कर्ज नहीं चुका पाने के बदले क्या सजा दी जा सकती है? आपकी संपत्ति की नीलामी की जा सकती है, आपके ऊपर कार्रवाई की जा सकती है। अगर आपने साहूकार से कर्ज ले लिया है और नहीं चुका पा रहे हैं तो आपको वो धमकी दे सकता है, आपकी शिकायत पुलिस में कर सकती है। कर्ज न चुका पाने पर अधिक से अधिक इस दौर में ऐसी ही कार्रवाई की जा सकती हैं।
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बहुत डरावनी खबर
कभी आपने सोचा है कि कर्ज नहीं चुका पाने पर किसी को अपनी बेटी की नीलाम भी करनी पड़ सकती है, अपनी बहनों की नीलामी करनी पड़ सकती है, अपने घर की महिलाओं की नीलामी करनी पड़ सकती है। आपने कभी नहीं सोचा होगा लेकिन ऐसा हो रहा है। जी हां, ऐसा हमारे ही देश में हो रहा है। राजस्थान के भीलवाड़ा से जो ख़बर निकलकर सामने आ रही है वो बहुत डरावनी है।
महिला सुरक्षा के मामलों में राजस्थान की स्थिति निचले स्तर की रही है लेकिन अब राजस्थान से एक बेहद ही चौकाने वाला मामला सामने आया है। यह मामला बताता है कि राजस्थान में प्रशासनिक तंत्र होने के बावजूद लड़कियों की निलामी का धंन्धा किस तरह फल फूल रहा है।
दरअसल, राजस्थान के भीलवाड़ा में सटाम्प पेपर पर लड़कियों की नीलामी की जा रही है, लड़कियों को गुलाम बनाया जा रहा है। लड़कियों को बेचे जाने से मना करने पर तो उनकी मां के साथ रेप जैसी घिनौनी घटना को अंजाम दिया जाता है। इतना सब कुछ राज्य में कांग्रेस के गहलोत राज में हो रहा है। आइए, पूरा मामला विस्तार से समझते हैं।
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से ये खबर सामने आई है जहां कर्ज की अदायगी के लिए बेटियों की नीलामी का मामला सामने आया। खबर के मुताबिक स्टाम्प पेपर पर लिखकर लड़कियों को वैश्यवृति के लिए बेच दिया जाता है। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि कुछ मामलों में खाप पंचायतों के फरमान पर लड़किय़ों की माताओं के साथ दुष्कर्म किया जाता है। जितनी खूबसूरत लड़की उतनी ही ऊंची बोली लगाई जाती। यहां पहले परिवारों पर कर्ज में डूबोया जाता और फिर विवाद को निपटाने के लिए जातीय पंचायत बिठाई जाती। जिसमें लड़कियों को गुलाम बनाने का खेल चलता रहता। बोली 8 से 18 साल की लड़कियों की लगाई जाती थी। उम्रभर के लिए लड़कियों को बेचने के लिए ज्यादा पैसे दिए जाते थे।
राज्य में प्रशासनिक तंत्र होने के बावजूद ये गोरख धंधा चल रहा था लेकिन गहलोत सरकार मूक दर्शक बनी हुई थी। प्रश्न उठता है कि क्या बिना प्रशासन की मिलीभगत के यह हो पाना संभव है और संभव नहीं है तो सरकार क्या रही थी, क्या इस पाप में सरकार के लोग भी शामिल हैं। प्रशासन की नाक के नीचे लड़कियों की जातीय पंचायत में बोली लगाई जाती थी। वहीं जब ये मामला प्रकाश में आया और गहलोत सरकार पर सवाल खड़े हुए तो सीएम गहलोत ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि किसी को बक्शा नहीं जाएगा। लेकिन प्रश्न वहीं है कि इतने दिनों से सरकार कहां सो रही थी।
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गहलोत सरकार को NHRC का नोटिस
राजस्थान से सामने आए इस शर्मनाक मामले के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी हरकत में आ गया और राज्य सरकार को नोटिस थमा दिया। जहां नोटिस में कहा गया कि स्टाम्प पेपर के जरिए खरीदी गई लड़कियों को देह व्यापार करने के लिए एमपी, दिल्ली, मुबंई के अलावा विदेश में भेजा रहा है। आयोग ने लिखा कि अगर ये खबर सही है तो ये मानवाधिकार का उल्लघंन है और सरकार से अभी तक सरकार की तरफ की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा गया है।
पिछले कुछ समय से राजस्थान से आई घटनाओं को देखा जाए तो राजस्थान रेप कैपिटल बन गया है। नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में सबसे ज्यादा दुष्कर्म हुए। महिलाओं और दलितों पर अत्याचार में भी राजस्थान नंबर 1 रहा है। लेकिन यहां की सरकार मूक दर्शक बनी बैठी है। लगातार सामने आ रही घटनाओं के बावजूद गहलोत सरकार कोई सबक नहीं ले रही हैं। इस घटना को देखने के बाद ऐसा लगता है कि राजस्थान में कानून नाम की कोई चीज नहीं है।
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