विश्व पटल पर भारत की बढ़ती ताकत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि अमेरिका जैसा देश भी अब भारत के अनुसार चलने को मजबूर हो गया है। आपने शुरू से ही देखा होगा कि कैसे युद्ध की स्थिति में भारत के द्वारा लगातार रूस से तेल खरीदने को लेकर कई पश्चिमी देश नाराज हो बैठे थे, लेकिन भारत ने इस दौरान किसी की भी परवाह नहीं की। अमेरिका जैसे देश चिल्लाते रहे लेकिन भारत ने अपना रूख स्पष्ट रखा जिसका परिणाम यह है कि अमेरिका आज घुटने के बल आ गया है, क्योंकि उसे भी यह ज्ञात हो चुका है कि आज का भारत किसी के सामने झुकने को तैयार नहीं है। अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन (Janet Yellen) ने कहा है कि भारत रूस से जितना चाहे उतना तेल खरीद सकता है।
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अमेरिका के तेवर पड़े नरम
अब आप देखिए कि कैसे अमेरिका, रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से कभी भारत को धमकाकर तो कभी दबाव बनाकर कोशिश कर रहा था कि हम सस्ते में रूस से तेल न खरीदें। जो अमेरिका इसके लिए गर्म हो रहा था, आज उसके तेवर नरम पड़ गए है। आज Janet Yellen कह रही हैं कि भारत जितना चाहे उतना तेल खरीदे वो इससे खुश है, उसे कोई समस्या नहीं। इसे भारत की बढ़ती ताकत नहीं तो और क्या कहा जायेगा।
प्राइस कैप को लेकर Janet Yellen का बयान
दरअसल, भारत यात्रा पर आईं अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा है कि भारत, रूस से जितना चाहे उतना तेल खरीद सकता है। उन्होंने कहा कि भारत चाहे तो G7 द्वारा लगाए गए प्राइस कैप के ऊपर की कीमत पर भी खरीद सकता है।
आपको बता दें कि G7 में यूके, यूएस, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान शामिल हैं। G7 प्राइस कैप का मतलब है कि रूसी तेल की कीमतों पर प्राइस कैप लगाने से इसका व्यापार तो करता रहेगा, लेकिन वो अपनी तेल की की्मतों को एक निश्चित वैल्यू से ऊपर नहीं बेच पाएगा। G7 के साथ साथ इसके सहयोगी देश भी एक निश्चित कीमत से अधिक का वैल्यू देकर रूसी तेल का आयात नहीं कर पाएंगे। सीधे तौर पर इस प्राइस कैप के जरिए G7 देश रूस को होने वाले मुनाफे को कम करना है।
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इससे पहले तक अमेरिका समेत यूरोपीय देश रूसी तेल पर प्राइस कैप लगाने के लिए भारत पर इसका समर्थन करने के लिए दबाव बना रहे थे। परंतु भारत ने अपना रुख स्पष्ट किया जिसके चलते अमेरिका को आखिकार पीछे हट गया है। येलन ने कहा– “रूसी तेल सस्ते दामों पर बिक रहा है और हम खुश हैं कि भारत को बेहतर सौदा मिल गया है।”
वैसे बता दें कि G7 देश 5 दिसंबर से रूस के तेल का अधिकतम प्राइस तय करने वाले हैं। अमेरिकी वित्त मंत्री येलेन ने कहा कि रूस प्राइस कैप से ज्यादा तेल नहीं बेच पाएगा, जिसके कारण उसे तेल का निर्यात करना मुश्किल हो जाएगा। रूस के रेवेन्यू पर अंकुश लगाते हुए यह कैप वैश्विक तेल की कीमतों को कम करेगा।
ध्यान देने योग्य है कि रूस, भारत में तेल का सबसे बड़े सप्लायर में से एक बन गया है। अब भारत को तेल सप्लाई करने के मामले में रूस ने इराक और सऊदी अरब को भी पीछे छोड़ दिया है। आपको बता दें कि रूस ने भारत को अक्टूबर माह में 935,556 बैरल प्रति दिन कच्चे तेल की सप्लाई की है।
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भारत का स्पष्ट रूख
जाहिर तौर पर यह भारत के फायरब्रांड नेताओं फिर चाहे वो विदेश मंत्री एस जयशंकर हो या फिर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, जो रूस से तेल खरीदने को लेकर दो टूक जवाब देते आये हैं। अभी हाल ही में जयशंकर जब रूस के दौरे पर गये थे, तो उन्होंने इस दौरान भी भारत का रूख स्पष्ट करते हुए कहा था कि भारत, रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा, क्योंकि हमें इसके फायदा हो रहा है। जिसके बाद अब अमेरिकी वित्त मंत्री येलेन का ये बयान आया है।
इसके अलावा कुछ समय पूर्व भारत ने पश्चिमी देशों को खरी खरी सुनाते हुए यह भी कहा था कि यूरोप को उस मानसिकता से बाहर निकालना होगा कि उसकी समस्याएं पूरी दुनिया की समस्याएं हैं लेकिन दुनिया की समस्या, यूरोप की समस्या नहीं है।
भारत के स्पष्ट रुख से अमेरिका भांप चुका है कि आज का नया भारत किसी के भी हिसाब से चलने वाला नहीं है।भारत की विदेश नीति का लोहा मानते हुए अमेरिका ने थक हारकर आखिरकार यह कह ही दिया भारत, रूस से जैसे चाहे, जितना चाहे तेल खरीद लें, उसे कोई समस्या नहीं है।
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