मोमिनपुरा हिंसा: कहते हैं, कभी भी किसी के धैर्य की परीक्षा मत लो। ऐसी भूल निरंतर इतिहास में विनाश का कारण होते हैं, चाहे वो शिशुपाल के लिए हो या एडोल्फ़ हिटलर के लिए। अब ऐसा ही कुछ शीघ्र ही बंगाल में भी देखने को मिलेगा, जहां के असामाजिक तत्वों ने मान लिया था कि अब बस उनका ही राज होगा क्योंकि सर पर ममता का हाथ है ही, कोई क्या ही कर लेगा। यही गलती कर दिए। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे NIA, PFI को पटक पटक के कूटने के बाद अब बंगाल के इस्लामिस्टों की खटिया खड़ी करने को आतुर है।
हाल ही में एक अप्रत्याशित निर्णय में बंगाल में हाल ही में मोमीनपुरा में घटित सांप्रदायिक हिंसा में गृह मंत्रालय ने NIA की जांच के निर्देश दिए हैं। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के मोमिनपुरा इलाके में बीते दिनों हुई हिंसा की जांच एनआईए को सौंप दी है। भाजपा ने मोमिनपुरा हिंसा के पीछे बड़ी साजिश की आशंका जताते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी से जांच की मांग की थी। यह क्षेत्र मोमिनपुरा, कोलकाता का एक अल्पसंख्यक बहुल इलाका है। यहां 9 व 10 अक्टूबर की रात को उपद्रव हुआ था। इस दौरान कई वाहन फूंक दिए गए थे। कुछ घरों व दुकानों के बाहर जबरदस्ती झंडे लगाए जाने के बाद हिंसा भड़की थी।
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बंगाल की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने इस हिंसा को लेकर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने गृह मंत्री अमित शाह और राज्यपाल से इस उपद्रव की एनआईए से जांच की मांग की थी। अब गृह मंत्रालय ने एनआईए जांच का आदेश दे दिया है। मोमिनपुरा इलाका कोलकाता के इकबालपुर थाना क्षेत्र में आता है। यहां पैगंबर मोहम्मद की जयंती के मौके पर निकाले गए जुलूस के समर्थन में कुछ लोगों ने दूसरे संप्रदाय के घरों व दुकानों पर जबरदस्ती झंडे लगा दिए थे। इन्हें हटाने को लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए थे और हिंसा भड़क गई थी।
अब मोमिनपुरा हिंसा जांच इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि पहली बार केंद्र सरकार सक्रिय रूप से बंगाल के कट्टरपंथी मुसलमानों के विरुद्ध जांच एजेंसियों को सक्रिय होने का निर्देश दे रही है। अब ऐसा तो है नहीं कि बंगाल में इससे पूर्व कभी ऐसी घटना हुई ही नहीं थी परंतु इस जांच का स्पष्ट संदेश है – जब PFI को किसी लायक नहीं छोड़ा तो आप किस खेत की मूली हैं श्रीमान? हाल ही में कुछ समय पूर्व पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया पर केंद्र सरकार ने ताबड़तोड़ कारवाई के पश्चात प्रतिबंधित कर दिया। PFI देश के कई हिस्सों में पिछले कई वर्षों से सक्रिय था। इन जगहों पर वो अपने आतंकवादी एजेंडों को आगे बढ़ा रहा था, उन्हें पाल-पोष रहा था।
हाल ही में PFI पर लगा है बैन
इसके साथ ही उसने अपने कई सहयोगी संगठनों को भी खड़ा कर लिया। सरकार ने इन पर भी प्रतिबंध लगा दिया। ज्ञात हो कि PFI आतंकवादी संगठन है। वर्ष 2006 में नेशनल डेवलेपमेंट फ्रंट के मुख्य संगठन के रूप में PFI का गठन किया गया। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में ही था। PFI ने केरल के नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु के मनिथा नीति पसराई को साथ लेकर देश में नफरत फैलाने का काम किया। संगठन दावा करता था कि वह देश के 23 राज्यों में सक्रिय है। स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद PFI का विस्तार बहुत तेजी से हुआ। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है।
2012 में केरल सरकार ने भी यही कहा कि PFI “प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के एक अन्य रूप में पुनरुत्थान के अलावा कुछ नहीं है।” PFI के कार्यकर्ताओं के घरों से पुलिस को कई बार हथियार, बम, बारूद, तलवारें मिले थे। पीएफ़आई के विज़न 2047 डॉक्यूमेंट के अनुसार इस आतंकवादी संगठन का उद्देश्य अगले 25 वर्षों के भीतर भारत को इस्लामिक राष्ट्र घोषित करना था। संगठन का नाम राष्ट्रीय स्तर पर तब चर्चा में आया जब पैगम्बर मोहम्मद के विषय में की गई टिप्पणी को लेकर वर्ष 2010 में इसके कैडरों ने केरल के प्रोफेसर टी जे जोसेफ का दाहिना हाथ काट दिया था। बिहार से बरामद किए गए विजन 2047 के अनुसार संगठन बहुसंख्यक हिंदू समुदाय के भीतर फूट डालने एवं उन्हें आरएसएस के विरुद्ध भड़काने की योजना पर काम कर रहा था।
