चीन हमेशा ही यह प्रयास करता रहता है कि वो किसी भी तरह वैश्विक स्तर पर स्वयं को शक्तिशाली बनाये। इसके लिए ‘ड्रैगन’ साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाने के लिए भी तैयार रहता है। चीन, अमेरिका से भी पंगा लेता है साथ ही भारत की समस्याएं बढ़ाने की भी कोशिश करता रहता है। इसी तरह पूर्वी चीन सागर में चीन, जापान को परेशान करने के प्रयास करता है परंतु हर बार उसे यहां भी मुंह की खानी पड़ती है। पिछले कुछ समय में देखा जाये तो जापान और चीन (China vs Japan) के बीच टकराव बढ़ता दिख रहा है।
विशेषज्ञों की मानें तो ताइवान प्रकरण के बाद जापानी लोगों और नेताओं के बीच चीन के विरुद्ध अस्तित्व के खतरे को लेकर भावनाएं प्रबल हो रही हैं। कुछ समय पूर्व जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने पश्चिमी देशों के साथ बढ़ते विवाद और अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी के कारण चीन को लेकर निशाना साधा था।
उन्होंने जोर देकर कहा था, ‘आज का यूक्रेन, कल का ईस्ट एशिया हो सकता है’। इसका मतलब यह था कि आज जो यूक्रेन में हो रहा है वह कल पूर्वी एशिया में भी हो सकता है। इस दौरान स्पष्ट तौर पर किशिदा का निशाना चीन की ओर था।
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जिनपिंग का चीनी सेना को आदेश
इन सबके बीच ताइवान के साथ चल रहे टकराव के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि चीनी सेना युद्ध के लिए तैयार रहे। उनका यह बयान जापान के लिए भी हो सकता है क्योंकि चीन का जापान के साथ टकराव बढ़ता जा रहा है। हालांकि इससे बड़ी मुसीबत चीन के लिए ही खड़ी हो जाएगी क्योंकि इसमें QUAD देशों की भी एंट्री हो सकती है। क्वाड (QUAD) चार अहम देशों का ग्रुप है। जिसमें अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं। यह संगठन बना तो था आर्थिक हितों को लेकर था, लेकिन यह चीन की नाक में दम भी कर सकता है, वो कैसे? चलिए समझते हैं।
दरअसल, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने अस्थिरता का खतरा बढ़ने की बात कहते हुए पीपल्स लिबरेशन आर्मी को युद्ध लड़ने और जीतने के लिए तैयारी करने के साथ क्षमता बढ़ाने के लिए अपनी समस्त ऊर्जा लगाने का आदेश दिया हैं। जिनपिंग ने कहा कि दुनिया ऐसे बदलावों से गुजर रही है, जो पिछली एक सदी में नहीं देखे गये। इस दौरान उन्होंने जोर देते हुए कहा कि चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ती अस्थिरता एवं अनिश्चितता के खतरे का सामना कर रही है और सेना के सामने कठिन कार्य हैं।
जिनपिंग के अनुसार पूरी सेना को अपनी सारी ऊर्जा युद्ध की तैयारी के लिए, युद्ध लड़ने तथा जीतने की क्षमता बढ़ाने के लिए लगा देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास के हितों की दृढ़ता से सुरक्षा करें और पार्टी तथा जनता द्वारा दिये गये अनेक कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करें। अब यह माना जा रहा है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यह चुनौती दो देशों के लिए हो सकती है ताइवान या फिर जापान।
देखा जाये तो ताइवान के मुद्दे पर तो अमेरिका, चीन की मुसीबतें बढ़ाता रहता है लेकिन जापान (China vs Japan) अब सीधे आक्रामक हो चला है जिससे यह माना जा रहा है किसी भी वक्त चीन और जापान आमने-सामने आ सकते हैं और दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति भी बन सकती है।
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‘ड्रैगन’ को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर रहा जापान?
