“ख़ूब उछलना पहले कुछ तथ्य तो जान लो”, ऋषि सुनक को लेकर प्रत्येक भारतीय को यह अवश्य जानना चाहिए

भारतीय मूल का होने मात्र से किसी का भी समर्थन करना कितना सही?

Rishi Sunak Britain

Source- TFI

अद्भुत! अविश्वसनीय! अकल्पनीय! ये तीन शब्द हर किसी के जिह्वा पर थे, जब लंदन के चर्चित 10 डाउनिंग स्ट्रीट के नए निवासी का चयन हुआ। ब्रिटेन के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक दीपावली के शुभ अवसर पर निर्विरोध रूप से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चुने गए हैं। वो ब्रिटेन के प्रथम हिन्दू एवं प्रथम अश्वेत प्रधानमंत्री होंगे। हाल ही में लिज़ ट्रस के त्यागपत्र देने के बाद ब्रिटेन के कंजरवेटिव पार्टी में चुनाव हुआ कि कौन ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनेगा। इस परिप्रेक्ष्य में ऋषि सुनक ने दावेदारी पेश की। कंजरवेटिव पार्टी में पीएम पद की उम्मीदवारी के लिए 100 सांसदों का समर्थन जरूरी था लेकिन पेनी मोर्डेंट चुनाव में खड़े होने के लिए आवश्यक सांसदों का समर्थन जुटाने में नाकाम रही। वहीं, बोरिस जॉनसन पहले ही उम्मीदवारी की दौड़ से पीछे हट चुके थे। ऐसे में ऋषि सुनक के ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया।

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कमला हैरिस और बॉबी जिंदल उदाहरण हैं

अब ऋषि सुनक के आने से अनेक लोग आह्लादित हैं। कुछ इन्हे ‘हिन्दू हृदय सम्राट’ की पदवी दे रहे हैं तो कुछ कह रहे हैं कि ब्रिटेन से ‘कोहिनूर हीरा’ अविलंब लौटाएं। परंतु इसका अर्थ ये भी नहीं है कि ऋषि सुनक बहुत दूध के धुले है। ज़रूरी नहीं कि भारतीय मूल का होने मात्र से किसी का समर्थन कर देना चाहिए। अगर भारतीय होना इतना ही काम आता तो आज कमला हैरिस वो न होतीं जो वो हैं। हैरिस के मामले में यह काफी स्पष्ट था और जैसे ऋषि सुनक की उम्मीदवारी का समर्थन किया जा रहा था ठीक उसी तरह भारतीय जड़ों के कारण कमला हैरिस के चुनाव का स्वागत किया गया था। हालांकि, परिणाम क्या रहा वो सबके सामने है।

उसी हैरिस-बाइडेन प्रशासन ने कश्मीर पर पाकिस्तान समर्थक प्रस्ताव पारित किया। हैरिस के अतिरिक्त एक ऐसे भारतीय भी रहे हैं जिन्होंने अमेरिकी बनने के बाद स्वयं को भारतीय होने से ही अलग कर लिया था। अमेरिका के लुसियाना के पूर्व गवर्नर भारतीय मूल के बॉबी जिंदल ने अमेरिका में रह रहे भारतीयों को पाठ पढ़ाते हुए कहा था कि “खुद को भारतीय अमेरिकी कहना बंद करें।” उन्होंने स्वयं को भी भारतीय-अमेरिकी कहे जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि “उनके माता-पिता भारत से अमेरिका, अमेरिकी बनने आए थे, न कि भारतीय अमेरिकी।” ऐसे में ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने मात्र से यह सुनिश्चित नहीं होगा कि भारत और यूके में सब चंगा सी।

देखिए, भारतीयों द्वारा भारत और दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले भारतीयो के प्रति प्रेम और स्नेह जताना स्वाभाविक है। भारतीय शब्द जुड़ते ही भावनाएं प्रगाढ़ होना भारतीयों के मन में एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसे दूर करना असंभव ही है। कोई भी, कहीं भी शिखर पर पहुंच रहा हो, उपलब्धि हासिल कर रहा हो, बुलंदी पर पहुंच रहा हो, यदि वो मूल रूप से भारतीय है तो भारत का प्रत्येक नागरिक उसके समर्थन में खड़ा हो जाता है। कुछ ऐसा ही ऋषि सुनक के मामले में भी हुआ पर यह किस हद तक सही है इस पर विचार करने का समय आ गया है। परंतु यदि आज ऋषि सुनक ब्रिटेन के पीएम बन गए हैं तो इसमें इतनी उत्सुकता और प्रसन्नता किस खुशी में? जब हमने पीएम के तौर पर सोनिया गांधी का विरोध किया तो हम ऋषि सुनक के यूके के पीएम बनने से खुश क्यों हैं?

भारत को फूंक-फूंक कर रखना चाहिए कदम

आप कहेंगे कि क्यों बाल की खाल निकाल रहे हैं? परंतु ऋषि सुनक से जुड़े कई ऐसे तथ्य हैं, जिनसे पता चलता कि अभी वो समय नहीं आया है कि उन्हें सहृदय भारत का हितैषी मान लेना चाहिए। उदाहरण के लिए कई माह पूर्व ऋषि सुनक ने भारत के सबसे कट्टर शत्रुओं में से एक चीन का समर्थन करते हुए कहा था कि वो चीन की क्षमता को अनदेखा नहीं कर सकते और साथ ही साथ चीन के मार्केट को एक्सेस करने की बात पर भी विचार करने को कहा था। परंतु जब ग्लोबल टाइम्स ने इनकी प्रशंसा में गीत गाए तो बंधुवर ने अपनी बात से मानो पलटते हुए कहा, “चीन ‘हमारी तकनीक’ चुरा रहा है और हमारे विश्वविद्यालयों में घुसपैठ कर रहा है। साथ ही चीन रूसी तेल खरीदकर विदेश में व्लादिमीर पुतिन को बढ़ावा दे रहा है।”

इसके अलावा ताइवान सहित पड़ोसियों को धमकाने के प्रयास में भी लगा हुआ है। उन्होंने चीन की वैश्विक बेल्ट एंड रोड योजना पर अपमानजनक ऋण के जरिए विकासशील देशों को दबाने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं, महोदय ने आगे कहा, “हम अपनी यूनिवर्सिटीज से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को बाहर निकाल देंगे। साथ ही उच्च शिक्षा प्रतिष्ठानों को मिलने वाली £50,000 ($60,000) से अधिक की विदेशी फंडिंग का पता लगाएंगे। ब्रिटेन की घरेलू जासूसी एजेंसी MI5 का इस्तेमाल चीनी जासूसी से निपटने में मदद के लिए किया जाएगा। साइबर स्पेस में चीनी खतरों से निपटने के लिए नाटो-स्टाइल में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रयास करेंगे।”

अब बताइए, जो व्यक्ति अपनी बातों का पक्का न हो, उसपर कोई इतनी सरलता से कैसे विश्वास करेगा? लोग देख ही रहे हैं कि कमला हैरिस के नेतृत्व ने अमेरिका का क्या हाल है और भारतवंशियों तक को उन्होंने कहीं का नहीं छोड़ा है। ऐसे में ऋषि सुनक यदि ब्रिटेन के प्रधामन्त्री बने हैं तो भारत को सहृदय उन्हें स्वीकारने से पूर्व फूंक-फूंक कर कदम रखने होंगे।

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