पीएफ़आई जैसे आतंकवादी संगठन तब तक नहीं फल-फूल सकते जब तक कि उन्हें वित्तीय संसाधन उपलब्ध ना करवाए जाएं। PFI जैसे संगठनों को निरंतर तौर पर वित्तीय मदद की जा रही थी। आइए, समझते हैं कि कहां से कितना पैसा PFI को मिल रहा था। पिछले वर्ष फरवरी में प्रवर्तन निदेशालय ने PFI और इसकी छात्र विंग कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया के 5 सदस्यों के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चार्जशीट दायर की थी। ED की जांच के अनुसार PFI का राष्ट्रीय महासचिव ए रऊफ गल्फ देशों में बिजनेस डील की आड़ में PFI के लिए धन संचय करता था। यही पैसा अलग-अलग तरीकों से आतंकवादी संगठन PFI और उसकी छात्र विंग कैंपस फ्रंस ऑफ़ इंडिया तक पहुंचता था।
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आतंकियों का लॉन्च पैड बना बंगाल
ED के अनुसार, 2009 से 60 करोड़ रुपये PFI के खातों में जमा किए गए थे। अकेले RIF के खाते में 2010 से 58 करोड़ रुपये जमा किए गए। ईडी का कहना है कि अलग-अलग स्रोतों से डोनेशन के नाम पर बहुत पैसा PFI को दिया गया। संस्था ने इसके साथ ही कहा कि जिन लोगों ने PFI को चंदा दिया, उनकी भी जांच की जाएगी। ED ने अभी तक RIF, जोकि PFI की ही एक ब्रांच है- उसके 10 खाते भी फ्रीज कर दिए।
इसके अलावा ईडी ने इसी वर्ष मार्च और अप्रैल में अब्दुल रज़ाक बीपीन और अशरफ एमके को गिरफ्तार किया था। यह दोनों ही शख्स अबू धाबी में होटल चलाते थे लेकिन होटल के पीछे इनका वास्तविक काम पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के लिए मनी लॉन्ड्रिंग करना था। इस राशि का उपयोग संगठन ने अपनी अवैध गतिविधियों के लिए किया। नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरुद्ध दिल्ली में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा हुई थी। उस वक्त भी इसी तरह की रिपोर्ट निकलकर सामने आईं थी कि आतंकवादी संगठन PFI का इसमें हाथ है। इस हिंसा में भी PFI ने उन्हीं पैसों का इस्तेमाल किया था।
फलस्वरूप पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया को भारत सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया। प्रतिबंधित करने से पहले सरकारी एजेंसियों ने दो दिनों तक नियमित तौर पर इस संगठन के ऊपर छापेमारी की। आतंकवादी संगठन से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया गया। देश के सभी हिस्सों में जांच एजेंसियों ने एक साथ छापेमारी की। इसे ऑपरेशन ऑक्टोपस का नाम दिया गया। तो इन सबका बंगाल के वर्तमान प्रकरण से क्या लेना देना? असल में जैसे भारत में इसरो का एक रॉकेट छोड़ने वाला लॉन्च पैड है और यह देश के अंतरिक्ष संबंधी विकास को दर्शाता है। इसी तरह अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने शायद एक नया ही लॉन्चर बना दिया है और ये हैं आतंकियों का लॉन्च पैड। जी हां, पश्चिम बंगाल से आए दिन आतंकी घटनाओं के मामले सामने आ रहे हैं और एक हालिया रिपोर्ट ने तो सब को सन्न करके रख दिया है।
बंगाल से पकड़े गए थे आतंकी
दरअसल, पश्चिम बंगाल में आतंकी संगठन अल कायदा से जुड़े आतंकियों को राज्य में अलग-अलग स्थानों से पकड़ा गया था और उनसे पूछताछ में यह सामने आया है कि पश्चिम बंगाल में टेरर लॉन्चिंग पैड धड़ल्ले से चल रहा है। पूछताछ में सामने आया है कि अल कायदा का बंगाल के जरिए भारत में एक बड़ा आतंकी नेटवर्क डेवलप हो गया है। जानकारी के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में पश्चिम बंगाल में आतंकी संगठन तेजी से अपना विस्तार करते पाए गए हैं। राज्य में अल कायदा की उपमहाद्वीप शाखा (अल कायदा-भारतीय उपमहाद्वीप या एक्यूआईएस) के चार सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं।
खुफिया एजेंसियों को यह जानकारी मिल चुकी है कि आतंकवादी संगठन अपने विस्तार के लिए तेजी से काम कर रहे हैं। इस मामले में पश्चिम बंगाल की राज्य पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स और खुफिया शाखा की ओर से यह बताया गया कि बंगाल में कम से कम तीन केंद्र या उग्रवादी संगठन के मॉड्यूल बनाए गए हैं। इनमें से एक 24 परगना, एक हावड़ा और तीसरा उत्तर बंगाल में है और इन तीनों ही जगह से देश के खिलाफ बड़ी आतंकी साजिश रची जा रही है।
मामले से जुड़ी खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ में तीन मॉड्यूल के कम से कम 19 लोगों के नाम मिले हैं। इनमें से 6 को पकड़ लिया गया है और इनमें से चार को एसटीएफ ने कुछ दिन पहले गिरफ्तार किया था लेकिन 13 लोग अभी भी फरार है और ये 13 आतंक का काला खेल कभी भी खेल सकते हैं। अब ऐसे में NIA का उद्देश्य स्पष्ट हैं – जब PFI की कुटाई हो चुकी है, तो बारी है बंगाली उपद्रवियों की क्योंकि देश से उपद्रवियों की गंदगी को साफ करने की नितांत आवश्यकता है।
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