सनातनी त्योहार केवल त्योहार नहीं हैं, ये तो देश की अर्थव्यवस्था को और ऊंची उड़ान देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। यह केवल कहने का बात नहीं है बल्कि इस बात को सिद्ध करने वाला नवीनतम उदाहरण भी हमारे सामने प्रस्तुत है। जी हां, धनी हो या निर्धन या फिर मध्यम वर्गीय परिवार का साधारण सा घर, सनातनी त्योहारों में उत्सव का वातावरण होता है, विशेषकर दीपावली जैसे बड़े पर्व की बात करें तब तो क्या ही कहने, खुलकर खर्च करना, बाजारों में बहार और हर ओर हर्षोल्लास दिखायी पड़ता है।
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सनातनी त्योहार और अर्थव्यवस्था
अब आप कहेंगे कि सनातनी त्योहार और अर्थव्यवस्था का क्या संबंध है, तो यहां इस बात पर ध्यान देना होगा कि दीपावली से पहले धनतेरस आता है और इस बार तो दो दिन शनिवार और रविवार को धनतेरस था ऐसे में हर्षोल्लास से भरे लोगों ने तो जमकर खरीददारी की है। धनतेरस को सोना और चांदी खरीदने को शुभ माना गया है लेकिन बहुत महंगा होने के बाद भी लोगों ने धनतेरस पर खूब सोना खरीदा। दो साल से बाजार पर कोरोना का प्रकोप था लेकिन 2022 की दीपावली ने दो साल की कसर पूरी कर दी।
लोगों ने कितनी ताबड़तोड़ खरीददारी की है, इसे और अच्छे से समझने के लिए कुछ आंकड़ों पर ध्यान देना होगा। कंफेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स यानी CAIT के महामंत्री हैं प्रवीन खंडेलवाल जिन्होंने इस बारे में कहा है कि इस बार दिवाली में जबरदस्त उत्साह है। CAIT के अनुमान पर ध्यान दें तो इस दौरान लगभग 45,000 करोड़ रुपये से अधिक सामान बेचे गए हैं। दो दिनों में केवल ज्वैलरी ही 25,000 करोड़ रुपये की बेची गयी है। बाकी ऑटोमोबिल, कम्यूटर एवं कंप्यूटर से जुड़ी चीजें, फर्नीचर, घर और ऑफिस के लिए सजावट संबंधी वस्तुएं, मिठाई एवं नमकीन, किचन संबंधी चीजें, इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुएं, मोबाइल जैसे सामन 20,000 करोड़ रुपये में बेचे गए हैं।
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दीपावली- अच्छा व्यापार हुआ
इसे और अलग-अलग करके देखें तो एक अनुमान है कि ज्वेलरी के अलावा कई और सामनों को लेकर दीपावली के दिन अच्छा व्यापार हुआ है।
- ऑटोमोबाइल सेक्टर- लगभग 6 हजार करोड़ रुपये
- फर्नीचर- लगभग 1500 करोड़ रुपये
- कंप्यूटर एवं कंप्यूटर से संबंधित चीजें- लगभग 2500 करोड़ रुपये
- एफएमसीजी- लगभग 3 हजार करोड़ रुपये
- इलेक्ट्रॉनिक्स सामान- लगभग 1 हजार करोड़ रुपये
- स्टेनलेस स्टील, एल्युमीनियम और पीतल के बर्तन- लगभग 500 करोड़ रुपये
- किचन संबंधी अन्य सामन और उपकरण- लगभग 700 करोड़ रुपये
- टेक्सटाइल, रेडीमेड गारमेंट और फैशन के कपड़े- लगभग 1500 करोड़ रुपये
ये तो हो गयी धनतेरस की बात लेकिन ध्यान इस ओर भी देना होगा कि दीपावली के दिन पूजा संबंधी सामग्रियों और सजावट के लिए खरीदे गए सामान और बिजली के उपकरण, स्टेशनरी, बिल्डर हार्डवेयर, लकड़ी में भी अच्छा बिजनेस हुआ है।
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चीन को लगा भारी झटका
त्योहारी सीजन (दीपावली) में व्यापार की बात होती है तो चीन भी बीच में टपक ही पड़ता है और अपना भारीभरकम लाभ करवा जाता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बार चीन को 75,000 करोड़ रुपये की चपत लगी है। CAIT ने कहा है कि इस बार लोग बाज़ारों में भारतीय सामान खरीदने को ही प्रमुखता दे रहे हैं। ऐसे में चीन के सामानों की बिक्री को धक्का तो लगेगा ही और इस तरह चीन को इस साल देश के सबसे बड़े त्योहार में 75 हजार करोड़ रुपये से अधिक का झटका लगा है।
यह तो हो गयी केवल 2022 की दीपावली की बात लेकिन बात यदि पिछली दीपावली की ही करें तो CAIT ने बताया था कि पिछली दीपावली के व्यापार के आंकड़ों ने दीपावली पर पिछले 10 साल के बिक्री रिकॉर्ड को तोड़ दिया। लगभग 70 मिलियन व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यापारी के निकाय ने कहा था कि 2021 की अविश्वसनीय दीपावली बिक्री से पिछले दो वर्षों से जारी आर्थिक मंदी तक समाप्ति की ओर है। पिछले साल भी चीन को दीपावली पर एक बड़ा नुकसान देखने को मिला था और कुछ ऐसा ही इस बार भी हुआ है।
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सनातनी त्योहारों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था हिलोरे मारने लगती है। सनातन धर्म ने एक ऐसा चक्र बनाया है जिसमें एक धनी से लेकर कम धनी और निर्धन परिवार भी त्योहार धूमधाम से मना लेता है। दीपावली में अधिक से अधिक खरीददारी हो ही जाती है लेकिन पैसे खर्च करने के बाद भी देश के लोगों में उत्साह की कमी नहीं रहती है। 45,000 करोड़ रुपये का व्यापार होना कोई सामान्य सी बात नहीं है। इन आंकड़ों को देखने के बाद तो आप भी समझ गए होंगे कि किस तरह सनातनी त्योहार हमारी अर्थव्यवस्था को शक्ति देने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
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