Kuposhan kise kahate hain? (कुपोषण किसे कहते है?)
स्वागत है आपका आज के इस लेख में Kuposhan kise kahate hain? (कुपोषण किसे कहते है?) एवं कुपोषण के लक्षण, कुपोषण की वजह, कुपोषण के प्रकार आदि के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.
हमारे खाने में पोषक तत्वों की कमी हो जाए तो हमारे शरीर के साथ हमारे जीवन पर भी खराब प्रभाव पड़ता है ये हमारे स्वास्थ्य, व्यवहार, मूड के साथ-साथ संपूर्ण विकास को प्रभावित करता है
अधिकतर लोग यह समझते हैं कि जिन लोगों को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता केवल वे ही कुपोषण का शिकार होते हैं लेकिन पौष्टिक भोजन मिलने के बावजूद अगर आपकी खाने-पीने से जुड़ी आदतें ठीक नहीं हैं तो आप भी कुपोषण के शिकार हो सकते हैं जैसे हरी सब्जियां अगर भाप में पकाकर खाई जाएं तो इनसे सबसे ज्यादा पोषण मिलता है लिहाजा हम जो खा रहे हैं, उससे सबसे ज्यादा पोषण किस रूप में मिलेगा उसका ध्यान रखना भी जरूरी है कुपोषण का खतरा पुरुषों के बजाय महिलाओं में ज्यादा होता है वहीं वयस्कों के बजाय बच्चे इसका शिकार ज्यादा होते हैं.
कुपोषण के लक्षण
कुपोषण का सबसे प्रमुख लक्षण वजन कम होना है अगर आपका वजन तीन महीने के अंदर बिना डायटिंग के 10 फीसदी कम हो रहा है तो आप कुपोषण के शिकार हैं इसके अलावा थकान, आलस, खून की कमी, सांस लेने में दिक्कत आदि भी कुपोषण के लक्षण हैं .
Kuposhan kise kahate hain and Reason in Hindi? –
- खाद्य असुरक्षा या पर्याप्त और सस्ते भोजन की कमी – कई अध्ययन में विकासशील और विकसित दोनों देशों में खाद्य असुरक्षा और कुपोषण में संबंध पाया है
- पोषक तत्वों के अवशोषण के साथ पाचन संबंधी समस्याएं – ऐसी बीमारियां जो कुपोषण का कारण बनती हैं, जैसे कि क्रोहन रोग, सीलिएक रोग और आंतों में बैक्टीरियल अतिवृद्धि
- मानसिक स्वास्थ्य विकार – अवसाद और अन्य मानसिक रोग कुपोषण के खतरे को बढ़ा सकती हैं एक अध्ययन में पाया गया है कि स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में अवसाद से पीड़ित लोगों में कुपोषण की व्यापकता 4% अधिक थी
विटामिन कुपोषण से होने वाले रोगों के लक्षण –
- शारीरिक विकास का रूक जाना
- मांसपेशियों में ढीलापन एवं सिकुड़न
- त्वचा का रंग पीला होना
- त्वचा पर झुर्रियों का पड़ना
- कम कार्य करने पर भी थकान आना
कुपोषण की वजह
खाने में पोषक तत्वों की कमी-
आप पेटभर खाना खा रहे हैं फिर भी अगर कुपोषण का शिकार होते जा रहे हैं तो मेन्यू पर ध्यान देने की जरूरत है बहुत संभव है कि आपके खाने में पोषक तत्वों की कमी हो कई खाद्य पदार्थ स्वादिष्ट होते हैं लेकिन हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा नहीं कर पाते अगर आप इस तरह का खाना खाने की आदत बना लेते हैं तो कुपोषण का शिकार हो जाएंगे
असंतुलित खाना-
हमारे शरीर को उम्र और आयु के हिसाब से पोषण की अलग-अलग मात्रा की जरूरत होती है मान लिया आप आधा ग्लास दूध पीते हैं और आपके शरीर को एक ग्लास दूध की जरूरत है तो पोषण अधूरा रह जाएगा अगर भोजन में पोषण की मात्रा जरूरी स्तर से कम होती है और लगातार काफी समय तक ऐसा ही कम पोषक तत्वों वाला भोजन किया जाए तो कुपोषण की संभावना बढ़ जाती है
आर्थिक कारण और जागरूकता की कमी-
कुछ लोगों की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं होती किि वे पोषक खाना खा सकें वहीं कुछ लोग सिर्फ पेट और स्वाद के लिए खाना खाते हैं और पोषक तत्वों की जरूरत को दरकिनार कर देते हैं
पर्याप्त नींद न लेना-
नींद न लेने से भी कुपोषण की समस्या पैदा हो सकती है सामान्य वयस्क को रोजाना आठ घंटे की नींद जरूरी होती है नींद की कमी होने से मेटाबोलिज्म गड़बड़ा जाता है ऐसे में पोषक खाना खाने के बावजूद शरीर पोषण को अवशोषित नहीं कर पाता और धीरे-धीरे कुपोषण का शिकार बन जाता है
Kuposhan kise kahate hain evm iske types in Hindi
तीव्र कुपोषण (एक्यूट मालन्यूट्रिशन) –
जब वजन में बहुत ज्यादा कमी आती हैं, तब ये कुपोषण होता हैं. इसके कारण 3 प्रकार के कुपोषण संभव है
मरसेमस-
इस बीमारी में शरीर में वसा तेजी से कम होने लगती हैं,और ऊतक(टिश्यू)भयंकर ख़राब होने लगते हैं. इसके कारण शरीर का प्रतिरक्षा तन्त्र कमजोर होने लगता हैं.
