इस समय जहां दुनियाभर में मंदी का दौर मुंह खोले खड़ा है। तमाम देश मंदी के साए से डरे हुए हैं। इन सबके बीच भारत इससे परे अपनी तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था को लेकर सभी के लिए मिसाल बन रहा है। आज दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था भारत की ही हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसे वैश्विक संगठन तक भारत का लोहा मान रहे हैं और वे भी भारत की तारीफें करते थक नहीं रहे हैं।
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IMF ने की भारत की तारीफ
कोरोना के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया की कमर तोड़कर रख दी है। महंगाई अपने चरम पर पहुंचती जा रही है।यह मोदी सरकार के ही प्रयासों का ही परिणाम है कि जब अमेरिका जैसे कथित महाशक्ति देश मंदी के साये से घबराएं हुए है, तब भी भारत ने स्वयं को मजबूत बनाये रखा है। इस दौरान सरकार ऐसी कई योजनाएं लेकर आयी, जो भारत के लिए लाभकारी साबित हुई। यह बात अब IMF भी स्वीकार कर रहा है और इसके लिए वे भारत की जमकर सराहना भी करता नजर आ रहा है। IMF के हालिया बयानों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पहले वर्ल्ड बैंक और अब उसके बाद IMF भी मोदी सरकार की कैश ट्रांसफर योजना का मुरीद हो गया है।
IMF भारत के डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT स्कीम) समेत अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं की जमकर तारीफ की और इसे चमत्कार तक बताया दिया। केवल इतना ही नहीं उसने तो दुनिया को भारत से सीखने की सलाह तक दे डाली। केंद्र सरकार की डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने ‘लॉजिस्टिकल मार्वल’ (Logistical Marvel) कहा।
आईएमएफ के वित्तीय मामलों के विभाग के उप निदेशक पॉओलो मौरो ने कहा है कि भारत से सीखने के लिए बहुत कुछ है, जो जटिल मुद्दों को हल करने के लिए प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक है। कोरोना महामारी के चलते जहां बढ़ती स्वास्थ्य और आजीविका की समस्याएं पैदा हो रही थी। तब मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY), प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) और संरचनात्मक सुधारों के लिए कई योजनाएं लेकर आयी थीं।
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भारत से सीखने की दी सलाह
IMF के डिप्टी डायरेक्टर पाउलो माउरो ने डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम के बारे में बात करते हुए कहा- भारत के जैसे बड़ी आबादी वाले देश को देखते हुए यह स्कीम अपने आप में काफी बेमिसाल है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत से कई सारी चीजें सीखी जा सकती हैं। डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम ‘लॉजिस्टिकल मार्वल’ है, क्योंकि यह अति कम आय वाले लोगों की सहायता कर रही है। करोड़ों लोग इस स्कीम का लाभ उठा रहे हैं।
डीबीटी यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का मुख्य उद्देश्य प्रभावशीलता, पारदर्शिता लाने और मध्यस्थ निकाय को खत्म करने के लिए विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं के लाभ और सब्सिडी को समय पर सीधे-सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में पहुंचाना है। यह देश में गरीबी को कम करने उदेश्य से केंद्र सरकार की ओर से किया गया खास उपाय है।
PTI के अनुसार IMF ने केवल डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम की ही तारीफ नहीं की बल्कि उसने केंद्र सरकार की ओर से देश में संचालित अन्य योजनाओं को भी खूब सराहा है। उन्होंने कहा कि भारत में इस तरह के कई और ऐसी योजनाएं सरकार द्वारा संचालित है, जो निम्न आय वाले लोगों के साथ ही महिलाओं, बुजुर्गों और किसानों के लिए खास रूप से तैयार की गयी है। IMF के डिप्टी डायरेक्टर ने इन कार्यक्रमों में तकनीक के प्रयोग की भी सराहना की है।
उन्होंने कहा इसमें सबसे रोचक बात तो ये है कि इसमें काफी तकनीकी इनोवेशन्स किया गया हैं। भारत के मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है वह है कि विशिष्ट पहचान प्रणाली यानी आधार का प्रयोग। अन्य देशों में मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से उन लोगों को पैसा भेजने का अधिक उपयोग होता है, जिनके पास वास्तव में बहुत सारा पैसा नहीं है, लेकिन उनके पास एक सेल फोन है।
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DBT योजना से भारत को लाभ
कुछ सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2013 से अब तक (DBT) मोड के माध्यम से 24.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक ट्रांसफर किए जा चुके है। वहीं केवल वित्तीय वर्ष 2021-22 में 6.3 लाख करोड़ रुपये की राशि को लाभार्थियों के खाते में सीधा भेजा जा चुका है। वित्त वर्ष साल 2022 के आंकड़ों की बात करें तो प्रतिदिन औसतन 90 लाख से अधिक DBT के माध्यम से पैसा ट्रांसफर किया गया है। अभी हाल की बात करें तो प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना के अंतर्गत 10 करोड़ से भी अधिक लाभार्थियों के बैंक खातों में लगभग 20 हजार करोड़ रुपये भेजे हैं।
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचस भी भारत की तारीफ कर चुके हैं। IMF के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने भारत के डिजिटलीकरण के सफल प्रयासों की तारीफ करते हुए कहा कि यह कदम एक बड़ा बदलाव लाने वाला है क्योंकि इसके कारण भारत सरकार के लिए ऐसे कार्य करना संभव हो गया है जो बहुत ही ज्यादा कठिन थे।
10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का दम
IMF ने मुख्य अर्थशास्त्री ने केवल भारत के डिजिटल बदलावों की तारीफ ही नहीं की। इसके साथ ही उन्होंने तो यह भी कह दिया कि भारत में 10 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनने का दम हैं। गोरींचस ने कहा कि भारत ऐसे वक्त में एक चमकदार रोशनी की तरह उभरा है जब दुनिया मंदी के आसन्न संकट का सामना कर रही है। भारत 10 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल कर सकता है, लेकिन इस पाने के लिए उसे कुछ महत्वपूर्ण ढांचागत सुधार करने होंगे। उन्होंने कहा- ‘‘कई देशों हमने पहले बहुत तेज दर के साथ वृद्धि करते और तेजी से विकसित होते देखा है। यह कोई आसान काम नहीं है, लेकिन भारत जैसी अर्थव्यवस्था के लिए अपार संभावना है। अपने लक्ष्य को पाने के लिए भारत को अनेक ढांचागत सुधार करने होंगे।’’
IMF का यह बयान दिखाता है कि भारत आज जिस तरह से विश्व पटल पर विकास की ओर तेजी से अग्रसर है, भारत की उस शक्ति का लोहा अब पूरी दुनिया मानने लगी है। ऐसा ही चलता रहा तो वो भारत निश्चित रूप से ‘विश्व गुरु’ की उपाधि हासिल कर लेगा।
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