बिहारी लाल का जन्म एवं शिक्षा
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे की बिहारी लाल के बारे में साथ ही इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.
1595 में जन्मे बिहारी के पिता का नाम केशवराय था, जो प्रसिद्ध हिंदी कवि केशवदास से भिन्न थे. बचपन में बिहारी को संस्कृत,प्राकृत और ज्योतिष के अध्ययन का सुयोग प्राप्त हुआ.बाद में बिहारी वृन्दावन आए और निम्बार्क समप्रदाय में राधा कृष्ण भक्ति की दीक्षा ली. इनकी काव्य प्रतिभा से प्रसन्न होकर शाइजादा खिर्र्म जो शाहजहाँ के नाम से विख्यात हुआ वह बिहारी को दिल्ली ले आए.वहाँ इन्हे शाही दरबार में प्रतिष्टा मीली. जिन्हें कई हिन्दू राजाओं ने भी सम्मान दिया.जयपुर आमेर के राजा मिर्जा राजा जयसिंह ने इनकी वार्षिक वृति बाँध दी. एक बार जब ये अपनी वृति लेने आमेर पहुचे तो वहाँ राजा जयसिंह, नवोढा रानी के अनुराग में इस तरह आसक्त थे कि राजकाज ही भुला बैठे. राजा को सचेत करने के लिए बिहारी ने यह दोहा लिखकर उनके पास भिजवाया.
”नाहि पराग नहि मधुर मधु नहि विकास इहि काल |
अली,कली ही सों बिंध्यो आगे कौन हवाल ||
इस अन्योकित ये बहुत प्रभावित हुए. प्रसन्न होकर बिहारी को पुरूस्कार के रूप में एक जागीर भेट कर दी. फिर बिहारी स्थायी रूप से आमेर में ही रहने लगे.इन्होने राजा जयसिंह के कहने पर सात सौ दोहें लिखे, जो सतसैया के नाम से विख्यात हैं. इनका निधन 1663 में हुआ.
माता-पिता –
बिहारीलाल के पिता का नाम केशव राय था तथा माता के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य – प्रमाण प्राप्त नहीं है।
जन्म –
कवि बिहारीला के जन्म के सम्बन्ध में नलिन विलोचन शर्मा और केसरी कुमार की धारण है कि इनका जन्म संवत् 1652 में हुआ था।
शिक्षा –बिहारी जब सात-आठ साल के थे, तो इनके पिता ग्वालियर छोड़कर ओरछा आ गये थे। बिहारी लाल जी ने यही सुप्रसिध्द कवि केशव दास से दर्शन किये। हलाँकि बिहारी के पिता केशव राय भी एक अच्छे कवि थे, पर वे ही केशव दास नहीं थे, जिनकी एक प्रसिध्द साहित्यकार की तरह मान्यता है। केशवदास ओरछा नरेश के यहाँ से जाने के बाद कवि बिहारी के पिताजी ने भी ओरछा को छोड़कर मधुरा की ओर प्रस्थान किया।
भाषा –
रीति काल के प्रसिध्द कवि बिहारी लाल की भाषा साहित्यक ब्रजभाषा है, जिसमें उर्दू, फारसी, पूर्वी हिंदी, बूंदेलखंडी आदि भाषा भी सम्मिलित हैं।
विवाह –
बिहारा लाल जी का विवाह मधुरा के किसी बाह्मण की कन्या के साथ हुआ था।
बिहारी लाल जी के काव्य –
- पावस रितु वृंदावन की
- खेलत फाग दुहूँ तिय कौ
- बौरसरी मधुपान छक्यौ
- जाके लिए घर आई घिघाय
- है यह आजु वसन्त समौ
- नील पर कटि तट
- जानत नहिं लागि में
- वंस बड़ौ बड़ी संगतिं पाई
- रतनारी हो थारी आँखड़िया
- बिरहानल दाह दहे तन ताप
मृत्यु death –
कवि बिहारी लाल की मृत्यु 1663 को वृन्दावन में हुई थी। अपनी पत्नी के मृत्यु के बाद बिहारी लाल वृन्दावन चले गए। और वही उन्होंने अपनी शरीर का त्याग किया।
FAQ-
Ques- बिहारी लाल कौन थे?
Ans- बिहारी लाल एक हिंदी कवि थे, जो ब्रजभाषा में सतसंग लिखने के लिए प्रसिद्ध है।
Ques- बिहारीलाल का पूरा नाम क्या है?
Ans- बिहारीलाल का पूरा नाम बिहारीलाल चौबे हैं।
Ques- बिहारीलाल का जन्म कब हुआ था?
Ans- बिहारीलाल का जी जन्म सन् 1603 में हुआ था।
Ques- बिहारीलाल का जन्म कहां हुआ था?
Ans- बिहारीलाल जी का जन्म ग्वालियर, मध्य प्रदेश (भारत) में हुआ था।
Ques-बिहारी लाल जी के पिता का क्या नाम था?
Ans- बिहारीलाल के पिता का नाम केशव राय था।
Ques- बिहारीलाल के गुरु का नाम क्या था?
Ans- बिहारीलाल जी के गुरु का नाम स्वामी बल्लभाचार्य था
Ques- बिहारीलाल की मृत्यु कब हुई थी?
Ans- बिहारीलाल जी का मृत्यु सन् 1663 में हुआ था।
Ques-बिहारीलाल की मृत्यु कहां हुई थी?
Ans- बिहारीलाल जी का मृत्यु वृंदावन, उत्तर प्रदेश (भारत) में हुआ था।
आशा करते है कि बिहारी लाल के बारे में सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे ही रोचक लेख एवं देश विदेश की न्यूज़ पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।