दूसरी ओर जापान भी चीन के विरुद्ध युद्ध लड़ने की तैयारी कर रहा है। जापान अपनी युद्ध क्षमता में लगातार विस्तार कर रहा है। जापान यह तय करने में जुटा हुआ है कि यदि कभी भी चीन के साथ युद्ध की स्थिति आये तो वे चीन (China vs Japan) को मुंह तोड़ जवाब दे सके। इसके लिए जापान 2027 तक रक्षा खर्च को लगभग दोगुना करने की योजना बना रहा है।
जापान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में अगले पांच वर्षों में रक्षा पर 279 बिलियन डॉलर खर्च किए जाने की तैयारी चल रही है। वह अमेरिका की टोमाहॉक (Tomahawk) क्रूज मिसाइल खरीदने पर विचार कर रहा है, जिसकी मारक क्षमता 2500 किमी है। जापानी अधिकारियों ने निजी तौर पर स्वीकार किया कि प्योंगयांग के साथ संकट के चलते उन हथियारों को हासिल करने के उनके तर्क को मजबूत करता है जो बीजिंग की आक्रामकता झटका दे सकें।
यदि जापान और चीन के बीच युद्ध की स्थिति बनती है, तो QUAD भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं। देखा जाये तो QUAD हमेशा से ही चीन की परेशानी का कारण बना रहा है। इस वर्ष मई में QUAD के सर्वोच्च नेताओं ने टोक्यो में दूसरी आमने-सामने की बैठक की थी, जहां राष्ट्रों ने बीजिंग के विरुद्ध जाने का निर्णय लिया था। साउथ चाइना सी में चीन की मनमानी को रोकने के लिए QUAD की बैठक में कई फैसले किये गये थे।
जाहिर तौर पर युद्ध होता है कि तो QUAD जापान के साथ ही खड़ा होगा। अन्य तीन देशों की बात करें तो भारत और चीन के बीच तो टकराव की स्थिति बनी हुई है ही।वहीं अमेरिका भी चीन की हरकतों से परेशान रहता है। ऑस्ट्रेलिया ऐतिहासिक रूप से सबसे विश्वसनीय सहयोगी बना हुआ है। हो यह भी सकता है कि QUAD सैन्य रूप से एक साथ काम भी कर सकते हैं।
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QUAD देशों की नौसेनाओं का युद्धाभ्यास
खास बात यह है कि अमेरिका के साथ जापान का सहयोग गहरा हो रहा है। अमेरिकी और जापानी सेना एक साथ प्रशिक्षण बढ़ा रही हैं, जिसमें इस महीने कई दक्षिणी द्वीपों पर बड़े पैमाने पर अभ्यास शामिल हैं। वहीं कि जापान में योकोसूका में मालाबार युद्धाभ्यास हो रहा है। इसमें भारत के साथ जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की नौसेना भी शामिल हुई। ये ही चारों देश क्वाड (QUAD) का हिस्सा भी है। इसके बाद भारत में भी नौसेना और थल सेना के साथ क्वाड की सेनाओं का युद्धाभ्यास होना है।
गौरतलब है कि चीन को पहले ही भारत से डोकलाम से लेकर लद्दाख तक में मुंह की खानी पड़ी है। चीन को यहां भारत से टकराव रखना महंगा पड़ा है और कुछ वैसा ही अमेरिका के साथ भी ताइवान के मुद्दे पर हुआ है। ऐसे में चीन, जापान के साथ टकराव बढ़ा रहा है। हालांकि यदि चीन का जापान से टकराव बढ़ता है तो यह निश्चित है कि जापान इस बार अकेला नहीं होगा। जापान को भारत का साथ मिलेगा ही और अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया भी चीन के विरुद्ध खड़े होंगे।
ऐसे में QUAD जिसका उद्देश्य मुख्य तौर पर वैश्विक स्तर पर सप्लाई चेन को मजबूत करने से लेकर आर्थिक सहयोग को मजबूत करना था। चीन की चालों के चलते वही क्वाड अब एक सुरक्षा संबंधी संगठन की ओर बढ़ सकता है और यदि चीन की कुटिलता ऐसे ही जारी रही तो आने वाले कुछ दिनों में ही क्वाड सुरक्षा के लिहाज से चीन के लिए मुसीबत बन जायेगा।
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