पाकिस्तान चाहता है कि रूस उसके साथ भारत जैसा ही व्यवहार करे, बहुत हास्यास्पद!

बहुत 'क्यूट' है पाकिस्तान

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अरे भैया आजकल सबको बस भारत जैसा ही बनना है। जिस देश की तरफ भारत का झुकाव होता है, कुछ देश पिछलगु की तरह उसी ओर चलने लग जाते हैं। इतनी देखादेखी करना भी अच्छी बात नहीं होती है। लेकिन ये बातें एक देश के लिए समझाना बड़ा ही मुश्किल हो गया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं ‘पाकिस्तान’ की, पाकिस्तान अब तेल की आड़ में रूस से अपनी नजदीकी बढ़ाने को व्याकुल हो रहा है। पाकिस्तान रूस से तेल यानी ईंधन खरीदने को एकदम तैयार है।

पाकिस्तान और रूस

ऐसे में आप अवश्य सोच रहे होंगे कि जब हम पाकिस्तान और रूस की बात कर रहे हैं तो भारत कहाँ से आया? भारत ऐसे आया कि पाकिस्तान चाहता है कि रूस जिस कीमत पर भारत को तेल देता है उसी कीमत पर उसे भी दे। पाकिस्तान चाहता है कि रूस पाकिस्तान के साथ वैसा ही व्यवहार करे जैसा वह भारत के साथ करता है। वाह क्या चाहत है…

अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर गए पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा है कि इस्लामाबाद रूस से उस दर पर ईंधन खरीदने के लिए बिलकुल तैयार है जिस दर पर मास्को भारत को उपलब्ध कराता आ रहा है। मंत्री ने आगे ये भी कहा कि देश बाढ़ के विनाशकारी प्रभाव से जूझ रहा है, इस तरह की स्थिति में पश्चिम को भी पाकिस्तान द्वारा रियायती ईंधन आयात करने में किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं होगी। पाकिस्तान दुनिया में कच्चे पेट्रोलियम का आयात करने वाला 35वां सबसे बड़ा देश कहा जाता है। 2020-21 में उसने 1.92 अरब डॉलर मूल्य के कच्चे तेल का आयात किया था।

पाकिस्तान ने रूस से तेल खरीदने के अपने इरादे को मंजूरी प्रदान कर दी है। वहीं मॉस्को में पाकिस्तानी राजदूत शफकत अली खान ने एक समाचार एजेंसी TASS के साथ अपने साक्षात्कार में कहा है कि “दोनों देश के तकनीकी पक्ष पहले से ही इस पर बातचीत कर रहे हैं। “रूस हमारे लिए एक नये आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा है। जब हमारे लिए खाद्य आपूर्ति की बात आती है तो हम रूस को एक दीर्घकालिक और स्थिर भागीदार के रूप में देखते हैं।”

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अमेरिका के राष्ट्रपति का विवादित बयान

पाकिस्तान के द्वारा इस तरह की बात तब सामने आई थी जब अमेरिका के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान को लेकर एक विवादित बयान दे दिया था। आप भी सोच रहे होंगे अभी कुछ दिनों पहले तो पाकिस्तान और अमेरिका एक-दूसरे के हिमायती बने फिर रहे थे। फिर एकदम से क्या हुआ? बीते दिनों में अमेरिका-पाकिस्तान के संबंध बिगड़े जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि पाकिस्तान सबसे खतरनाक देशों में से एक है। उसके पास बिना किसी सुरक्षा के परमाणु हथियार मौजूद हैं। वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने उनके बयान की बहुत अधिक निंदा की और कहा कि पाकिस्तान एक जिम्मेदार परमाणु राष्ट्र है।

अब सोचने वाली बात ये है कि जब पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती नज़र आ रही है तो इस बीच पाकिस्तान को रूस से तेल आयात करने का विचार क्यों आया। विचार क्या ही आया उसे तो बस भारत की तरह पूरी दुनिया में सम्मान चाहिए, लेकिन उसके किए कारण उसका अपमान ही होता रहा है।

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पाकिस्तान के लिए राहत भरी खबर

बीते माह पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से कर्ज लेने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने दोनों देशों के अधिकारियों से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के द्वारा मिलने वाली आर्थिक सहायता को लेकर भी बातचीत की थी। जिसके बाद पाकिस्तान के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई थी। जब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के कार्यकारी बोर्ड ने बैठक कर पाकिस्तान को राहत पैकेज देने से जुड़ी मंजूरी दे दी थी। एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) कार्यक्रम के अंतर्गत 1.17 बिलियन डॉलर की 7वीं और 8वीं किश्त प्रदान दी जाएगी।

वहीं पाकिस्तान का रुपया भी कमजोर होकर निचले स्तर पर आ गया है। आज के वर्तमान समय में डॉलर की कीमत 223 रुपये है। पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार की बात करें तो ये गिरकर 9.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। जिस कारण शाहबाज शरीफ सरकार अपने खर्चों में तेजी से कटौती भी कर रही है।

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रूस से तेल आयात

ये पहली बार नहीं है, जब पाकिस्तान के द्वारा रूस से तेल आयात करने के विषय पर बात हुई हो। इससे पहले भी ये बात हो चुकी है। जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे, तब वह भी रूस के साथ सस्ता तेल खरीदने का इरादा रखते थे। इसके चलते उन्होंने रूस का दौरा कर पाकिस्तान के लिए सस्ते ईंधन पर बातचीत करने की उम्मीद जाहीर की थी।

पाकिस्तान में इस समय मंहगाई की मार जारी है। जहां उनके देश की जनता मंहगाई की गंभीर समस्या से जूझ रही है उस समय भी पाकिस्तान बस भारत के पैर पर पैर रखने वाली बाते कर रहा हैं। पाकिस्तान को इस समय बस अपने देश और देश के लोगों के बारे में विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है क्योंकि अगर वो ऐसे ही करता रहा तो उसे अपने देश की आर्थिक स्थिति सुधारने में काफी समय लग जाएगा।

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