एफिल टॉवर कहाँ है इतिहास एवं रोचक तथ्य
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे एफिल टॉवर कहाँ है के बारे में साथ ही इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.
एफिल टावर फ्रांस की राजधानी paris में स्थित है। एफिल टावर को जाना जाता है इसके बेहतरीन डिजाइन के लिए। यह टावर जिस जमाने बना था उस जमाने में यह paris की सबसे ऊंची इमारत थी
एफिल टावर जिसे अब फ्रांस की पहचान के तौर पर जाना जाता है। इसके निर्माण के पीछे एक लंबी कहानी है। दरअसल एफिल टावर का निर्माण 1887 ईस्वी में फ्रांस की क्रांति के 100 साल पूरे हो जाने की खुशी में किया गया था। इस टावर को बनाने से पहले फ्रांस की सरकार ने कुछ शर्तें रखी थी। जिसे ध्यान में रखकर ही इसका निर्माण किया गया है। सरकार द्वारा दिए गए शर्तों को ध्यान में रखते हुए। इंजीनियर मॉरिस कोएचलीं और एमिली नौगुइएर ने एफिल टावर के डिजाइन और ढांचे पर काम करना शुरू कर दिया। दोनों ने मिलकर टावर के लिए कई अलग-अलग तरह के डिजाइन पेश किए। इन डिजाइंस को कई विशेषज्ञों के सामने पेश किया गया।
एफिल टॉवर का निर्माण एवं इसका इतिहास –
एफिल टॉवर अब फ्रांस की राजधानी पैरिस की पहचान बन चुका है। इसका निर्माण 1887 ईसवी में फ्रांस की क्रांति को 100 साल पूरे हो जाने की खुशी मे किया गया था। आपको बता दें कि इसके निर्माण के लिए फ्रांस की सरकार ने कुछ शर्तें भी रखी थी। टॉवर बनाने के लिए यह शर्त रखी गई थी कि, इस टॉवर का निर्माण लोहे का इस्तेमाल कर होना चाहिए, और इसकी ऊंचाई करीब 300 मीटर होनी चाहिए एवं एफिल टॉवर के चारों स्तंभों के बीच की दूरी करीब 125 मीटर होनी चाहिए।
जिसमें से कुछ लोगों ने इस डिजाइन की सराहना की, लेकिन कुछ लोगों ने इन दोनों इंजीनियर के द्धारा बनाई गई डिजाइन की काफी निंदा की, यहां तक की कई लोगों ने तो इसे अपनाने से तक मना कर दिया था, इसके बाद दोनों इंजीनियर ने काफी समय तक इस एफिल टॉवर की डिजाइन में सुधार किया, फिर इसके बाद इस टॉवर की फाइनल डिजाइन को बनाने में महान इंजीनियर “गुस्ताव एफिल” ने की।
एफिल टावर के निर्माण में धातु का इस्तेमाल –
मजबूत एफिल टावर का निचला भाग वर्ग के आकार में बना हुआ है। जिसे बनाने में मेटल का इस्तेमाल किया गया है। यह टावर करीब 18000 लोहे के टुकड़ों और 2.5 मिलियन कील की सहायता से बना है। इसे बेहद खास तरीके से असेंबल किया गया है। यही कारण है कि यह टावर वर्षों से मजबूती के साथ खड़ा है।
एफिल टॉवर बनाने के लिए लगाये गए कुछ नियम –
एफिल टॉवर में सिर्फ एफिल कंपनी का ही शेयर होगा और इस टॉवर का प्रतिनिधित्व भी कंपनी ही करेगी।दूसरे और हैरान कर देने वाले नियम के मुताबिक एफिल टॉवर के निर्माण के करीब 20 साल बाद इसे नष्ट कर दिया जाएगा। इन नियमों को मानते हुए इंजीनियर गुस्ताव एफिल ने इस टॉवर का निर्माण काम साल 1887 में शुरु करवाया, फिर फ्रांसिस सरकार ने भी इस अद्भुत और अद्दितीय टॉवर के निर्माण के लिए करीब 1.5 मिलियन फ्रांसिस सहायता के लिए भेजे। तब जाकर करीब 2 साल, 2 महीने और 5 दिन तक लगातार काम करने के बाद साल 1889 में एफिल टॉवर का निर्माण काम पूरा हुआ।
गुस्ताव एफिल ने जिस तरह इसका प्रारुप किया गया था, उसी की तरह यह बेहद खूबसूरत और आर्कषित बना और इसका नाम इंजीनियर गुस्ताव एफिल के नाम पर ही ”एफिल टॉवर” रखा गया।
एफिल टॉवर के बारे में रोचक तथ्य
- एफिल टॉवर फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित हैं।
- एफिल टॉवर का निर्माण वर्ष 1887 से 1889 के दौरान लगभग दो साल में पूरा हुआ था।
- एफिल टॉवर की डिजाईन गुस्ताव एफिल ने बनाई थी और उन्ही के नाम पर इस आकर्षित संरचना का नाम एफिल टॉवर रखा गया हैं।
- एफिल टॉवर की ऊंचाई 324 मीटर हैं।
- एफिल टॉवर में किए जाने वाले पेंट का वजन लगभग 10 हाथियों के वजन के बराबर बताया जाता है।
एफिल टॉवर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय –
एफिल टॉवर घूमने का सही रात के दौरान आता हैं। खासकर 10 बजे के आसपास जब यह शानदार रौशनी के साथ अपनी खूबसूरती को बिखेरता हैं। दिन की अपेक्षा एफिल टॉवर रात में घूमना ज्यादा आकर्षित लगता हैं। आप जब भी पैरिस की यात्रा पर जाए तो रात के दौरान एफिल टॉवर की खूबसूरती देखने जरूर जाए।
पेरिस में कहाँ रुके
- होटल डारसेट
- होटल सेसिलिया पेरिस
- होटल डु प्रिंटेमप्स
- अटलांटिक होटल
- होटल वर्जिना
पेरिस कैसे जाए –
भारत से पेरिस कैसे जाए-
भारत से पेरिस की यात्रा के लिए आप मुंबई, नई दिल्ली, बंगलौर से सीधी उडान भर सकते हैं। क्योंकि भारत से पेरिस के लिए कई उड़ाने संचालित की जाती है। एयर फ्रांस और जेट एयरवेज मुंबई से पेरिस तक सीधे उडान संचालित करता हैं।
पेरिस की अन्य खूबसूरत जगहें –
- नोत्र देम दे पेरिस
- लॉर्वे संग्रहालय
- डिजनीलैंड
- आर्क आफ ट्रायंफ
- सेंट चैपल गिरजाघर
आशा करते है कि एफिल टॉवर कहाँ है के बारे में सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे ही रोचक लेख एवं देश विदेश की न्यूज़ पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।