगभग 22 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।
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iPhone का निर्यात 1 अरब डॉलर से ज्यादा
अगर भारत से Apple के iPhone का निर्यात रिकॉर्ड की बात करें तो यह अप्रैल माह के बाद से पांच महीनों में आईफोन का निर्यात 1 बिलियन डॉलर के आंकड़े के पार कर चुका है। आंकड़ों के आधार पर ऐसा अनुमान लगाया गया है कि भारत में मैन्युफैक्चर हुये iPhones की आउटबाउंड शिपमेंट मार्च 2023 तक 2.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो कि मार्च 2022 तक भारत के द्वारा निर्यात किए गए 1.3 बिलियन डॉलर मूल्य के लगभग दोगुना होगा। कॉन्ट्रैक्ट पर एप्पल के फोन का निर्माण करने वाली ताइवानी कंपनियां Foxconn Technology Group, Wistron Corp और Pegatron Corp दक्षिणी भारत के प्लांट्स में iPhones बनाने का काम करती हैं। देखा जाए तो आज विदेशी कंपनियों के लिए भारत पसंदीदा बाजार बनता जा रहा है। आईफोन 14 तक भारत पर बनने की तैयारी हो रही है। संभावना तो यह तक है कि वर्ष 2025 तक चार में से एक आईफोन एप्पल भारत में बनाने लगेगी।
इस तरह के आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार नयी ऊंचाईयों को छू रहा है। साथ वे कई सारे नये अवसरों का भी लाभ उठा रहा है। पहले Apple लंबे समय तक अपने अधिकांश iPhones का निर्माण चीन में ही कर रहा था, लेकिन शी जिनपिंग और अमेरिकी सरकार के बीच तनाव के कारण कई कंपनियां चीन से बाहर निकलने के मूड़ में और ऐसे में भारत उनके लिए पसंदीदा विकल्प बन रहा है। यह एक सबसे बड़ा कारण हो सकता है कि एप्पल भी अब मैन्युफैक्चरिंग के लिए नए विकल्प के रूप में भारत को एक अच्छा साथी मान रहा है। बता दें कि बीते वर्ष भारत में लगभग 30 लाख आईफोन का निर्माण हुआ था।
भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए मोदी सरकार ने मार्च 2020 में प्रोत्साहन योजना को शुरू किया था। सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का लाभ मिलता दिख रहा है। इस कार्यक्रम की सहायता से भारत उन देशों से आगे निकलने के प्रयास कर रहा है, जो उसकी तुलना में अधिक मोबाइल फोन निर्यात कर रहे हैं। इसमें भारत को कामयाबी भी मिलती दिख रही है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2014 में लाये गये मेक इन इंडिया जैसे अभियानों का मुख्य उद्देश्य भी सफल हो रहा है।
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