अभी तक लोगों की नजरों में यदि आम आदमी का कोई सबसे बड़ा पियक्कड़ नेता दिखता था तो वह केवल पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान थे। परंतु अब ऐसा प्रतीत होने लगा है कि इस मामले में आप के एक और बड़े नेता उन्हें पीछे छोड़ने वाले हैं। हम बात दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की कर रहे है। शराब घोटाले को लेकर सीबीआई जांच के घेरे में आने के बाद मनीष सिसोदिया जिस प्रकार की हरकतें कर रहे है उसे देखकर तो ऐसा ही लग रहा है कि उनका नाम इस सूची में जुड़ने जा रहा हैं। दिल्ली की विवादित शराब नीति को लेकर मनीष सिसोदिया सवालों के घेरे में हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने मनीष सिसोदिया से एक्साइज से जुड़े इस घोटाले को लेकर काफी लंबी पूछताछ की है लेकिन अब वह एजेंसी पर ही अजीबो-गरीब आरोप लगाते नजर आ रहे हैं।
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मनीष सिसोदिया से CBI की पूछताछ
देखा जाये तो दिल्ली में विवादित आबकारी नीति आम आदमी पार्टी सरकार के गले की फांस बनती चली जा रही हैं। सीबीआई पिछले कुछ महीनों से लगातार उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ जांच कर रही हैं। सीबीआई ने डिप्टी सीएम के घर से लेकर उनके दफ्तर और बैंक के लॉकर्स तक खंगाल डाले हैं। इसके बाद सीबीआई ने उन्हें पूछताछ के लिए भी बुलाया था। मनीष सिसोदिया पूछताछ के लिए गए भी परंतु जैसी नौटंकी कांग्रेस किसी जांच में घिरने के बाद करती है, ठीक उसी राह पर वे भी चलते नजर आये। इस पूरी नौटंकी से यह भी स्पष्ट हो गया कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस की ‘बी टीम’ बनने की कोशिशों में सफल होने लगी हैं।
मनीष सिसोदिया से सीबीआई ने लंबी पूछताछ की। इस दौरान दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने यह तक कह दिया कि मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार ही कर लिया जाएगा। वैसे तो पिछले कुछ महीनों से केजरीवाल लगातार यह बातें करते नजर आ रहे हैं, जिससे तो ऐसा ही लग रहा है कि केजरीवाल को सिसोदिया को गिरफ्तार करवाने में बड़ी दिलचस्पी है। इस दौरान केजरीवाल ने सिसोदिया की तुलना स्वतंत्रता सेनानी और शहीद भगत सिंह से कर दी। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि जेल के ताले टूटेंगे सिसोदिया जी छूटेंगे। हालांकि यहां गौर करने वाली बात तो यह है कि सिसोदिया की कोई गिरफ्तारी ही नहीं हुई। केजरीवाल ने सिसोदिया की तुलना शहीद भगत सिंह से की तो इस पर उनके परिवार ने ही आम आदमी पार्टी को जवाब देते हुए इसे भगत सिंह का अपमान बता दिया। भगत सिंह के परिवार ने यह तक कहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।
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सिसोदिया ने CBI पर लगाये गंभीर आरोप
जैसे ही वे सीबीआई दफ्तर से बाहर आए उन्होंने एक बार फिर केजरीवाल से सीखी हुई नौटंकी करना शुरू कर दिया। मनीष सिसोदिया ने सीबीआई दफ्तर से बाहर आते ही अजीबो-गरीब बयान दिया जो कि अब उन्हें ही भारी पड़ सकता है। सिसोदिया ने आरोप लगाया कि सीबीआई सब कुछ भाजपा और मोदी सरकार के इशारे पर कर रही हैं। उन्होंंने कहा कि 9 घंटे की पूछताछ के बाद भी कुछ नहीं निकला है क्योंकि यह केस ही गलत हैं और वे पूरी तरह निर्दोष हैं।
इसके साथ ही आगे उपमुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया है कि बीजेपी ऑपरेशन लोटस को सफल बनाने के लिए इस तरह के केस लगा रही हैं। उन्होंने यह तक कह दिया कि सीबीआई दफ्तर के अंदर अधिकारी उनसे केस को लेकर पूछताछ नहीं कर रहे थे बल्कि बार-बार केजरीवाल का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल होने का दबाव बना रहे थे। सीधे तौर पर कहें तो सीबीआई पर भाजपा के लिए काम करने का आरोप तक मनीष सिसोदिया ने लगा दिया हैं किसी भी संवैधानिक जांच एजेंसी पर इस तरह का आपत्तिजनक आरोप लगाना संस्था की छवि को धूमिल कर सकता हैं। इसको लेकर सीबीआई को सामने आना पड़ा और इस मुद्दे पर बयान तक जारी करना पड़ा कि ऐसा कुछ भी नहीं है।
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कहीं अपने लिए और बड़ी मुसीबत खड़ी न कर दें सिसोदिया
मनीष सिसोदिया का रवैया यह बताता है कि जब से वे आबकारी नीति को लेकर संगीन आरोपों में घिरे हैं तब से उन्हें न जाने क्या हो गया है, जो वो इस तरह की उटपटांग बयानबाजी करने लगे है। इन सबको देखकर तो ऐसा दिखता है कि कहीं वे किसी तरह पदार्थ का सेवन तो नहीं करने लगे। अभी तक तो आम आदमी पार्टी बाहर से भाजपा पर आरोप लगा रही थीं, परंतु अब सिसोदिया ने ऐसा बयान देकर संवैधानिक संस्था से सीधे पंगा लेते हुए मुसीबत मोल लेने का काम किया है। देखा जाये तो सीबीआई की कोई भी पूछताछ यूं हवा में तो होती नहीं हैं, बल्कि उसका एक-एक शब्द रिकॉर्ड किया जाता है और यह रिकॉर्ड यदि सामने आ गया तो सिसोदिया पर आबकारी नीति के आरोपों पर तो बाद में, पहले तो सीबीआई की छवि धूमिल करने को लेकर ही बड़ी कार्रवाई होने लगेगी।
मनीष सिसोदिया को लेकर आम आदमी पार्टी कुछ भी उल्टा-सीधा बोलने लगी हैं। पार्टी ने पहले सिसोदिया को महाराणा प्रताप के वंशज तक बता चुके हैं। पूरे घटनाक्रम को देखकर तो ऐसा प्रतीत होता हैं कि केजरीवाल, मनीष सिसोदिया की पॉलिटिकल बलि देकर गुजरात में इसका लाभ उठाना चाहते हैं, परंतु इसकी संभावनाएं काफी कम है। सभी को यह दिखने लगा है कि मनीष सिसोदिया का जब-जब जिक्र आता है तो केजरीवाल तुरंत गुजरात पर फोकस करने लगते हैं। असल बात तो यह है कि केजरीवाल या सिसोदिया इस बात का जवाब नहीं दे पा रहे हैं कि आखिर उन्होंने आबकारी नीति रद्द क्यों की? इसका मतलब इसमें कुछ न कुछ तो खोट अवश्य था और यदि ऐसा नहीं था तो फिर एक अच्छी योजना रद्द कैसे कर दी?
सीबीआई जांच के घेरे में आने के बाद मनीष सिसोदिया जिस कदर भड़क हुए हैं और उल्टे-फुल्टे बयान दे रहे हैं। कभी उनको महाराणा प्रताप का वशंज बताया जा रहा है, तो कभी CBI जैसी संस्था पर इतने गंभीर आरोप लगा रहे हैं। उनके बयानों से ऐसा ही संकेत मिलने लगा हैं कि वह पीने बहुत लग गये हैं।
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