“आतंकी समर्थक देशों से वसूली होनी चाहिए”, अमेरिका को पीएम मोदी ने स्पष्ट संदेश दे दिया है

जी-20 देशों की अध्यक्षता अब भारत के पास है। ऐसे में भारत जिस मुद्दे को लेकर वर्षों से चल रहा है, उसे अब और मजबूती देने की तरफ बढ़ गया है। पीएम मोदी ने इस बार अमेरिका, पाकिस्तान और चीन तीनों को लपेट लिया है।

आतंकवाद और पीएम मोदी, PM Modi's veiled attack on Joe Biden and his green friends after assuming G20 leadership

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आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए बेहद चिंता का विषय है। परंतु फिर भी कुछ देश ऐसे हैं जो आतंकवाद को बढ़ावा देते रहते हैं। इनकी करनी का मूल्य अन्य देशों को चुकाना पड़ता है। इनमें अमेरिका जैसा देश भी शामिल है, जो स्वयं को मानता तो महाशक्ति है और सामने से खुद को आतंकवाद के बड़े विरोधी के तौर पर भी दिखाता है। परंतु यह अमेरिका का दोगला चरित्र ही है कि वह पीछे से पाकिस्तान (Pakistan) जैसे देशों की सहायता करता भी नजर आता है। इसी बीच अब पीएम मोदी ने आतंकवाद पर कड़ा प्रहार करते हुए, इस मामले पर भारत की मंशा को स्पष्ट किया है।

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आतंकवाद पर पीएम मोदी का बड़ा बयान

भारत स्वयं आतंकी घटनाओं का भुग्तभोगी रहा है। भारत ने आतंकवाद के कई ऐसे दंश झेले हैं, जिनके घाव आज तक नहीं सूखे पाये। वैसे तो हमेशा से ही भारत हर वैश्विक मंच पर आतंकवाद के विरोध में ही खड़ा नजर आया है। परंतु अब समय आ गया है कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने का और भारत इसमें अहम भूमिका भी निभा सकता है। क्योंकि भारत के पास अभी मौका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हालिया बयान में इसको लेकर बड़े संकेत भी दे दिये हैं।

दरअसल, नई दिल्ली में आयोजित किए गए ग्लोबल समित ‘नो मनी फॉर टेरर’ के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी अपने संबोधन में आतंकवाद के मुद्दे को लेकर खूब बरसे। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब तक आतंकवाद का खात्मा नहीं होता, तब तक भारत चैन से नहीं बैठेगा। साथ ही इस दौरान उन्होंने परोक्ष रूप से आंतकियों के आका पाकिस्तान और उसे मदद करने वाले देशों पर भी प्रहार किया, जिसमें अमेरिका और चीन जैसे देश उनके निशाने पर रहे।

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अमेरिका, चीन और पाकिस्तान को एक साथ लपेटा

पीएम मोदी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों पर कार्रवाई होनी चाहिए और इन पर जुर्माना भी लगाया जाना चाहिए। आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति दिखाने वाले संगठनों को अलग-थलग किया जाना चाहिए। आतंकवाद का बड़ा प्रभाव गरीबों और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि आतंकवाद की वजह से भारत ने हजारों जानें गंवाईं हैं, लेकिन हमने आतंकवाद का मजबूती के साथ मुकाबला किया है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों को यह नहीं सोचना चाहिए कि युद्ध नहीं हो रहा है तो इसका मतलब शांति है। छद्म युद्ध भी खतरनाक और हिंसक होते हैं। जहां भी आतंकी हमले होते हैं उन्‍हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

आपको बता दें कि आतंकी वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए नई दिल्ली में दो दिवसीय ‘नो मनी फॉर टेरर’ मंत्रीस्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है, जिसमें 78 देश और संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इस सम्मेलन में सभी देशों के प्रतिनिधि और संगठन द्वारा आतंकवाद से निपटने के विषय पर चर्चा की जा रही है। इसकी मेजबानी भारत कर रहा हैं।

बता दें कि हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान की वित्तीय सहायता की थी, यह जानते हुए कि वो इन पैसों का इस्तेमाल किन कामों के लिए करेगा। बाइडन सरकार की ओर से पाकिस्तान को एफ-16 फाइटर जेट के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर की सहायता राशि की मंजूरी दी गयी थी। पाकिस्तान हमेशा से ही भारत के खिलाफ आतंकी साजिशें रचता आया है। अमेरिका ने पाकिस्तान जैसे देश की सहायता करके एक तरह से आतंक को ही बढ़ावा देने का काम किया। कुछ इसी तरह चीन भी कई मंचों पाकिस्तान और उसने आतंकियों का बचाव करता दिखाई पड़ता है।

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भारत बड़ा कदम उठाने की तैयारी में?

परोक्ष रूप से पीएम मोदी ने अमेरिका जैसे देशों को आतंकवाद को सहायता प्रदान करने के लिए निशाने पर लिया। बड़ी बात यह भी है कि पीएम मोदी ने यह हमला भारत को जी20 की अध्यक्षता मिलने के पश्चात किया गया है। अब क्योंकि भारत के हाथों में जी-20 की कमान आ गयी है और भारत का कद भी दुनिया में बढ़ रहा है। हर मुद्दे, हर मामले में भारत बड़ी भूमिका निभा रहा हैं। तो ऐसे में संभावनाएं ये भी बन रही है कि जी-20 सम्मेलन के माध्यम से आतंकवाद के विरुद्ध दुनिया को एकजुट करके कोई कड़ा कदम उठाये, क्योंकि भारत के हाथों में अब ताकत है।

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भारत आतंकवाद को सहायता वाले ऐसे देशों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की योजना बना रहा है, जिसका संकेत पीएम मोदी ने अपने इस बयान के जरिए दे दिया। प्रधानमंत्री के ताजा बयान के बाद कयास ऐसे लग रहे हैं कि भारत आतंकवाद को सपोर्ट करने वाले देशों के खिलाफ कोई प्रस्ताव भी तैयार कर जी-20 में पेश कर सकता है। आपको बता दें कि हाल में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने G-20 की अध्यक्षता आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी हैं। एक साल के लिए G-20 की अध्यक्षता भारत के पास ही रहेगी।

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