कोटा सुनते ही सबके पहले आपके दिमाग में क्या आतो होगा? जाहिर तौर पर यहां के शिक्षा संस्थान। कोटा को भारत की “कोचिंग राजधानी” भी कहा जाता है। इसे शिक्षा का काशी, कोचिंग सिटी, शिक्षा नगरी आदि नामों से संबोधित किया जाता है। ये शहर देश को सबसे अधिक डॉक्टर और इंजीनियर दे रहा है। यहां देश के अलग अलग कोनों से हजारों छात्र अपने और अपने माता पिता के सपनों को पूरा करने के लक्ष्य से डॉक्टरी और इंजीनियरिंग से जुड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। कोटा कि गली-गली में कोचिंग सेंटर्स के पोस्टर लगे दिख जाते हैं।
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कोरोना का पड़ा असर
देखा जाये तो कोटा शहर की अर्थव्यवस्था ही कोचिंग संस्थानों पर टिकी हुई है। हालांकि कोरोना महामारी के दौरान कोटा में शिक्षा व्यवस्था थोड़ी अव्यवस्थित हो गयी थीं और एड-टेक के बढ़ते दबदबे के बाद ऐसा माना जाने लगा कि कोटा का वर्चस्व अब खो रहा है। माना जाने लगा था कि ऑनलाइन शिक्षा का दौर कोटा के दबदबे का अंत कर देगा। लेकिन अब हकीकत इससे अलग ही नजर आ रही है।
दरअसल, कोरोना संक्रमण के कारण कोटा में कोचिंग कर रहे छात्रों को अपने शिक्षण संस्थान छोड़कर घर वापस लौटने को विवश होना पड़ा था। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के चलते देशभर में ऑफलाइन शिक्षा प्रभावित हो गई थी, जिसके बाद छात्रों के सामने अपनी पढ़ाई जारी रखने का संकट खड़ा हो गया था। तब बड़ी संख्या में लोगों ने ऑनलाइन पढ़ाई का रूख किया।
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कोचिंग सिटी कोटा में लौटीं रौनक
छात्र घर बैठे बिना स्कूल-कॉलेज जाए ही लैपटॉप, कंप्यूटर या स्मार्टफोन के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने लगे और यहीं तमाम एडटेक कंपनियों की तो मानो चांदी ही हो गयी थीं। कोरोना महामारी का दौर एड-टेक कंपनियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं साबित हुआ। इन कंपनियों ने कोरोना संक्रमण को अवसर समझ खूब लाभ कमाया। हालांकि कोरोना महामारी का दौर खत्म होते ही इन एड-टेक कंपनियों के अच्छे दिन लद गये।
लेकिन स्थिति अब एक बार फिर से बदल गईं हैं। कोरोना संक्रमण के बाद शिक्षा नगरी कोटा में रौनक लौट चुकी हैं। कोटा के कोचिंग संस्थानों में हालात ऐसे हो गए हैं कि छात्रों को बैठाने तक के लिए जगह नहीं है। नवंबर में भी यहां कोचिंग संस्थानों में प्रवेश जारी हैं, जिनमें सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी एडमिशन ले रहे हैं।
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एडटेक कंपनियों का फूटा बबल
वहीं दूसरी ओर एड-टेक कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गईं हैं। कई बड़ी एड-टेक कंपनियां लगातार घाटे में जा रही हैं। इसके सबसे बड़ा उदाहरण हमें BYJUs के हालात से देखने को मिलता है। जी हां, वहीं BYJUs जो देश की सबसे बड़ी एड-टेक कंपनी होने का दावा करती है। आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में BYJUs का घाटा 17 गुना बढ़ गया है। कंपनी को इस वित्त वर्ष में 4500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है, जो एक वर्ष पूर्व यानी वित्त वर्ष 2019-20 में 262 करोड़ रुपये था। कंपनी के राजस्व में भी भारी कमी आयी है। बाकी कई एड-टेक कंपनियों का भी ऐसा ही हाल है।
हालात तो ऐसे हो गये हैं कि इन एड-टेक कंपनियों को ऑफलाइन ट्यूशन सेंटर खोलने पड़ रहे है। जहां BYJU’s ने पहले ही ऑफ़लाइन ट्यूशन केंद्र खोल दिए हैं। वहीं Unacademy ने पूरे देश में कोचिंग सेंटर खोलने की घोषणा की है, जिसकी शुरुआत राजस्थान के कोटा से हुई है। एडटेक प्लेटफॉर्म पीडब्ल्यू यानि फिजिक्सवाला ने शिक्षा नगरी कोटा में अपना कोचिंग सेंटर शुरू किया। दूसरी तरफ कोटा से चलने वाले कई कोचिंग इंस्टीट्यूट भी अब डिजिटल होते जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में भी कोटा ने ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से क्लासेस दी थीं।
देखा जाये तो कोरोना की मार झेलने के बाद कोटा के शिक्षण संस्थानों के अच्छे दिन फिर से लौट आए हैं और एडटेक कंपनियों पतन की ओर अग्रसर हैं। छात्र को महसूस होने लगा है कि घर से शिक्षा प्राप्त करना केवल कोरोना महामारी के दौरान केवल एक विकल्प था। परंतु अब एक बार फिर लोग ऑफलाइन शिक्षा का रूख कर रहे हैं।
इससे साबित होता कि कोचिंग व्यवसाय में आज भी राजस्थान के कोटा के पास ही बादशाहत है और ऐसा प्रतीत होता है कि ये बादशाहत कोटा के पास लंबे समय तक रहने वाली है।
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