‘ब्रिटिश सांस्कृतिक रूप से समृद्ध थे’, इससे अधिक हास्यास्पद और कुछ भी नहीं

ब्रिटिश दुनियाभर में अपनी संस्कृति का गुणगान करते नहीं थकते हैं। परन्तु वास्तव में ये कितने धनवान और सभ्य हैं इसके लिए तो इनका इतिहास ही साक्षी है।

british museum chor bazaar

SOURCE TFI

British Museum Chor Bazaar: ब्रिटेन, यह वही जगह है जहां स्वयं को सभ्यता का पर्याय बताने वाले अंग्रेज रहते हैं और दुनियाभर में अपनी संस्कृति का गुणगान करते नहीं थकते हैं। परन्तु वास्तविकता में ये कितने धनवान और सभ्य हैं इसके लिए तो इनका इतिहास ही साक्षी है। अंग्रेजों के सभ्य होने का एक उदाहरण तो हमने आपको अपनी पिछली वीडियो में बताया ही है कि किस प्रकार मध्यकालीन यूरोप में मलत्याग करने तक की कोई सुविधा नहीं हुआ करती थी। कहीं भी और कभी भी मध्ययुगीन यूरोपियन लोग मल त्याग कर देते थे, इस वीडियो को आप अभी हमारे चैनल पर देख सकते हैं। आज हम अंग्रेजों के सभ्य और धनी होने के खोखले दावों की पोल खोलेंगे।

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अंग्रेजी संग्रहालय (British Museum) नहीं चोर बाजार (Chor Bazaar) कहिए

दरअसल, छल और क्रूरता से परिपूर्ण अपनी नीतियों के द्वारा अंग्रेजों ने कैसे दुनियाभर में लोगों पर अत्याचार किया इससे तो आप भली भांति परिचित होगें। परन्तु क्या आपको पता है कि ये अंग्रेज किस प्रकार धनवान हुए और इनके संग्रहालयों में आज जो कुछ रखा हुआ है वो कहां से और कैसे आया।

ब्रिटेन में दुनियाभर से लोग घूमने के लिए भी आते हैं परन्तु यह समझ नहीं आता कि इस भव्यता में भव्य क्या है,  क्योंकि संग्रहालयों में तो सारा सामान दूसरे देशों से चोरी किया हुआ रखा है। इसके अलावा इस चोरी के सामन की लिस्ट इतनी लंबी है कि पूरे अंग्रजी संग्रहालय खाली हो सकते हैं। असल में इन संग्रहालयों (British Museum) को Chor Bazaar की संज्ञा दी जानी चाहिए।

संग्रहालयों में रखे चोरी के सामान की बात की जाए तो अलग-अलग देश के लोगों के लिए अलग-अलग चीजें महत्वपूर्ण हैं। जैसे अफ्रीका के लोगों के लिए ‘ग्रेट स्टार ऑफ अफ्रीका डायमण्ड’, मिश्र के लोगों के लिए रोसेटा स्टोन। भारत की ही बात कर लीजिए तो कोहिनूर हीरा, राजा रंजीत सिंह का सिंहासन, बुद्ध की 500 किलो की कॉपर की प्रतिमा इत्यादि सामान रखे गए हैं। ये तो सिर्फ कुछ उदाहरण हैं असल में इससे कहीं अधिक सामान हैं जो अंग्रजों द्वारा चुराया गया था।

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अरबों में है इनका मूल्य

इसके आलावा इन सामानों के मूल्य को आंका जाए तो इनका मूल्य अरबों में है। ग्रेट स्टार ऑफ अफ्रीका डायमण्ड के बारे में तो यह तक कहा जाता है कि यह अफ्रीका का एक मूल्यवान हीरा है और जो लगभग 530 कैरेट का है। इस हीरे का मूल्य लगभग 400 मिलियन अमेरिकी डॅालर के बराबर है। अफ्रीका के डायमण्ड स्टार का 1905 में दक्षिण अफ्रीका से खनन किया गया था और इसके बाद जब अंग्रजों ने अफ्रीका में शासन किया तो दूसरे सामनों की तरह इसे भी वे ब्रिटेन ले गए।

ऐसा ही एक बहुमूल्य रत्न है भारत का कोहिनूर हीरा, जिसकी पुनः प्राप्ति की मांग के लिए अनेक भारतीय लंबे समय से मांग उठाते आए हैं और जो अनेकों योद्धाओं और राजाओं के हाथों से होते हुए अब ब्रिटिश साम्राज्य के हाथों में जा पहुंचा है या ऐसा कहें कि हर सामान की तरह इसे भी अंग्रेजों ने चुरा लिया, हड़प लिया।

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वास्तुकला और साहित्य में बहुत पीछे हैं

वास्तुकला और साहित्य में कितने समृद्ध हैं अंग्रेज इस पर ध्यान देना होगा। अंग्रेज स्वयं को महान बताने के लिए वास्तुकला और साहित्य को आधार बनाते हैं परन्तु अंग्रजों की वास्तुकला बहुत अधिक पुरानी और समृद्ध नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि अंग्रेज जब वास्तुकला के बारे में जानते भी नहीं थे तब भारत में हड़प्पा जैसे शहर बसे हुए थे जहां पक्के घरों से लेकर पानी के निकास और स्नानागार तक हर तरह की सुविधा हुआ करती थी। इसके बाद बात आती है भाषा और साहित्य की तो अंग्रजी में अधिकतर शब्द संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं से लिए गए हैं।

यदि अंग्रजों के महान और धनवान होने की बात पर समीप से ध्यान दिया जाए तो यह पूर्ण रूप से असत्य है और कुछ नहीं, क्योंकि इन लोगों ने दूसरे देशों को लूट कर अपने खजानों को भर लिया और अब सबको भ्रम में डालते हुए स्वयं को सभ्य और धनाढ्य बताने में लगे हुए हैं।

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