Pre placement offer: रोजगार नहीं है, रोजगार नहीं है, अब हम क्या करें? मोदी सरकार के राज में तो हमें नौकरी ही नहीं मिल रही है। इस प्रकार की तमाम बातें करने वाले लोग अक्सर आपसे टकरा जाया करते होंगे। आप भी कुछ हद तक इनकी बातों को सच मान लेते होंगे। किंतु यदि आप कॉलेजों में प्री प्लेसमेंट (Pre Placement) के आंकड़ों को देखें तो पाएंगे कि वह बढ़े हैं यानी एक बच्चा जो कॉलेज में अपने आख़िरी सालों में है उसकी नौकरी कॉलेज में पढ़ते ही लग रही है। अब जब वह कॉलेज उत्तीर्ण करके निकलेगा तो सीधे नौकरी पर जाएगा। इससे स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि भारत में कंपनियों का विस्तार हो रहा है, शिक्षा का स्तर सुधर रहा है और यह इन सबके समग्र परिणाम ही है कि रोज़गार के अवसर में भी बढ़ोत्तरी हो रही है।
प्री प्लेसमेंट ऑफर (Pre placement offer) में डबल डिजिट ग्रोथ और बेहतर औसत पैकेज से इस वर्ष बंपर हाइरिंग की उम्मीद जगी है। यदि हम एक नज़र आंकड़ों पर डाले तो पाएंगें कि सूचना प्रौद्योगिकी, उत्पाद, इंजीनियरिंग और परामर्श कंपनियों के नेतृत्व में नागपुर के विश्वेश्वरैया नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (VNIT), कोयंबटूर में PSG कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी और मुंबई में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग (NITIE) जैसे परिसरों में प्री प्लेस्मेंट ऑफ़र्स यानी PPOs 50 से 60 प्रतिशत तक बढ़े हैं।
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प्री प्लेसमेंट ऑफर (Pre placement offer) में बढ़ोतरी
कोयंबटूर स्थित PSG कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी में 2022-23 बैच के लिए PPOs 60 प्रतिशत बढ़कर 128 हो गये, जो पिछले साल 78 थे। आप इस बात से भी देश में रोज़गार की स्थिति का अनुमान लगा सकते हैं कि मध्य स्तर के इंजीनियरिंग, प्रबंधन कॉलेजों के अंदर प्लेसमेंट ऑफ़रों में वृद्धि और औसतन वेतन पैकेज में बढ़ोत्तरी देखी गई है। नागपुर के VNIT कॉलेज की बात करें तो इस वर्ष अब तक का उच्चतम पैकेज 64.66 लाख रुपये प्रति वर्ष का रहा है, जबकि पिछले साल यह 64.1 लाख रुपये प्रति वर्ष था। इस वर्ष औसत पैकेज पिछले साल के 9.8 लाख रुपये से बढ़कर अब तक 14.8 लाख रुपए हो गया जो पिछले वर्ष की तुलना में 50% अधिक है।
उपरोक्त आंकड़ें स्वयं यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि भारत में कौशलयुक्त व्यक्ति के लिए रोज़गार के अनन्त अवसर है। वैसे अगर देखा जाए तो भारत में रोज़गार के अवसर सदैव ही रहे हैं किंतु रोज़गार पाने के क्रम में हमारे युवाओं के पास वो कौशल नहीं होता था। वे रेडी टू इंडस्ट्री नहीं होते थे। किंतु मोदी सरकार ने इस समस्या की जड़ को समझा और युवाओं के कौशल विकास पर ध्यान दिया। इसी क्रम में कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों ने भी स्वयं के अंदर परिवर्तन किया जिसका परिणाम यह निकला कि छात्रों के अंदर किताबी के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी आया, साथ ही उन्होंने अपने स्किल को अपग्रेड करने के क्रम भी कार्य किए जिसका नतीजा हम PPOs के बढ़ते स्वरूप में देख ही रहे हैं।
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रोजगार में स्टार्टअप्स का योगदान
ध्यातव्य रहे कि आधुनिक भारत के अंदर बढ़ते स्टार्टअप्स ने रोज़गार की स्थिति को मजबूत किया है। वस्तुतः भारत के अंदर स्टार्टअप्स कल्चर की शुरुआत ने स्किल्ड युवाओं को रोज़गार एवं बेहतर सैलरी प्राप्त करने के क्रम में असीम अवसर दिए हैं। स्टार्टअप्स एक प्रकार से भारत के अंदर रोज़गार के क्रम में रीढ़ की हड्डी बनकर उभरे रहे हैं।
कुछ महीनों पूर्व पीयूष गोयल ने स्टार्टअप इंडिया इनिशिएटिव के शुभारंभ पर इसको लेकर बात की थी और कहा कि इस दिशा में निरंतर सरकारी प्रयासों के परिणामस्वरूप मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की संख्या वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 65,861 हो गई है, जो वित्त वर्ष 2016-17 तक 726 हुआ करती थी। साथ ही साथ वर्तमान में प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में कम से कम एक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप है। लगभग 50 प्रतिशत स्टार्टअप तो टियर II और III शहरों से हैं। यह स्टार्टअप 640 से अधिक जिलों में फैले हुए हैं। एक स्टार्टअप के द्वारा औसतन 11 नौकरियों सृजित की जा रही है, जिससे इन स्टार्टअप ने 7 लाख से अधिक नौकरियों के सृजन का कार्य किया है।
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ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि आधुनिक भारत में रोजगार की कोई कमी नहीं है। अब ऐसे में रोजगार नहीं होने का रोना रोने वाले लोगों को इन आंकड़ों को एक बार देख लेना चाहिए। यदि आप योग्य हैं तो आपके लिए देश में रोजगार की कोई कमी नहीं है।
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