रावण को जेन्टलमैन बताने के लिए हमारे समाज में लोगों के बीच कई भ्रामक तथ्य उपस्थित हैं, जिसमें रावण को विद्वान, योद्धा और नारियों का सम्मान करने वाला बताया जाता है, परन्तु ये सभी तथ्य पूर्ण रूप से भ्रामक और असत्य हैं. वास्तव में रावण के चरित्र को देखा जाए तो वह एक नंबर का व्यभिचारी, बाली जैसे योद्धाओं से पिटने वाला और सबसे बड़ा घमंडी था. उसे यह लगता था कि वो बहुत शक्तिशाली है इसीलिए त्रिलोक में जो चाहे वो कर सकता है परन्तु सत्य तो यह है कि उसने कई लोगों से लड़ाई लड़ी और उनमें पिटता रहा.
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि वो अपनी बहन शूर्पणखा से बहुत प्रेम करता था, इसीलिए उसने लक्ष्मण द्वारा किए गए उसके अपमान का बदला लेने के लिए सीता का हरण किया था. लेकिन इस तथ्य में भी कोई सच्चाई नहीं है. इस लेख में हम आपको सीता हरण के पीछे की वास्तविक कथा से अवगत कराएंगे और यह स्पष्ट करेंगे कि असल में रावण ने माता सीता का अपहरण क्यों किया था?
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भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास
दरअसल, रामायण की कथा में वचनवद्धता के चलते भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास दिया गया और उसी दौरान वन में छलपूर्वक रावण के द्वारा माता सीता का अपहरण किया जाता है. यह बात आप सभी बचपन से सुनते ही आ रहे होगें परन्तु अपहरण के पीछे का असल कारण क्या था अधिकतर लोग नहीं जानते हैं और अगर जानते भी हैं तो वे गलत जानते हैं. ज्ञात हो कि शूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिए नहीं बल्कि शूर्पणखा द्वारा माता सीता की सुंदरता का वर्णन करने पर रावण ने सीता हरण करने का प्लान बनाया था. इस कथा का आरंभ शूर्पणखा के पति के वध के बाद होता है.
रावण ने अपने घमंड के चलते अपनी बहन शूर्पणखा के पति का वध कर दिया था, जिसके बाद शूर्पणखा रोती हुई रावण के पास जाती है और उससे कहती है कि ये आपने क्या कर दिया मेरे पति को मार दिया. उसके बाद रावण उससे कहता है अब मैं तेरे पति को जीवित नहीं कर सकता परन्तु तू जिस किसी भी पुरुष पर हाथ रख देगी वह तेरा हो जाएगा. फिर क्या था, सूर्पणखा को एक तरह से रावण ने फ्री हैंड दे दिया. उसके बाद सूर्पणखा ने अपने जाल में कई ऋषि कुमारों को फंसाया. वन में विचरण करते हुए उसकी नजर भगवान राम और लक्ष्मण पर पड़ी, जिसके बाद वह रूप बदलकर उनके पास जाती है और उन्हें मोहित करने का प्रयास करती है. परन्तु वो ठहरे भगवान राम इतनी आसानी से हाथ कहां आने वाले थे, उन्होंने गंभीरता पूर्वक सीता माता की ओर इशारा करते हुए शूर्पणखा से कहा कि “मैं पहले से विवाहित हूं और ये मेरी पत्नी हैं इसलिए मैं तुम्हारे साथ विवाह नहीं कर सकता.”
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सीता माता पर हमला
परन्तु उन्होंने लक्ष्मण की ओर इशारा करते हुए कहा कि वो मेरे छोटे भाई हैं और दिखने में भी सुंदर हैं, उनके सामने आप विवाह का प्रस्ताव रखिए आपको सफलता मिल सकती है. फिर शूर्पणखा, लक्ष्मण के पास जाती है और उनसे विवाह करने के लिए कहती है परन्तु लक्ष्मण तो भई लक्ष्मण थे. उन्होंने भी उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया. जब सूर्पणखा को लगा कि दोनों भाई मिलकर एक स्त्री के सामने उसका मजाक बना रहे हैं तो उसने सीता पर ही हमला करने की सोची और झपट्टा मारा. फिर क्या था, लक्ष्मण जी का क्रोध सांतवे आसमान पर पहुंच गया. उन्होंने अपने कटार से सूर्पणखा की नाक और कान काट दी. सोशल मीडिया पर यह खबरें फैलाई जाती है कि लक्ष्मण जी ने यूं ही सूर्पणखा का नाक-कान काट दिया, जबकि सच्चाई आपके सामने है.
उसके बाद शूर्पणखा अपने कटे नाक-कान लिए अपने भाई खर, दूषण के पास जाती है और उन्हें अपनी व्यथा सुनाती है. जिसके बाद वे अपनी सेना के साथ भगवान राम और लक्ष्मण से युद्ध करने आते हैं और मारे जाते हैं. यहां यह भी प्रसंग आता है कि मात्र 72 मिनट में नाराज हुए भगवान राम और लक्ष्मण से लड़ने के लिए कहती है. परन्तु जब खर, दूषण भगवान राम और लक्ष्मण के पास लड़ने के लिए पहुंचते हैं तो वो मारे जाते हैं. इसके बाद शूर्पणखा रावण के पास जाती है तो रावण उसे देखकर हंसने लगता है औऱ कहता है कि ‘हे मेरी बहन तू पहले से ही इतनी कुरूप थी तुझे और कुरूप किसने बना दिया’. इसके बाद शूर्पणखा उससे कहती है कि मेरे साथ में ऐसा हो गया और भैया आप मेरा मजाक बना रहे हैं और रावण को राम और लक्ष्मण से लड़ने के लिए कहती है. परन्तु रावण नहीं मानता है. इसके बाद अंत में आकर वह माता सीता का वर्णन करते हुए कहती है उन दोनों लोगों के साथ में एक स्त्री भी है जोकि बहुत सुंदर है.
सीता माता की सुंदरता का वर्णन
रावण सीता माता की सुंदरता का वर्णन सुनने के बाद मोहित हो जाता है और अपने मामा मारीच के साथ अपहरण करने की योजना बनाता है. इस योजना में मारीच हिरण का रूप धारण कर छलपूर्वक भगवान राम को वन में ले जाता है उसके बाद पीछे-पीछे लक्ष्मण भी चले जाते हैं. रावण इसी दौरान छलपूर्वक सीता का अपहरण कर उन्हें लंका ले जाता है. यदि इस कथा के निष्कर्ष को देखें तो हमें पता चलता है कि रावण कोई जेन्टलमैन नहीं था बल्कि वह अव्वल नंबर का व्यभिचारी और दुराचारी था जोकि बलपूर्वक दूसरों पर हमेशा अत्याचार करता रहता था.
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