मुंबई में धारा 144 लागू, क्या सुशांत सिंह राजपूत मामले में कोई बड़ी लीड मिली है?

क्या महाराष्ट्र में कुछ बड़ा होने वाला है?

मुंबई धारा 144

Source- TFI

मुंबई में धारा 144: हमने अक्सर सुना है- “कुछ बड़ा होने वाला है”, “कुछ बहुत बड़ा होने वाला है”, परंतु जो कुछ महाराष्ट्र में घटित हो रहा है, उसे देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कहीं किसी बड़ी कार्रवाई की दिशा में एकनाथ शिंदे एवं देवेन्द्र फड़नवीस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार आगे तो नहीं बढ़ रही? ऐसा क्यों है? असल में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में अगले महीने से कुछ नियमों में बदलाव देखने को मिलेंगे। 1 नवंबर से 15 नवंबर तक धारा 144 भी लागू रहेगी। मुंबई पुलिस ने इसे लेकर एक एडवाइजरी जारी की है और कुछ गाइडलाइंस निर्धारित की है, जिनका पालन करना होगा। पुलिस ने यह कदम कानून-व्यवस्था खराब होने के खतरे को भांपते हुए उठाया है। मुंबई पुलिस ने देश की आर्थिक राजधानी में 15 दिनों के लिए धारा 144 लागू करने का आदेश जारी किया है। हालांकि, यह अधिनियम अभी मुंबई के लिए ही लागू है परंतु अंदेशा है कि शीघ्र ही इसे पूरे महाराष्ट्र में भी लागू किया जा सकता है।

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महाराष्ट्र प्रशासन ने क्यों लिया है यह एक्शन?

ध्यान देने वाली बात है कि 1 नवम्बर 2022 की रात 12 बजे से 15 नवम्बर 2022 की रात 12 तक के लिए यह आदेश लागू किया गया है। इस 15 दिनों के आदेश के अंतर्गत 5 से अधिक व्यक्तियों के किसी भी जगह इकठ्ठा होने पर प्रतिबंध है। कोई भी मिलन समारोह और मिलन समारोह में लाउडस्पीकर, डीजे, वाद्य बैंड पर रोक लगा दी गई है, यहां तक कि कोई पटाखा भी नहीं फोड़ सकता। मुंबई में धारा 144 लागू होने के बाद अब किसी भी जगह पर पांच लोग एक साथ इकट्ठे नहीं हो सकते। किसी भी तरह की जनसभा का आयोजन नहीं किया जा सकता है। किसी भी तरह का कोई मार्च या रोड शो नहीं निकाला जा सकता है। मुंबई शहर में शांति, क़ानून व्यवस्था भंग होने, दंगे की स्थिति, सम्पत्ति के नुक़सान की आशंका और कई सूत्रों से मिले इनपुट के आधार पर मुंबई पुलिस ने ये बड़ा निर्णय लिया है।

परंतु ऐसा क्यों है? न तो COVID की महामारी फैलने की आशंका है, न ही CAA NRC के तर्ज पर कोई उपद्रव होने की आशंका है और न ही सेक्युलरिज्म के नाम पर किसी त्योहार पर पाबंदी लगाई जाने वाली है क्योंकि दीपावली जाने कब का बीत चुका है। ऐसे में निम्नलिखित संभावनाएं हो सकती हैं जिसके कारण यह फैसला लिया गया है –

1) महाराष्ट्र प्रशासन कोई महत्वपूर्ण कार्रवाई करेगी

2) NCB पुनः छापा मारेगी

3) किसी महत्वपूर्ण हस्ती को जेल में डाला जा सकता है

महाराष्ट्र में क्या कुछ बड़ा होने वाला है?

प्रथम और द्वितीय दोनों संभव है परंतु इनके आसार कम लगते हैं क्योंकि इनके लिए उन्हें इतनी ताम झाम की आवश्यकता नहीं। बिना लाग लपेट के हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने कुछ समय पूर्व पालघर के साधुओं की नृशंस हत्या की जांच CBI को सौंप दी। ऐसे में यह बात तो समझ से परे है कि एकनाथ शिंदे और देवेन्द्र फडणवीस मुंबई प्रशासन को केवल तनिक ‘कड़क कार्रवाई’ के लिए इतना सतर्क कर दे, जो केंद्र सरकार या फिर इन्हीं के सरकार के लिए रोज का काम है। तो क्या यह किसी अन्य मामले से संबंधित है? हो सकता है। परंतु कौन से? जब पालघर CBI के केंद्र में है और एंटीलिया वाला NIA के राडार पर, तो क्या यह मामला सुशांत सिंह राजपूत और दिशा सालियान की रहस्यमयी मृत्यु से संबंधित है? पता नहीं, लेकिन वर्तमान गतिविधियां भी इसी ओर संकेत दे रही हैं।

अब अगर यहां पर किसी को हिरासत में लिया जाता है तो वह आम व्यक्ति तो होगा नहीं। वह ऐसा ही व्यक्ति होगा, जिसके अंदर सम्पूर्ण महाराष्ट्र को अव्यवस्थित करने, रक्तपात मचाने का दम हो। परंतु ऐसा काम करने की शक्ति जिन लोगों में है, उनमें से कुछ या तो जेल की हवा खा रहे हैं या फिर उनमें लक्षण वैसे अवश्य होंगे पर वास्तविक क्राइम नहीं किया होगा। उदाहरण के लिए सुशांत सिंह राजपूत मामले पर सबसे अधिक आक्रामक होकर कार्रवाई का विरोध करने वाले संजय राउत अब नवंबर तक जेल से बाहर नहीं निकल रहे और उनके अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का क्या होगा, ये ईश्वर ही जाने।

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परंतु आदित्य ठाकरे? वो इस मामले से भी जुड़े हुए हैं क्योंकि उनपर राणे परिवार ने साक्ष्य मिटाने के आरोप लगाए थे। चलिए एक बार को मान लेते हैं कि आदित्य ठाकरे का इन सब से कोई संबंध नहीं और वो केवल ठाकरे परिवार के सदस्य होने के कारण बॉलीवुड से मजबूत संबंध बनाए हुए हैं। परंतु इन बातों से भी पीछे नहीं हटा जा सकता है?एबीपी के एक लेख के अनुसार, दिशा सालियान के अभिभावकों ने कुछ माह पूर्व तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को पत्र लिखते हुए नारायण राणे और उनके पुत्र नितेश राणे के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी और कहा था कि वे उनकी बेटी की आड़ में राजनीति कर रहे हैं। आश्चर्य की बात ये थी कि यह बात उन्हें तब स्मरण हुई, जब उनकी पुत्री को गए दो वर्ष से अधिक हो चुका था और यह पत्र उसी समय लिखा गया, जब उद्धव सरकार सत्ता में थी एवं उनके प्रिय अफसरों में से एक सचिन वाझे को NIA ने हिरासत में ले लिया था। अब यह केवल संयोग तो नहीं हो सकता। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार की वर्तमान गतिविधियां इस बात का संकेत देती है कि राज्य में कोई बड़ी कार्रवाई अवश्य हो सकती है लेकिन वह कब और किसपर होगी, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। परंतु इतना तो तय है कि अब महाराष्ट्र में असामाजिक तत्वों की खैर नहीं!

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