कॉस्मेटिक में मनुष्य का भ्रूण – आज के समय में उम्र बढ़ने के बाद भी कई लोग स्वीकार नहीं करना चाहते हैं कि उम्र ढलने के साथ-साथ शरीर की त्वचा भी ढलती है और ऐसे लोग युवा दिखते रहने की चाह में कई प्रकार की सामग्रियों का उपयोग करने लगते हैं। जिसमें से एंटी एजिंग क्रीम के उपयोग का उल्लेख तो मुख्य रूप से होता है। एंटी एजिंग क्रीम नाम सुनने में तो कितना अच्छा लग रहा है परन्तु इसे तैयार करने के पीछ की प्रक्रिया और इसमें उपयोग की जाने वाली वस्तुओं के बारे में जो बातें खुलकर सामने आ रही हैं अगर आप उस बारे में जान लेंगे तो शायद आपको इसके नाम से ही घृणा हो जाएगी। आज के इस लेख में हम एंटी एजिंग क्रीम की सच्चाई के बारे में विस्तार से जानेंगे और जानेंगे कि किन चीजों का उपयोग कर इसे तैयार किया जाता है।
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कॉस्मेटिक में मनुष्य का भ्रूण!
दरअसल, इस पूरे ब्रह्माण्ड में मनुष्य एक ऐसी प्रजाति है जोकि अपने लाभ के लिए कुछ भी कर सकती है और किसी भी सीमा को पार कर सकती है। इसी कड़ी में आता है हमेशा जवान दिखने का सपना जोकि पूर्ण रूप से एक भ्रम है और कुछ नहीं। सत्य तो यह है कि आपका जन्म हुआ है तो आप बच्चे से युवा और फिर वृद्धावस्था को भी अवश्य प्राप्त होगे अगर आप अधिक जीवित रह पाते हैं तो, अन्यथा जीवन मृत्यु पर किसी का वर्चस्व नहीं होता।
आज लोग युवा दिखते रहने की चाह तो रखते ही है और भ्रमजाल में फंसकर एंटी एजिंग क्रीम जैसी चीजों का उपयोग कर रहे हैं। एंटी एजिंग क्रीम को लेकर ऐसे आरोप लगने लगे हैं कि इसे फेटल सेल्स यानी कि गर्भपात से प्राप्त होने वाले भ्रूण से तैयार किया जाता है। वैसे तो मानवता की दुहाई देने वाले लोग दूध का भी उपयोग करने को लेकर कहते हैं कि जानवरों का शोषण किया जा रहा है, परन्तु इसका क्या जिसमें मनुष्य के भ्रूण का उपयोग किया जा रहा है और इससे कॉस्मेटिक कंपनियां करोंड़ों छाप रही हैं।
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क्या होती है एंटी एजिंग क्रीम?
अगर आप अपनी त्वचा को चमकाने के लिए कॉस्मेटिक का उपयोग करते हैं तो आपको पता ही होगा कि बाजार में त्वचा को जवान बनाए रखने के लिए कई प्रकार के फ्रॉड चल रहे हैं। तो बस इसी में से एक है एंटी एजिंग क्रीम जिसे गर्भपात से प्राप्त होने वाले भ्रूण को मिलाकर तैयार किया जाता है और बताया जाता है कि इसका उपयोग करने से शरीर की त्वचा लंबे समय तक जवान और अच्छी दिखेगी।
दरअसल, 1930 के दशक से ही मेडिकल शोध में भ्रूण कोशिकाओं का उपयोग किया जाता रहा है लेकिन उस समय इसका उपयोग सिर्फ शोध तक ही सीमित था। बाद में जब 1992 के एक शोध के द्वारा यह खुलासा हुआ कि भ्रूण में त्वचा पर होने वाले घावों को ठीक करने की एक अनूठी क्षमता होती है तो कॉस्मेटिक कंपनियों ने इसे हाथों-हाथ लिया (कॉस्मेटिक में मनुष्य का भ्रूण) और उसके बाद स्विट्जरलैंड की कंपनी Neocutis का उदाहरण हमारे सामने है जिस पर इसी तरह के आरोप लगते रहे हैं। किस प्रकार इसने एंटी एजिंग क्रीम बनाने में भ्रूण का उपयोग किया। यह कंपनी 2003 में रजिस्टर्ड की गई थी। इसके अलावा “चिल्ड्रन ऑफ गॉड फॉर लाइफ” नाम की संस्था ने इसके विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की थी जिसे लेकर 2009 में वाशिंगटन टाइम्स द्वारा एक रिपोर्ट भी छापी गई थी।
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एंटी एजिंग क्रीम है सामाजिक बुराई
दुनियाभर में शकाहार की ध्वजा वाहक बनने वाली और दूध, मांस के उपयोग को हमेशा टारगेट करने वाली अमेरिकी संस्था पेटा कहती है कि दूध का उपयोग बंद करना चाहिए क्योंकि जानवरों पर अत्याचार किया जाता है। परन्तु एंटी एजिंग क्रीम को लेकर तथाकथित पशुओं के हितों की बात करने वाली पेटा जैसी संस्थाएं भी कुछ नहीं कहती हैं। निष्कर्ष देखें तो कॉस्मेटिक के बाजार की काली सच्चाई निकलकर हमारे सामने आ रही है और हमें सोचने पर मजबूर करती है कि आखिरकार मनुष्य अपने लाभ के लिए क्या कुछ नहीं करता है।
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