देश में इन दिनों चुनावों की सरगर्मियां हैं, हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के अलावा भी देश के केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में एक महत्वपूर्ण चुनाव होने वाला है। यह दिल्ली का MCD चुनाव है जिस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। दिल्ली नगर निगम का यह चुनाव बहुत दिलचस्प होने वाला है क्योंकि यह चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय रूप ले चुका है।
MCD का चुनाव होगा दिलचस्प
MCD चुनाव के लिए तीन पार्टियां बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस जमकर मेहनत कर रही हैं और ये सभी पार्टियां चुनाव में अपने वादों और विचारधाराओं के साथ चुनावी मैदान में उतर रही हैं। अगर देखा जाए तो 2014 के बाद से विपक्षी दल कुछ क्षेत्रों में मजबूत प्रर्दशन करने में विफल रहे हैं जिसके चलते ज्यादातर चुनाव एकतरफा मोड़ ले लेता है। लेकिन इस बार दिल्ली में होने वाला MCD का चुनाव पहले से कहीं अधिक दिलचस्प साबित हो सकता है।
अगर दिल्ली में पहले हुए MCD के चुनावों की बात करें तो पहले कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला हुआ करता था। लेकिन अब आप के मैदान में कूदने के बाद स्थिति बदली है और इस पार्टी ने कांग्रेस को बहुत नुकसान पहुंचाया है। लेकिन चुनाव त्रिकोणीय होता दिख रहा है, कैसे? आइए इसे समझते हैं।
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बीजेपी की मेहनत
दरअसल, दिल्ली नगर निगम के चुनाव 4 दिसबंर को होने हैं और नतीजे 7 दिसंबर को आ जाएंगे। यह चुनाव 250 वार्डों पर होना है। दिल्ली नगर निगम पिछले 15 सालों से भाजपा के हाथों में है। ऐसे में बीजेपी तो बिल्कुल भी नहीं चाहेगी कि MCD में उसकी हार हो और दिल्ली नगर निगम उसके हाथ से निकल जाए, ऐसे में बीजेपी तो जी तोड़ मेहनत करेगी ही। दिल्ली नगर निगम चुनाव के लिए भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेताओं से भरी स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है। जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता सहित कई नेताओं, सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों के नाम शामिल हैं। तो भाजपा तो पूरी तरह से चुनाव के लिए तैयार दिख रही है।
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कांग्रेस की खोई हुई जमीन
अब अगर कांग्रेस की बात करें तो यह पार्टी दिल्ली में अपनी खोई हुई जमीन की तलाश में हैं, वो बात और है कि कांग्रेस की तरफ से उस तरह के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। खैर कांग्रेस आगामी MCD चुनावों के लिए अपने अभियान के तहत दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के समय में ही किए गए कामों को दिल्लीवालों को याद करा रही है और चुनाव प्रचार में उन्हीं के खूब गुणगान कर रही है। शायद इसका फायदा कांग्रेस को आप के वोट काटकर मिल सकता है जिससे कांग्रेस एक बार फिर दिल्ली MCD में आप का पत्ता काटकर खेल में आ सकती है।
आप की फ्री वाली राजनीति
वहीं आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनाव के बाद MCD चुनाव की ओर अपनी नजरें गड़ाए हुए है। आप MCD के चुनाव प्रचार में भी अपनी फ्री वाली राजनीति को ही दोहरा रही है। वह चुनाव प्रचार में अपने तथाकथित दिल्ली मॉडल का राग अलापने में व्यस्त है लेकिन दूसरी ओर भाजपा ने आप पर भष्टाचार के आरोप लगाकर पार्टी की पोल तो खोली ही है, यहां तक की पार्टी की चूलें हिला दी हैं। बीजेपी लगातार यमुना नदी की सफाई, बसों की कमी, पानी की समस्या और प्रदूषण के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी को घेर रही हैं।
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अब सवाल यह है कि अगर दिल्ली के MCD चुनाव का मुकाबला त्रिकोणीय होता है तो इससे मतदाताओं का भला कैसा होगा? दरअसल, अगर तीनों पार्टियों के बीच टक्कर रहती है तो चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर चर्चा होगी। विकास कार्यों को लेकर बहस ज्यादा होगी। कुल मिलाकर चुनाव विकास और भविष्य के वादों के इर्द- गिर्द चुनाव रहेगा। तो देखा जाए तो इस बार का दिल्ली MCD चुनाव दिलचस्प साबित होगा और तीनों पार्टियों के बीच भिडंत देखी जा सकेगी।
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