कल यानी 22 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का जन्मदिन था। अमित शाह ने अपने जन्मदिन पर कांग्रेस पार्टी को एक विशेष गिफ्ट दिया है। अमित शाह ने राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट का FCRA (विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम) लाइसेंस रद्द कर दिया है। इस लाइसेंस के रद्द होने के बाद अब राजीव गांधी फाउंडेशन और चैरिटेबल ट्रस्ट विदेशी फंडिंग नहीं ले पाएंगे। अगर यह गैर-सरकारी संस्थाएं ऐसा करती पाई गईं तो इनके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। राजीव गांधी फाउंडेशन पर कार्रवाई इसलिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि इसकी अध्यक्ष स्वयं सोनिया गांधी हैं। इसके ट्रस्टी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पी. चिदंबरम, प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी हैं। ऐसे में राजीव गांधी फाउंडेशन पर कार्रवाई गांधी परिवार के लिए और मुसीबतें खड़ी कर सकती है।
Update: Home ministry cancels Foreign Contribution Regulation Act (FCRA) licences of Rajiv Gandhi Foundation (RGF) and Rajiv Gandhi Charitable Trust (RGCT), two NGOs headed by Congress leader Sonia Gandhi
— Press Trust of India (@PTI_News) October 23, 2022
क्यों हुई कार्रवाई?
अब हमारे सामने एक सवाल आता है कि राजीव गांधी फाउंडेशन पर सरकार ने कार्रवाई क्यों की? क्या यह कदम राजनीति से प्रेरित है? क्या इसके पीछे का मकसद गांधी परिवार को सबक सिखाने का है? क्या यह राजनीतिक बदला है? इसका जवाब जानने के लिए हमें थोड़ा-सा पीछे जाना होगा। जुलाई 2020 में केंद्र सरकार ने इन गैर-सरकारी संस्थाओं की फंडिंग की जांच करने के लिए एक कमेटी का गठन किया था। अब उस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। उस रिपोर्ट के आधार पर ही गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी फाउंडेशन का एफसीआरए लाइसेंस रद्द किया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में संस्थान की विदेशी फंडिंग में गड़बड़ी पाई है, इसलिए यह कार्रवाई की गई।
चीन से होती थी फंडिंग
सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग करने वाले कई हैं लेकिन इसमें कुछ नाम बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारत स्थित चीनी दूतावास और चीनी सरकार भी राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग करती थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2005-2009 तक चीनी दूतावास और चीनी सरकार ने बड़ी मात्रा में कांग्रेस की इस गैर-सरकारी संस्था को फंडिंग की। फंडिंग करने वालों में सिर्फ चीनी दूतावास और चीनी सरकार ही नहीं है बल्कि भगोड़े मेहुल चौकसी और ‘आतंकवादी’ जाकिर नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ने भी राजीव गांधी फाउंडेशन को चंदा दिया था। इसके साथ ही आरोप है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से भी पैसा राजीव गांधी फाउंडेशन में भेजा गया।
BIG- Rajiv Gandhi Foundation’s FCRA license cancelled. Gandhi family’s other two NGOs are also under ED scanner for foreign funding violation.
Note that between 2005-2009, China as “partner donor”, granted $300K to Gandhi’s NGO.
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) October 23, 2022
CAIFC ने भी दिया पैसा
चाइना एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रेंडली कॉन्टैक्ट यानी CAIFC ने भी राजीव गांधी फाउंडेशन को फंड दिया था। टीएफ़आई परिवार के वरिष्ठ सदस्य अजीत दत्ता ने ट्वीट करते हुए बताया कि वर्ष 2020 में उन्होंने राजीव गांधी फाउंडेशन की वेबसाइट पर जो जानकारी उपलब्ध थी, उसी से कुछ खोजबीन की थी। उस खोजबीन से पता चलता है कि CAIFC की स्थापना 1984 में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के हितों को दूसरे देशों में साधना है। इसके साथ ही ये दोहरी भूमिका निभाती है। एक तरफ तो CAIFC इंटेलिजेंस के लिए जानकारियां जुटाती है और दूसरी तरफ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए प्रोपेगेंडा और कैंपेन करती है।
As news comes in about the MHA cancelling the registration of the Rajiv Gandhi Foundation under FCRA this morning, please read my thread from 2020 about my findings on the foundation's own website. https://t.co/PIq7jtUJfA
— Ajit Datta (@ajitdatta) October 23, 2022
लगातार उठते रहे हैं सवाल
राजीव गांधी फाउंडेशन में फंडिंग को लेकर पिछले कई वर्षों से लगातार सवाल उठते रहे हैं। सोशल मीडिया पर लगातार फाउंडेशन पर कार्रवाई की मांग होती रही है। वर्ष 2020 में ही भाजपा के नेता अमित मालवीय ने ट्वीट करके बताया था कि दिल्ली स्थित चीनी दूतावास से राजीव गांधी फाउंडेशन को 90 लाख का डोनेशन दिया गया है। ऐसे में अब हुई यह कार्रवाई सही वक्त पर उठाया गया एक बेहतरीन कदम है। वर्ष 2014 में सरकार में आने के बाद से केंद्र की मोदी सरकार निरंतर इस दिशा में काम कर रही है कि उन गैर-सरकारी संस्थानों की फंडिंग पर रोक लगाई जाए जो कि देश विरोधी गतिविधियों से जुड़े रहते हैं।
2006-2007 FC6 return of Rajiv Gandhi Foundation, #FCRA-NGO, DL/231650615 shows 90 lakh 'donation' from Embassy of The Peoples Republic of China in India.
MoU can do wonders! From an all paid trip for the Gandhi family for opening ceremony of Olympics to donations!
HT @by2kaafi https://t.co/HIzsaTI6ZV pic.twitter.com/owEAZVcct8
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) June 25, 2020
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