क्वाशियोरकोर –
इस बीमारी में बॉडी फ्लूइड शरीर से बाहर नहीं निकल पाता हैं, जिस कारण स्किन और बालों के रंग में परिवर्तन आने लगता हैं, मोटापा, डायरिया, मसल मॉस का कम होना,रोग प्रतिरक्षा तन्त्र का कमजोर होना, वजन बढ़ना और विकास अवरुद्ध होना, घुटनों, पैरो और शरीर के निचले हिस्से में सुजनहोना भी इसके लक्ष्ण है,
मर्सेमिक क्वाशियोकोर–
यह मरसेमस और क्वाशियोकोर का मिश्रित रूप हैं जिसमे दोनों रोगों के लक्ष्ण दिखाई देते है.
सामाजिक परिस्थितियाँ –
- कुपोषण में योगदान करने वाले सामाजिक कारकों में शामिल हैं:
- अकेले रहना और सामाजिक रूप से अलग-थलग होना
- पोषण या खाना पकाने के बारे में सीमित ज्ञान
- घटी हुई गतिशीलता
Malnutrition Prevention Measures in Hindi
कुपोषण उपचार –
जरूरी है की सहायता से स्क्रीनिंग करने के बाद उपचार की प्रक्रिया शुरू होता हैं. कम रिस्क पर अस्पताल या घर पर ही पोषक आहार लेना शुरू किया जा सकता हैं. इससे थोडा ज्यादा होने पर 3 दिन के लिए आहार का निर्धारण किया जाता हैं. और ज्यादा रिस्क होने पर व्यक्ति को आहार विशेषज्ञ से उपचार लेना पड़ता हैं
कुपोषण के रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं-
- जनसंख्या को नियंत्रित करके कुपोषण पर काबू पाया जा सकता है
- फूड फोर्टिफिकेशन- इसके तहत अनेक पोषक तत्वों जैसे- विटामिन, आयरन तथा जिंक आदि को सामान्य खाद्य पदार्थों में मिला के दिया जाता है
- संतुलित आहार द्वारा
- 6 माह तक शिशु को माँ का दूध पिलाना चाहिए
Also Read: Malnutrition meaning, causes and prevention in Hindi
FAQ-
Ques- भारत का सबसे कम कुपोषित राज्य कौन सा है?
Ans- केरल
Ques- Kuposhan kise kahate hain? कुपोषण की परिभाषा क्या है?
Ans- कुपोषण वह अवस्था है जिसमें पौष्टिक पदार्थ और भोजन, अव्यवस्थित रूप से लेने कारण शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है और जिसे कारण गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है! हम स्वस्थ रहने के लिए भोजन के जरिए ऊर्जा और पोषक तत्व प्राप्त करते हैं भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज सहित पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते तो कुपोषण का शिकार हो सकते हैं!
Ques- राष्ट्रीय पोषण नीति कब लागू हुई थी?
उत्तर- भारत सरकार द्वारा वर्ष 1993 में राष्ट्रीय पोषण नीति लागू की गई थी
Ques- कुपोषण Kuposhan को कैसे रोका जा सकता है?
Ans- फल और सब्जियां – कम से कम दिन में 3 बार रोटी, चावल, आलू, पास्ता, अनाज और अन्य स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ दूध और डेयरी खाद्य पदार्थ – जैसे पनीर और दही मांस, मछली, अंडे, बीन्स, नट्स, और प्रोटीन के अन्य गैर-डेयरी स्रोत
Ques- न्यूट्रिशन वीक कब मनाया जाता है?
Ans- हर साल 1 सितंबर से 7 सितंबर तक
Ques-कुपोषण का मुख्य उपचार क्या है?
Ans-आहार परिवर्तन और पूरक
Ques- बच्चों में कुपोषण से होने वाले दो रोगों के नाम बताइये?
Ans- क्वाशिओरकोर ,मरास्मस |
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