प्रिय मोदी सरकार, BSNL को बेचने का इससे उपयुक्त समय हो ही नहीं सकता

BSNL का उद्धार तभी हो सकता है, जब इसे बेच दिया जाए!

BSNL

Source- TFI

मोदी सरकार देश को उन्नत बनाने हेतु लगातार कई बड़े कदम उठा रही है. सरकारी कंपनियां, जो पूरी तरह से ‘सरकारी’ ही हो गई थी और जिसके कर्मचारी भी अपने सरकारी रवैये से बाहर नहीं निकल पा रहे थे, अब मोदी सरकार ऐसी कंपनियों को मुख्यधारा में लाने का काम जोर शोर से कर रही है. कई सरकारी कंपनियां इस रेस में काफी आगे निकल चुकी है लेकिन कुछ कंपनियां अभी भी वैसी ही हैं, जो अपने ढुलमुल रवैये से बाज नहीं आ रही हैं. इस सूची में सरकारी दूरसंचार कंपनी BSNL सबसे टॉप पर है. इस कंपनी का रवैया अभी भी वैसे ही है, जैसा आज से दशकों पहले हुआ करता था.

यानी यह कंपनी ठहर सी गई है और इससे सरकार को लाभ कम और नुकसान अधिक हो रहा है. इसी बीच यह खबर सामने आई है कि प्राइवेट टेलीकॉम कंपनी रिलायंस Jio अगस्त में सरकारी क्षेत्र की भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) को पछाड़कर फिक्स्ड लाइन सेवा देने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है. ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि देश में पिछले 22 वर्षों से वायरलाइन सर्विस दे रही यह सरकारी कंपनी हाल ही में आये Jio से पिछड़ कैसे गई?

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यहां समझिए पूरा मामला

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रिलायंस Jio ने वायरलाइन सर्विस मात्र 3 वर्ष पहले प्रारंभ किया था लेकिन इतने कम दिनों में ही इसने BSNL को मात दे दी है. अब आप इसी से BSNL की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं. ज्ञात हो कि देश में टेलीकॉम सर्विस की शुरुआत के बाद पहली बार किसी प्राइवेट कंपनी ने वायरलाइन श्रेणी में पहला स्थान हासिल किया है. भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) की तरफ से मंगलवार को जारी ग्राहक रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त में रिलायंस Jio के वायरलाइन ग्राहकों की संख्या 73.52 लाख पर पहुंच गई जबकि BSNL के ग्राहकों की तादाद 71.32 लाख रही.

ध्यान देने वाली बात है कि अगस्त महीने में देश में वायरलाइन ग्राहकों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. जुलाई में देश में वायरलाइन ग्राहकों की संख्या 2.56 करोड़ थी, जो अगस्त में बढ़कर 2.59 तक पहुंच गई है. इस दौरान Jio ने 2.62 लाख, एयरटेल ने 1.19 लाख, वोडाफोन आइडिया ने 4,202 और टाटा टेलीसर्विसेज ने 3,769 नए ग्राहक जोड़े. जबकि इस दौरान सरकारी कंपनी BSNL ने 15,734 और MTNL ने 13,395 ग्राहक गंवाएं. इसके अलावा इस दौरान BSNL ने 5.67 लाख, एमटीएनएल ने 470 मोबाइल ग्राहक भी खो दिए.

हाल ही में अश्विनी वैष्णव ने दी थी चेतावनी

ज्ञात हो कि देश में स्वदेसी 5जी मोबाइल सर्विस की शुरूआत हो चुकी है लेकिन BSNL अभी तक अपना 4जी भी लॉन्च नहीं कर पाया है. यही नहीं, यह कंपनी 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में भी शामिल नहीं थी. हाल ही में दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव की एक वीडियो सोशल मीडिया पर जोर शोर से वायरल हो रही थी, जिसमें वो BSNL के अधिकारियों की क्लास लगाते दिखे थे. वायरल हो रही ऑडियो क्लिप में अश्विनी वैष्णव ने BSNL को स्पष्ट चेतावनी से यह बता दिया कि सरकार का काम “सरकारी बाबू” वाले ढर्रे पर नहीं होना चाहिए अन्यथा एक्शन लिया जाएगा.

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लीक ऑडियो में उन्हें BSNL कंपनी के 62,000 कर्मचारियों को चेतावनी देते हुए सुना गया कि जो कोई भी अच्छा प्रदर्शन नहीं करेगा, उसे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए कहा जाएगा. ध्यान देने वाली बात है कि मोदी सरकार द्वारा BSNL के पुनरुद्धार के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा के कुछ दिनों बाद गुरुवार को कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधन के साथ केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक बुलाई थी. वहीं, वायरल हो रही ऑडियो क्लिप में दूरसंचार मंत्री को यह कहते सुना जा सकता है कि “मैं हर महीने प्रदर्शन को मापूंगा. जो काम नहीं करना चाहते हैं वे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकते हैं और घर जा सकते हैं या आपको स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए मजबूर किया जाएगा जैसा कि रेलवे में हुआ था.”

घाटे से उबर ही नहीं पाई यह कंपनी

BSNL पर केंद्रीय मंत्री की इस चेतावनी का भी अभी तक कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. यह कंपनी दिन प्रतिदिन गर्त में समाती जा रही है. इस कंपनी के सरकारी बाबुओं में अभी भी ‘सरकारी का भूत’ भरा पड़ा है. ध्यान देने वाली बात है कि इस कंपनी की स्थापना 2000 में हुई थी और अब 22 वर्ष बीत चुके हैं. अगर इसे बेहतर ढंग से चलाया गया होता तो प्राइवेट कंपनियां इसके सामने फीकी पड़ गई होती. लेकिन पूर्व की सरकारों ने और लाल फीताशाही ने इसे कहीं का नहीं छोड़ा. वित्त वर्ष 2009-10 वह वर्ष जब BSNL के घाटे में जाने की शुरुआत हुई. यह पहला साल था जब BSNL को घाटा हुआ था. तब बाजार में रिलायंस और एयरटेल जैसे प्राइवेट प्लेयर्स की इंट्री हो चुकी थी. वर्ष 2009-10 से घाटा शुरू होने के बाद फिर कंपनी ने कभी लाभ नहीं कमाया. वित्त वर्ष 2019-20 में यह घाटा 15,500 करोड़ पहुंच गया था. इसके बाद तो ऐसा लगने लगा कि कंपनी का बंद होना तय है. सरकार ने इसे प्रॉफिटेबल बनाने की कोशिश की लेकिन अभी तक उसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. आज BSNL अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. ऐसे में अब समय आ गया है कि सरकार इस कंपनी को ‘प्राइवेटाइजेशन’ कर दे, जिससे देश के खजाने से बोझ हल्का हो और उसका इस्तेमाल किसी दूसरे जगह पर किया जा सके.

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