उत्तर प्रदेश एक विचित्र भूमि है, जहां स्वर्ग है तो नर्क भी। यहां राम भी जन्में और रावण भी। यहां धर्मनगरी काशी भी है और भारत को खंड खंड करने के विचार पालने वाली देवबंद भी, जिसका मूल केंद्र है दारुल उलूम, जो गैर मान्यता प्राप्त संस्थान है।
कुछ समय पूर्व एक क्रांतिकारी निर्णय में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी मदरसों एवं अन्य अल्पसंख्यक संस्थानों के सर्वे का निर्देश दिया था। इसी बीच यह तथ्य निकलकर सामने आया कि दारुल उलूम जो देवबंद के प्रमुख अल्पसंख्यक संस्थानों में से एक है, वह भी मान्यता प्राप्त नहीं है।
विश्व विख्यात दारुल उलूम मदरसे से देशभर के 4,500 मदरसे संबद्ध हैं। इनमें से 2100 मदरसे तो उत्तर प्रदेश में ही हैं। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी भरत लाल गोंड बताते हैं, “दारुल उलूम बिना मान्यता के संचालित हो रहा है। सबसे अहम यह है कि इन सभी गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों ने अपना सोर्स ऑफ इनकम ‘जकात’ बताया है।”
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दारुल उलूम की नींव
दैनिक भास्कर की ही इस रिपोर्ट के अनुसार दारुल उलूम 156 साल पुराना है। अंग्रेजों की हुकूमत में अंग्रेजी पर जोर दिया जा रहा था। हिंदू-मुस्लिम सभी उर्दू के जानकार थे। 30 सितंबर 1866 को भाषा को जिंदा रखने और अंग्रेजी और अंग्रेजों को उखाड़ फेंकने को दारुल उलूम की स्थापना की गयी थीं। मौलाना कासिम नानौतवी, हाजी आबिद हुसैन, फजलुर्रहमान, उस्मान, मेहताब अली, निहाल अहमद और जुल्फिकार अली ने दारुल उलूम की नींव रखी। इसमें पहले उस्ताद मुल्ला महमूद और छात्र मौलाना महमूदुल हसन थे, जिन्होंने रेशमी रुमाल आंदोलन चलाया। यहां से निकले दौर-ए-हदीस यानी मौलवी और उसके बाद मुफ्ती बनकर देश-विदेशों की मस्जिद और मदरसों में बच्चों को दीनी तालीम दे रहे हैं। अभी यहां करीब 200 उस्ताद हैं।
अब इस्लामी तालीम के बाद फतवों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध दारुल उलूम से 17 साल में ऑनलाइन करीब एक लाख से अधिक फतवे जारी किए गए हैं। दारुल उलूम में साल 2005 में फतवा ऑनलाइन विभाग स्थापित किया था। इसके बाद देश-विदेश में बैठे लाखों लोगों ने दारुल उलूम के मुफ्तियों से ऑनलाइन सवाल करना शुरू कर दिया था। डाक से दारुल उलूम के इफ्ता विभाग में लेटर आते थे।
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तो दिक्कत क्या है?
35 हजार फतवे उर्दू और करीब 9 हजार फतवे अंग्रेजी भाषा में वेबसाइट पर अपलोड किए गए हैं। 8 फरवरी 2022 को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) और सहारनपुर के DM ने अगले आदेश तक दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट बंद कर दी थी। दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी कर कहा था कि गोद लिए गए बच्चे संपत्ति के मामले में कानूनी वारिस नहीं हो सकते, जिस पर NCPCR ने कहा था कि यह अवैध है, क्योंकि यह देश के कानून के विरुद्ध है।
मुरादाबाद में 2012 और 2016 में फर्जी मदरसों की आड़ में वजीफे का बड़ा घोटाला हो चुका है। 2016 में CDO के फर्जी साइन से कई मदरसों और स्कूलों के खातों में 1.95 करोड़ रुपए डाले गए थे। जांच में यह मदरसे फर्जी निकले थे। ये सभी स्कूल महज कागजों में चल रहे थे। इसके बावजूद पिछले कई सालों से इन स्कूलों के नाम पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से वजीफा जाता रहा।
इसके अतिरिक्त फर्जी मदरसों की आड़ में मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा और बिजनौर में बड़े पैमाने पर वजीफा घोटाला हुआ था। 2016 में इस बाबत अमरोहा के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की ओर से अमरोहा में एक FIR भी दर्ज कराई गई थी। तब प्रकाश में आया था कि 7000 फर्जी बैंक खाते खोलकर मदरसों के नाम पर वजीफे की रकम हड़पी गई। इस मामले में अमरोहा क्राइम ब्रांच ने पूर्व जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को जेल भेजा गया। मंडल के अन्य जिलों में भी इस बाबत FIR दर्ज की गई थी। पुलिस को विवेचना में पता चला था कि ये सभी 7000 फर्जी बैंक खाते जनधन खातों की आड़ में खुलवाए गए थे।
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सीएम योगी आदित्यनाथ की कार्रवाई
इसी परिप्रेक्ष्य में योगी आदित्यनाथ काफी समय से एक्शन लेने में जुटे हुए हैं। ज्ञात हो कि योगी सरकार जबसे सत्ता में आयी है तब से लव-जिहाद से जुड़े मामलों पर सख़्ती बढ़ी है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि उत्तर प्रदेश में ‘लव जिहाद कानून’ के तहत पहली सजा हो चुकी हैं। बता दें एक मुस्लिम युवक को राज्य के अमरोहा जिले की एक अदालत ने एक हिंदू लड़की से अपना धर्म छिपाकर झूठे बहाने से शादी करने की कोशिश करने के आरोप में पांच साल की कैद की सजा सुनाई थी। अदालत ने राज्य के संभल जिले के निवासी मोहम्मद अफजल के रूप में पहचाने जाने वाले आरोपी पर 40,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। लव जिहाद पर ऐसा फ़ैसला आगामी भविष्य में उदाहरण पेश करने जा रहा है।
इसे योगी आदित्यनाथ की कट्टरपंथ के प्रति नो-टॉलरेंस नीति कहें या समाज में वैमनस्य वातावरण पैदा करने वालों के प्रति सख़्त रवैये का परिणाम कह सकते हैं, जो विरोधी भी अब विरोध करने से पूर्व एहतियात बरतने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। साथ ही अब उन तत्वों को सजा मिलनी शुरू हो चुकी है, जो वास्तव में समाज के सौहार्दपूर्ण वातावरण को दूषित करने का काम कर रहे हैं।
पूर्व में राज्य के सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ सहारनपुर जिले के देवबंद शहर में बहुप्रतीक्षित आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) कमांडो प्रशिक्षण केंद्र की आधारशिला रखने की मंज़ूरी देने के साथ ही शरारती और कट्टरपंथी तत्वों पर पूर्णरूपेण लॉक लगाने का काम शुरू कर चुके हैं। योगी सरकार की कार्यशैली के संदर्भ में कुछ ऐसा है कि कट्टरपंथियों, माफियाओं और गुंडा तत्व के घर और संपत्ति ही बुलडोज़र से ज़मींदोज़ करना योगी सरकार की एकमात्र तरकीब नहीं हैं बल्कि इसका खाका तो अनंत है।