FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर होगा पाकिस्तान और इसके पीछे अमेरिका का हाथ है

भारत को परेशान करना महंगा पड़ेगा!

FATF ग्रे लिस्ट पाकिस्तान

Source- TFI

ऐसा प्रतीत होता है कि कुपित, कुंठित, बेकार, नकारा, आतंकी, भिखारी जैसे विशेषण केवल और केवल पाकिस्तान के लिए बने हैं. आतंकपरस्त पाकिस्तान की हालत क्या हो गई है, यह सर्वविदित है. आतंकियों का पालनहार पाकिस्तान अब अपने कृत्यों की सजा भुगत रहा है. उसकी हालत बद से बदतर हो गई है लेकिन यह सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं, दूसरी ओर भारत निरंतर विकास की ऊंचाइयों पर बढ़ता जा रहा है और अभी के समय में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. भारत के पीछे दुनिया के तमाम देश आ रहे हैं. भारत का अब अपना स्टैंड है और अब भारत के स्टैंड से दुनिया के तमाम देशों का स्टैंड तय होता है. अब भारत लगातार अपनी पकड़ को मजबूत करे और पश्चिमी देशों को मिर्ची न लगे, ऐसा हो सकता है क्या? जवाब है- बिल्कुल नहीं. क्योंकि मौजूदा समय में अमेरिका, पाकिस्तान के साथ कुछ ऐसा कर रहा है, जो भारत के प्रति उसकी कुंठा को प्रदर्शित करता है.

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FATF ग्रे लिस्ट से बाहर हुआ पाकिस्तान

दरअसल, पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर होने वाला है. आतंक के वित्तपोषण की निगरानी करने वाली पेरिस स्थित संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट लिस्ट से बाहर करने वाली है, जबकि पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की बात चल रही थी. FATF के इस संभावित कदम को लेकर उसे सोशल मीडिया पर जमकर लताड़ लगाई जा रही है.

ध्यान देने वाली बात है कि ग्रे लिस्ट में होने से किसी देश की अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय प्रणाली तक पहुंच प्रतिबंधित हो जाती है. देश को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय संगठनों से ऋण प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. FATF की ग्रे लिस्ट में होना देशों के लिए सुधारात्मक उपाय करने की चेतावनी है, ऐसा न करने पर उन्हें कड़ी ‘FATF ब्लैक लिस्ट’ में डाल दिया जाता है. सूची में शामिल 23 देशों में सीरिया, तुर्की, म्यांमार, फिलीपींस, दक्षिण सूडान, युगांडा और यमन शामिल हैं.

ध्यान देने वाली बात है कि पाकिस्‍तान को FATF ने जून 2018 में ग्रे लिस्‍ट में डाला था. FATF ने उस वक्‍त आतंकियों को होने वाली गलत फंडिंग, अनियमितता, जांच में कमी, गैर सरकारी संस्‍थानों में मनी लाड्रिंग को विश्‍व के वित्‍तीय सिस्‍टम के लिए बड़ा खतरा माना था. FATF ने पहले पाकिस्‍तान को 27 बिंदुओं पर काम करने को कहा था लेकिन इसके बाद इन बिंदुओं को बढ़ा कर 34 और फिर 40 तक कर दिया गया था. अब FATF को ऐसा लगता होगा कि पाकिस्तान ने उन सभी बिंदुओं पर बेहतर काम किया है, जिसके कारण उसे इस सूची से बाहर निकालने की बात चल रही है. लेकिन ऐसा है नहीं, इसके पीछे कहानी कुछ और ही है!

सब अमेरिका का खेल है!

बता दें कि FATF अमेरिका का पालतू है. खुद को चौधरी समझने वाला अमेरिका इसे अपने हिसाब से संचालित करता है. हाल ही में अमेरिका ने जर्मनी पर FATF लगाने की धमकी दी थी, इसी से आप समझ सकते हैं कि स्थिति क्या है. हाल के मामलों को देखें तो भारत और रूस के बीच करीबी बढ़ी है लेकिन भारत, अमेरिका को भी अपना व्यापारिक भागीदार बताते आया है. अब यह अलग बात है कि पहले अमेरिका, भारत को अपने हिसाब से नियंत्रित करने का प्रयास करता था और सफल भी हो जाता था और अब नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण उसकी कुंठा इस तरह से बाहर आ रही है. अमेरिका और पाकिस्तान की करीबी से आप पूर्णत: अवगत होंगे.

ऐसा कहा जा सकता है कि भारत को परेशान करने के लिए अमेरिका, पाकिस्तान के साथ ‘लोलो चोपो’ कर रहा है. हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को F16 के रखरखाव के लिए 450 मिलियन डॉलर दिए, जिस पर काफी बवाल मचा और भारत ने नाराजगी भी जताई थी. भारत की ओर से यह भी कहा गया था कि यह हर कोई जानता है कि अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दिए गए पैसे का इस्तेमाल कहां किया जाएगा. इशारा स्पष्ट था- आतंकियों को फंडिंग करने में! अब पाकिस्तान को FATF  के ग्रे लिस्ट से हटाकर यह साबित करने की कोशिश की जाएगी कि पाकिस्तान, आतंकियों को फंडिंग नहीं कर रहा है या आतंकियों से पार पाने की कोशिश कर रहा है जबकि ऐसा संभव ही नहीं है.

बात यही है कि जो अमेरिका खुद को दुनिया का चौधरी समझता था, रूस-यूक्रेन युद्ध ने उसके वर्चस्व को तोड़ मरोड़कर रख दिया. अमेरिका भौंकता रह गया रूस पीछे हटा ही नहीं. पश्चिमी देश चिल्लाते रह गए किसी को कई फर्क ही नहीं पड़ा. भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की गई, भारत डटा रहा. भारत को प्रतिबंधित करने की धमकी दी गई, हमने भाव ही नहीं दिया. अमेरिका और पश्चिमी देशों को सुलगाने के लिए इतना काफी था और यही कारण है कि अब अमेरिका अपने कुकृत्यों को अंजाम दे रहा है. पाकिस्तान के साथ उसका गंठजोड़ इसी का प्रमाण है.

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