वर्ष 2023 में अनंत चतुर्दशी कब है?
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे अनंत चतुर्दशी कब है (Anant chaturdashi kab hai) के बारें में एवं साथ ही शुभ मुहूर्त, पूजा विधि – विधान एवं महत्त्व के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.
Anant Chaturdashi 2022 Date-भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है. इस दिन अनंत भगवान (भगवान विष्णु) की पूजा के पश्चात बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है. इनमें चौदह गांठें होती हैं. अनंत चतुर्दशी तिथि का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है, इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा होती है. अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेश विसर्जन भी किया जाता है इसलिए इस पर्व का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है.
अनंत चतुर्दशी 2023 का शुभ मुहूर्त कब है? (Anant chaturdashi 2023 Shubh Muhurat kab hai)
अनंत चतुर्दशी गुरुवार, 28 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी.
महत्वपूर्ण जानकारी
अनंत चतुर्दशी 2023
गुरुवार, 28 सितंबर 2023
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ : 27 सितंबर 2023 रात 10:18 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 28 सितंबर 2023 को शाम 06:49 बजे
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त: 06:12 AM to 06:49 PM
अनंत चतुर्दशी पूजा विधि
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने का विधान है. यह पूजा दोपहर के समय की जाती है. जानें अनंत चतुर्दशी पूजा विधि…
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें|
पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करें|
कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें|
कुश से बने अनंत की जगह भगवान विष्णु की तस्वीर भी लगा सकते हैं|
अब एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें, इसमें चौदह गांठें लगायें. इसे भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने अर्पित करें|
अब भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें.
पूजन के बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें |
पुरुषों को अनंत सूत्र दांये हाथ में और महिलाओं को उनके बांये हाथ में बांधनी चाहिए|
अनंत सूत्र बांधने के बाद ब्राह्मण को भोजन करायें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें|
अनंत चतुर्दशी का महत्व ( Significance Of Anant Chaturdashi)-
अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति यदि श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. यह व्रत धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना के साथ किया जाता है.
क्यों बांधी जाती है 14 गांठ?
रेशम की डोर से बनी ये 14 गांठ व्यक्ति को हर भय से मुक्ति दिलाती है। इसके साथ ही उसकी रक्षा करती है। जो भी व्यक्ति विधिवत पूजा करने के बाद इस चौदह गांठ को बांधता है उसके ऊपर हमेशा भगवान विष्णु की कृपा रहती है। बता दें कि यह 14 गांठ 14 लोकों से संबंधित है। 14 लोक इस प्रकार है-भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक)।
अनंत सूत्र धारण करने के नियम
- अग्नि पुराण के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा रें। इसके साथ ही एक रेशम के धागे को लेकर हल्दी और केसर से रंग लें। इसके बाद इसमें एक-एक करके 14 गांठ लगा दें। फिर भगवान विष्णु को अर्पिता करते हुए इस मंत्र को बोले- ऊँ अनंताय नमः
- इसके बाद भगवान से कामना करें कि इस धागे में अपनी शक्ति प्रदान करें। पूजा समाप्त होने के बाद इस सूत्र को महिलाएं बाएं हाथ में और पुरुष दाएं हाथ में बांध लें।
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पूजा विधान
अनन्त एवं नागानामधिपः सर्वकामदः।
सदा भूयात् प्रसन्नोमे यक्तानाभयंकर।।
अनंन्तसागरमहासमुद्रेमग्नान्समभ्युद्धरवासुदेव।
अनंतरूपेविनियोजितात्माह्यनन्तरूपायनमोनमस्ते॥
मंत्र से पूजा करना चाहिए। यहां भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण के में रूप हैं और शेषनाग काल रूप में विद्यमान हैं। अतः दोनों की सम्मिलित पूजा हो जाती है।
स्नान करके कलश की स्थापना की जाती है। कलश पर अष्ट दल कमल के समान बने बर्तन में कुशा से निर्मित अनन्त भगवान की स्थापना की जाती है। उसके समीप 14 गांठ लगाकर हल्दी से रंगे कच्चे डोरे को रखें और गन्ध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें। तत्पश्चात् अनन्त भगवान का ध्यान कर शुद्ध अनन्त को अपनी दाईं भुजा में बाँधना चाहिए। यह धागा अनन्त फल देने वाला है। अनन्त की चैदह गाँठे लोकों की प्रतीक है। उनमें अनन्त भगवान विद्यमान हैं।
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