जरा सोचिए कि आप एक ऐसे देश में रहते हैं जहां कई धर्म के लोग साथ रह रहे हों और आप उस देश में बहुसंख्यक वाले धर्म में आते हैं। फिर से सोचिए कि अचानक ही उस देश के मूल धर्म की जनसंख्या तेजी से घटने लगे, वहीं दूसरे अल्पसंख्यक वाले धर्म की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होने लगे, तो इस पर आप क्या कहेंगे? क्या रातों-रात किसी देश के मूल धर्म की जनसंख्या में गिरावट आना संभव है? क्या इसके पीछे कोई जादू है? बिलकुल नहीं। लेकिन ब्रिटेन में तो ऐसा ही हो रहा है, जहां अब मुस्लिम जनसंख्या ईसाइयों को भी पीछे छोड़ती नजर आ रही है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे ब्रिटेन अब इस्लामिक स्टेट ऑफ ब्रिटेन बनने की ओर बढ़ रहा है।
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घट रही ईसाईयों की जनसंख्या
ब्रिटेन का आधिकारिक धर्म ईसाई है। ब्रिटेन में हमेशा से ही ईसाईयों की संख्या अधिक रही है। परंतु अब इसमें बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। ब्रिटेन में प्रमुख ईसाई धर्म की जनसंख्या तेजी के साथ घटती जा रही है जबकि मुस्लिमों की आबादी में वृद्धि हो रही है। हाल ही में सामने आए जनगणना के आंकड़े इसका प्रमाण देते हैं। आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन में ईसाई आबादी अब तक के इतिहास में सबसे कम हो गयी है। यहां ईसाईयों की आबादी में 13 प्रतिशत से अधिक की बड़ी गिरावट सामने आई है।
ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स (ONS) ने हाल में जनगणना का डेटा जारी किया है। साल 2021 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन में अब 46% ही आबादी ही ऐसी है, जो स्वयं को ईसाई धर्म का मानती हैं, जबकि एक दशक पूर्व यानी साल 2011 में हुए जनगणना में यह जनसंख्या 59.3 प्रतिशत थी। किसी देश के मूल धर्म में 13 प्रतिशत की गिरावट आना कोई सामान्य बात है क्या? ऐसा पहली बार जब यहां ईसाई धर्म की आबादी आधी से भी कम आबादी रही। इसकी संख्या की बात करें तो ये करीब 27.5 मिलियन है। वहीं 2011 में 59.3 प्रतिशत यानी 33.3 मिलियन लोग ईसाई धर्म के थे।
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मुस्लिमों की आबादी बढ़ी
दूसरी ओर इन 10 सालों के अंतराल में ब्रिटेन में मुस्लिमों की संख्या में बड़ी बढ़ोतरी हुई है। मौजूदा समय में ब्रिटेन में 39 लाख मुस्लिम रहते हैं जिनकी कुल आबादी में 6.5 फीसदी की हिस्सेदारी है। दस वर्षों पूर्व इनकी जनसंख्या 27 लाख के आसपास थीं। इन आंकड़ों से यह साफ होता है कि ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है। अगर हम पिछली कुछ घटनाओं पर गौर करेंगे तो देखेंगे कि पिछले कई सालों से ब्रिटेन इस्लामिस्टों का पनाह गृह बन रहा है।
इस्लामिक स्टेट ऑफ ब्रिटेन में इस्लामिस्टों का आतंक
उदाहरण के लिए सितंबर माह में यूनाइटेड किंगडम के लीसेस्टर में हुई हिंसा की ही बात ले लीजिये। ब्रिटेन के लीसेस्टर शहर में हिंदू और मुस्लिम के बीच तनाव की खबरें सामने आयी थी। पूरे विवाद की शुरुआत एशिया कप मैच में 28 अगस्त को पाकिस्तान की हार से हुई थी। जिसके बाद यहां मुस्लिम समुदाय द्वारा लीसेस्टर शहर में रहने वाले मासूम हिंदुओं को निशाना बनाया था। इतना ही नहीं इन इस्लामिस्टों ने हिंदू मंदिर और युवाओं पर भी हमलों का कहर बरसाया था। इस दौरान बिना किसी भय के सार्वजनिक रूप से इन्होंने पवित्र धार्मिक ध्वज को फाड़कर उसका अपमान कर उसे जला दिया था।
इसके कुछ दिनों बाद कट्टरपंथी और शांतिप्रिय समुदाय से जुड़े कुछ लोगों ने इंग्लैंड के वेस्ट मिडलैंड्स के स्मेथविक शहर में ऐसे ही व्यवहार का प्रदर्शन किया था। इस दौरान कथित रूप से मुस्लिम समुदाय से जुड़े लगभग 200 लोग शहर के एक हिंदू मंदिर के बाहर योजनाबद्ध रूप से विरोध प्रदर्शन करने के लिए एकत्रित हुए थे। इस दौरान कई लोगों ने ‘अल्ला-हु अकबर’ तक लगाए थे।
स्पष्ट तौर पर ब्रिटेन इस्लामिस्टों का अड्डा बनता नजर आ रहा है। वहीं ब्रिटेन के दिल में भी इनके लिए किस प्रकार से प्रेम उमड़ रहा है, यह हमें कुछ समय पूर्व तब देखने मिला था जब ‘क्रिकेट का मक्का’ कहे जाने वाले लॉर्ड्स को वास्तव में ‘मक्का’ ही बना दिया गया था। घटना 21 अप्रैल 2022 ईद के मौके की है, जब इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने तथाकथित वोक दिवस मनाया था। इस दौरान अंग्रेजी बोर्ड ने रमजान के मौके पर लंदन के लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में पहली इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। इसमें कई पूर्व और वर्तमान दिग्गज महिला और पुरुष क्रिकेटरों ने भी भाग लिया। पार्टी का आयोजन ईसीबी के आईटी हेल्पडेस्क की मैनेजर तमिना हुसैन ने किया था। इफ्तार लॉर्ड्स लॉन्ग रूम में हुआ, जहां नमाज़ भी अदा की गई।
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ब्रिटेन को जनसंख्या में आये बदलाव के यह आंकड़े भविष्य के चताते हैं कि वो समय रहते सतर्क हो जाए और इस्लामिस्टों के प्रति नरमी दिखाना बंद कर दें। नहीं तो उसे इस्लामिक स्टेट ऑफ ब्रिटेन बनते देर नहीं लगेगी।
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